भारत के रियल एस्टेट स्टॉक्स में सोमवार को भारी गिरावट देखी गई, क्योंकि देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में छंटनी की खबरों ने सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की हाउसिंग डिमांड पर सवाल खड़े कर दिए.10 कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए. लोढ़ा डेवलपर्स सबसे ज्यादा 6.31% गिरा, इसके बाद गोदरेज प्रॉपर्टीज (-5.44%), ब्रिगेड एंटरप्राइजेज (-4.41%) और डीएलएफ (-4.30%) का नंबर रहा.
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और दूसरी आईटी कंपनियों में नौकरी छंटनी की चिंताओं ने रियल एस्टेट मार्केट, खासकर बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे टेक-हैवी शहरों में इसके असर को लेकर सवाल खड़े किए हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका असर सीमित हो सकता है और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में बढ़ती भर्तियों से इसकी भरपाई हो सकती है.
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बेंगलुरु, जहां आईटी प्रोफेशनल्स होम सेल्स में करीब 40% हिस्सा रखते हैं, वहां थोड़े समय के लिए असर पड़ सकता है. फिर भी, लिस्टेड डेवलपर्स से हाउसिंग डिमांड अभी स्थिर है, जहां औसत घर की कीमत करीब ₹2 करोड़ है. जब तक नौकरी छंटनी बड़े पैमाने पर नहीं होती, कुल मिलाकर मार्केट स्थिर रहना चाहिए.
TCS में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) अपने 2% कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है. कंपनी के कुल वर्कफोर्स को देखें तो यह संख्या करीब 12,000 कर्मचारियों की है. जून 2025 तक TCS में ग्लोबली 6,13,069 कर्मचारी काम कर रहे थे. खबर है कि अगले वित्तीय वर्ष (2026) में इन कर्मचारियों को कंपनी से निकाला जा सकता है.
क्यों हो रही है यह बड़ी छंटनी?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, TCS के सीईओ के. कृतिवासन ने एक इंटरव्यू में छंटनी की योजना का खुलासा किया. उन्होंने इसका कारण टेक्नोलॉजी में बदलाव और स्किल्स में बदलाव की जरूरत को बताया. उनका कहना है कि काम करने के तरीके बदल रहे हैं और हर कंपनी को सफल होने के लिए भविष्य के लिए तैयार रहना जरूरी है. कृतिवासन ने यह भी साफ किया कि यह छंटनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से नहीं, बल्कि स्किल्स में बेमेल और कर्मचारियों को नए प्रोजेक्ट्स में तैनात न कर पाने की वजह से हो रही है.
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