प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई 2025 को ब्रिटेन की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर लंदन पहुंचे, जहां उन्होंने भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच ऐतिहासिक फ्री ट्रेड डील (मुक्त व्यापार समझौते- FTA) पर हस्ताक्षर किए. ये समझौता ब्रिटेन के साथ व्यापारिक संबंधों को नया आयाम देने के साथ-साथ, ये दौरा दोनों देशों के बीच साझा समृद्धि और सहयोग की नई शुरुआत का प्रतीक है. वहीं, इस समझौते को ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाला बताया जा रहा है.
पीएम मोदी यूके के साथ न सिर्फ व्यापार संबंधों को रीसेट किया, बल्कि दोनों देशों के बीच नए दौर के संबंध स्थापित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में साफ कहा कि ये समझौता मात्र आर्थिक साझेदारी नहीं, बल्कि साझा समृद्धि की योजना है.
PM ने भारतीय समुदाय से भी की मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी की ये यात्रा केवल व्यापार तक सीमित नहीं थी. उन्होंने बकिंघमशायर, जिसे गली क्रिकेट का केंद्र माना जाता है. युवा क्रिकेटरों के साथ वक्त बिताया और ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ क्रिकेट के प्रति अपने साझा प्रेम को साझा किया. मोदी ने लंदन में भारतीय समुदाय से भी मुलाकात की. बीते एक साल में मोदी और स्टार्मर के बीच ये तीसरी मुलाकात है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी बीते 11 सालों में ब्रिटेन की चौथी आधिकारिक यात्रा है.
समझौता ऐसे वक्त में हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत समेत दुनिया के कई देशों से टैरिफ वॉर छिड़ा हुआ है. ब्रिटेन के लिए भी ये समझौता बहुत मायने रखता है.
समझौते से पैदा होगी नौकरियां
भारत के साथ FTA को खुद ब्रिटेन ने ब्रेक्सिट यानी यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद हुआ सबसे अहम समझौता कहा है. इस समझौते से ब्रिटेन में नई नौकरियां पैदा होंगी. इंजीनियर, टेक्नीशियन और एयरोस्पेस और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों के कर्मियों के लिए ये वरदान साबित होगा.
ब्रिटेन मान रहा है कि भारत के साथ FTA होने से ब्रिटिश युवाओं के हाथ में पैसा आएगा. इसलिए हम कह रहे हैं कि FTA से भारत, ब्रिटेन की लड़खड़ा रही अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है.
एग्रीमेंट से क्या-क्या बदलेगा
इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट बहुत कुछ बदलने वाला है. इस समझौते को Comprehensive Economic and Trade Agreement भी कहा जा रहा है. ये एक ऐसा समझौता होता है, जिसमें दो या उससे ज्यादा देश ये तय करते हैं कि वो एक-दूसरे के साथ जो व्यापार करेंगे, उस पर कम से कम या ना के बराबर टैक्स और टैरिफ लगाया जाएगा और इस समझौते में भी यही तय हुआ है.
99% सामान पर लगेगा जीरो प्रतिशत टैक्स
इसके तहत भारत से निर्यात होने वाले 99% सामान और सेवाओं पर ज़ीरो टैक्स लगेगा, जिसे ड्यूटी फ्री ट्रेड कहेंगे. इसी तरह ब्रिटेन की कंपनियां भी भारत में जो व्हिस्की, कार और दूसरे प्रोडक्ट निर्यात करेंगी, उन पर भी कम से कम टैक्स लगाया जाएगा.
उदाहरण के लिए भारत पूरी दुनिया में स्कॉच व्हिस्की का सबसे बड़ा खरीदार है. भारत के लोग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा स्कॉच व्हिस्की पीते हैं, जिसमें स्कॉच का मतलब स्कॉटलैंड से होता है.
भारत के लिए क्या-क्या बदलेगा?
2024 में भारत ने इसकी 19 करोड़ 20 लाख बोतल शराब खरीदी थी, लेकिन अब इस पर Import Duty कम होने से भारत में स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ सकता है और ये कम कीमत पर भारत में उपलब्ध हो सकती है. ये एग्रीमेंट भारत के अलग-अलग सेक्टर को नई ताकत देगा.
पहले Textile और कपड़ा उद्योग पर ब्रिटेन 12 प्रतिशत टैक्स लगाता था, लेकिन अब से भारत के कपड़ों पर ब्रिटेन में एक रुपये का टैक्स नहीं लगेगा. इससे भारत अब बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से प्रतियोगिता में आगे निकलेगा और भारत में कई लोगों को रोजगार मिलेगा.
लैदर और जूते-चप्पल के उद्योग पर पहले ब्रिटेन में 16 प्रतिशत टैक्स लगता था, लेकिन अब इन पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. इससे उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के लैदर और जूते-चप्पल उद्योग को फायदा मिलेगा.
इसी तरह भारत के गहने, फर्नीचर और खेलों से जुड़े सामान पर पहले ब्रिटेन 4 प्रतिशत टैक्स लगाता था, लेकिन अब ये टैक्स भी ज़ीरो हो गया है. इससे भी भारत के कारीगरों और छोटे उद्योगों को फायदा होगा.
भारत के Processed फूड पर ब्रिटेन पहले 70 प्रतिशत टैक्स लगाता था, लेकिन अब 99.7 प्रतिशत Processed फूड पर जीरो टैक्स लगेगा. इससे भारत के पैकेज्ड फूड, स्नैक्स और रेडी-टू-ईट आइटम की ब्रिटेन में मांग बढ़ेगी और भारत को फायदा होगा.
इसके अलावा ब्रिटेन मछली, मीट, डेयरी पर 20 प्रतिशत तक टैक्स था. चाय, कॉफी, मसाले, फल, अनाज और तेल जैसे सामानों पर भी 10 से 20 प्रतिशत तक टैक्स लगाता था, लेकिन अब ये टैक्स खत्म हो जाएगा और भारत ब्रिटेन में जो प्लास्टिक, Chemicals और Electrical Product का निर्यात करेगा, उन पर भारत की कंपनियों का कोई टैक्स नहीं देना होगा.
चीन-ब्रिटेन का नहीं है कोई समझौता
चीन का ब्रिटेन के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है, इसलिए भारत के पास ये अच्छा मौका है कि वो चीन या दूसरे देशों के मुकाबले सस्ता सामान ब्रिटेन में जाकर बेच सकता है. इससे भारत के ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा और भारत के जिस कपड़ा उद्योग में साढ़े 4 करोड़ लोग काम करते हैं, उन्हें इसका सीधा फायदा होगा.
पिछले साल हुआ इतने करोड़ का व्यापार
2023-24 में भारत और ब्रिटेन के बीच 4 लाख 74 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था जो इस समझौते के बाद 2030 तक 10 लाख 33 हज़ार करोड़ रुपये हो सकता है.
इसके अलावा ब्रिटेन के सामान और सेवाओं पर भारत का औसत टैरिफ 15 प्रतिशत से 3 प्रतिशत पर आ सकता है और भारत में ब्रिटेन की गाड़ियां और दूसरा सामान सस्ता हो सकता है. जैसे स्कॉच व्हिस्की पर आयात शुल्क 150% से घटकर 75% और अगले दस सालों में 40% तक हो सकता है. भारत जो स्कॉच व्हिस्की का दुनिया का सबसे बड़ा खरीदार है, ने 2024 में 19.2 करोड़ बोतलें आयात की थीं.
इस समझौते से स्कॉच व्हिस्की भारत में सस्ती होगी, जिससे ब्रिटिश निर्यातकों को लाभ होगा. इसी तरह रेंज रोवर, मिनी कूपर और बेंटले जैसी लक्जरी कारों पर आयात शुल्क 100% से घटकर कोटा सिस्टम के तहत 10% तक हो सकता है. भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ब्रिटेन दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आप खुद सोचिए कि अगर दुनिया की दो इतनी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हाथ मिला लें तो ये कितनी बड़ी ताकत बन सकते हैं.
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