More
    HomeHomeसेहत, साजिश या सियासत... उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर क्‍यों उठ...

    सेहत, साजिश या सियासत… उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर क्‍यों उठ रहे हैं सवाल?

    Published on

    spot_img


    उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ का यह कहना कि वो विदाई भाषण भी नहीं देंगे, अटकलों का बाजार गर्म कर रहा है. मतलब साफ नजर आने लगा है कि कहीं न कहीं सब कुछ राजी खुशी नहीं हुआ है. राजनीतिक विश्वेषक और पत्रकार तमाम तरह की अटकलें लगा रहे हैं. एक वरिष्ठ टीवी पत्रकार लिखते हैं कि जो कांग्रेस बात-बात पर जगदीप धनखड़ के व्यवहार की शिकायत करती थी और उन्हें पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव तक ले आई थी, आज धनखड़ के त्यागपत्र से व्यथित हैं. वहीं, एक पहलू यह भी है कि धनखड़ के पीछे चट्टान की तरह खड़ी रही भाजपा के नेता अब उनके इस्‍तीफे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं. यहां तक कि सोशल मीडिया पर ही सही, उनकी सेहत की बेहतरी के लिए भी पोस्‍ट नहीं लिख रहे हैं.

    (अपडेट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मंगलवार को दोपहर 12.13 मिनट पर X पर पोस्‍ट किया गया- ‘श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।’)

    कयास लगाए जा रहे हैं कि वे विपक्ष के प्रति अचानक आवश्यकता से अधिक उदार हो गए थे. खासतौर पर जिस तरह उन्‍होंने जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने का विपक्ष का प्रस्ताव जिस तरह ताबड़तोड़ स्‍वीकार किया.

    धनखड़ ज्‍यूडिशियरी को लेकर पिछले काफी समय से बयानबाजी करते रहे हैं. कहा जा रहा है कि वे जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने की कार्यवाही का चेहरा बनना चाहते थे. विपक्ष ने इस बारे में नोटिस स्‍वीकार करवाकर इस कार्यवाही के क्रेडिट को अपने पाले में कर लिया. जबकि सत्‍ता पक्ष को कोई खबर ही नहीं लगी. कहा जा रहा है कि राज्यसभा चेयरमैन को नोटिस देने के एक्‍शन को पूरी तरह गोपनीय रखा और उसकी कोई फोटो तक नहीं खिंचवाई. 

    क्या नड्डा को सारी कहानी पता थी?

    सोमवार को सदन की कार्यवाही के बीच में करीब 4.30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी  (BAC) की दूसरी मीटिंग हुई थी और इसमें सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि के तौर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन मौजूद रहे. मुरुगन ने सभापति जगदीप धनखड़ से मीटिंग को अगले दिन यानी मंगलवार को रिशेड्यूल करने का आग्रह किया था.

    आज तक की एक रिपोर्ट बताती है कि जगदीप धनखड़ BAC मीटिंग में राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से नाराज थे. बीते दिन दो बार बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग हुई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया था. कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने भी बीएसी मीटिंग में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के न आने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि धनखड़ के इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी. उन्होंने बताया कि सदन में जेपी नड्डा ने कहा था कि मेरे शब्द रिकॉर्ड में दर्ज होंगे, यह सीधे तौ पर चेयर का अपमान था.

    जयराम रमेश कहते हैं कि सबसे हैरानी की बात यह थी कि जगदीप धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि स्वाभाविक रूप से उन्हें इस बात का बुरा लगा और उन्होंने BAC की अगली बैठक मंगलवार दोपहर एक बजे के लिए टाल दी. रमेश कहते हैं कि इससे साफ है कि कल दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच ज़रूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. 

    हालांकि बीएसी की मीटिंग में न आने को लेकर राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने सफाई दी है. उन्होंने कहा, ‘मैंने और किरण रिजीजू ने उपराष्ट्रपति की ओर से 4.30 बजे बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि हम किसी अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य में व्यस्त हो गए थे, जिसकी पूर्व सूचना माननीय उपराष्ट्रपति के दफ्तर को दे दी गई थी.’

    सदन में कार्यवाही के दौरान पूरी तरह फिट थे

    ऊपर से सामान्य दिखने वाले राजनीतिक गतिविधियों के ठीक पीछे एक सियासी तूफान आकार ले रहा था. सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के विपक्षी सदस्यों के नोटिस को स्वीकार कर लिया. यह लगभग उसी समय (दोपहर 2 बजे) हुआ जब यह खबर आई कि निचले सदन में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 100 से ज़्यादा सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.

    लगभग 4:07 बजे राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने महाभियोग प्रस्ताव पर 63 विपक्षी सांसदों से नोटिस मिलने की विस्तृत जानकारी दी.  जब किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर दोनों सदनों में नोटिस दिए जाते हैं.जिस तरह उन्होंने प्रक्रिया की याद दिलाई यह उनकी अतिसक्रियता की ही निशानी थी. धनखड़ ने प्रक्रिया का विवरण दिया और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि करने के लिए भी कहा कि क्या निचले सदन में नोटिस दिया गया है.

    मतलब साफ था कि किसी भी तरह धनखड़ चाहते थे कि महाभियोग की प्रक्रिया राज्यसभा में शुरू हो जाए. उन्होंने आगे बढ़कर एक संयुक्त समिति के गठन और नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की बात कही. उनकी सक्रियता में कहीं से भी यह नहीं लग रहा था कि वो बीमार हैं या कल उपस्थित नहीं रहेंगे.उन्होंने अपने अंतिम संबोधन और उपस्थिति में भी उन्होंने अपने स्वास्थ्य या इस्तीफा देने के किसी अन्य इरादे की ओर कोई इशारा नहीं किया. 

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    Opponents target me to attack Devendra, but I walk my path: Amruta Fadnavis

    At the India Today Conclave Mumbai, Amruta Fadnavis acknowledged that she is frequently...

    ‘Star Trek’ legend William Shatner, 94, rushed to hospital over medical emergency

    William Shatner was rushed to the hospital over a medical emergency Wednesday. The actor...

    Indie Film Can’t Afford the Risk of Not Taking Risks: Locarno Pro StepIn Report

    The independent film industry can’t afford the risk of not taking risks. That...

    More like this

    Opponents target me to attack Devendra, but I walk my path: Amruta Fadnavis

    At the India Today Conclave Mumbai, Amruta Fadnavis acknowledged that she is frequently...

    ‘Star Trek’ legend William Shatner, 94, rushed to hospital over medical emergency

    William Shatner was rushed to the hospital over a medical emergency Wednesday. The actor...