दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सात साल पुराने एक सनसनीखेज हत्याकांड में फरार चल रहे आरोपी को पंजाब के मोहाली से गिरफ्तार किया है. यह मामला 2016 में राजधानी के उत्तम नगर इलाके के मोहन गार्डन में हुई एक बर्बर हत्या से जुड़ा है, जिसमें पहचान छिपाने के लिए शव को आग के हवाले कर दिया गया था. आरोपी को दिल्ली की अदालत ने 2024 में भगोड़ा घोषित कर दिया था.
पुलिस उपायुक्त (क्राइम ब्रांच) हर्ष इंदौरा के अनुसार, गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान अंताज अंसारी (उम्र 33) के रूप में हुई है. वह मूल रूप से बिहार के सीवान जिले का रहने वाला है और मोहाली के एक गेस्ट हाउस में गुप्त सूचना के आधार पर शनिवार रात उसे दबोचा गया. वह कई सालों से अपनी पहचान छिपाकर फरारी की ज़िंदगी जी रहा था और एक राज्य से दूसरे राज्य में शरण लेता रहा.
यह वारदात 27 नवंबर, 2016 की रात की है. उस रात पुलिस को मोहन गार्डन के एक खाली प्लॉट में कंबल में लिपटा और बिजली के तारों से बंधा हुआ एक आंशिक रूप से जला शव मिला था. शव की पहचान रहीम उर्फ सलमान के रूप में हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उस पर लोहे की रॉड, ईंट और रसोई के चाकू से कई बार हमला किया गया था. इसके बाद सबूत मिटाने के लिए शव को जला दिया गया.
पुलिस जांच में सामने आया कि रहीम की हत्या उसके परिचित अंताज अंसारी और देवेंद्र उर्फ छोटा बल्ले ने शराब के नशे में विवाद के बाद की थी. हत्या के बाद दोनों ने उसके शव को कंबल में लपेटकर सुनसान जगह पर फेंका और पहचान मिटाने के लिए आग लगा दी. अंताज अंसारी को पहले गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वह जमानत पर बाहर आने के बाद अदालत में पेश नहीं हुआ.
दिसंबर 2024 में उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया. यह भी सामने आया कि उसके खिलाफ एक अन्य एफआईआर भी दर्ज है, जिसमें आरोप है कि पहले गिरफ्तारी के दौरान उसने पुलिस पर पिस्तौल तान दी थी.
उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई गंभीर धाराओं के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज है. अंसारी केवल चौथी कक्षा तक पढ़ा हुआ है और दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करता रहा है. उसका परिवार वर्षों पहले बिहार से दिल्ली आया था और उसके माता-पिता एक निजी स्कूल में सहायक के रूप में काम करते हैं. उसके छोटे भाई पर भी बलात्कार का केस दर्ज है.
पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है कि वह सात वर्षों तक किन-किन जगहों पर छिपा रहा, किसने उसे पनाह दी और फरारी के दौरान उसकी आर्थिक मदद कैसे होती रही. यह गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि यह उन चुनिंदा मामलों में से एक था, जिसमें हत्या न केवल बर्बरता से की गई थी, बल्कि आरोपी वर्षों तक कानून से बचता रहा.
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