लगभग पिछले 24 घंटे से देश के राजनीतिक हलकों में एक ही खबर चर्चा में है और अभी तक इस गुत्थी का सही जवाब नहीं मिला है. ये खबर है जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे की. कल (सोमवार) से अब तक तमाम कयास लगाए जा चुके हैं, लेकिन यह साफ नहीं हो पाया है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया?
इस्तीफा अचानक क्यों?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सत्र के दौरान अचानक इस्तीफे की घोषणा क्यों की गई? 23 जुलाई को उपराष्ट्रपति का जयपुर दौरा प्रस्तावित था, फिर रात में इस्तीफा क्यों दिया गया? क्या बीमारी का हवाला देना महज एक बहाना था? अगर उपराष्ट्रपति बीमार थे, तो उन्होंने मानसून सत्र की कार्यवाही कैसे चलाई? क्या भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेतृत्व जगदीप धनखड़ से नाराज चल रही थी? क्या धनखड़ विपक्षी नेताओं के अधिक करीब होते जा रहे थे? क्या उन्होंने स्वयं इस्तीफा दिया या उनसे दिलवाया गया?
राष्ट्रपति ने इस्तीफा मंजूर किया
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया. गृह मंत्रालय ने उनका राजपत्र अधिसूचना (गैजेट नोटिफिकेशन) भी जारी कर दिया है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. उन्होंने ही आज सुबह 11 बजे राज्यसभा की कार्यवाही शुरू की थी. धनखड़ आज सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की.
जयराम रमेश के ट्वीट से इशारा
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट किया, जिससे पूरे घटनाक्रम को समझने में काफी मदद मिलती है. उन्होंने लिखा कि कल दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की अध्यक्षता की. इस बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू समेत अधिकतर सदस्य उपस्थित थे. शाम 4 बजकर 30 मिनट पुनः बैठक हुई, लेकिन जेपी नड्डा और रिजिजू नहीं आए. इससे स्पष्ट है कि दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक के बीच कुछ गंभीर हुआ, जिसकी वजह से यह अनुपस्थिति रही. रमेश ने कहा कि यह इस्तीफा धनखड़ के बारे में बहुत कुछ कहता है और उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाने वालों की नीयत पर भी सवाल उठाता है.
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राज्यसभा की कार्यवाही बनी विवाद की वजह?
राज्यसभा की उस दिन की कार्यवाही पर नजर डालें तो विवाद की शुरुआत 11 बजकर 35 मिनट पर हुई, जब मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग की. विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा था. खड़गे ने कहा कि आतंकवादी पकड़े नहीं गए, अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर करवाया, आदि बातें कही. इस दौरान सरकार की ओर से लगातार हस्तक्षेप हुआ, लेकिन धनखड़ ने जेपी नड्डा को बोलने का अवसर नहीं दिया. करीब 4 मिनट बाद नड्डा को बोलने का मौका मिला. फिर विपक्षी सांसदों की ओर से शोर हुआ. नड्डा ने कहा कि रिकॉर्ड में सिर्फ वही जाएगा जो मैं बोलूंगा. यह टिप्पणी उन्होंने विपक्ष की ओर की, न कि सभापति से.
महाभियोग प्रस्ताव पर खुलासा
इस्तीफे की एक मात्र वजह यह नहीं हो सकती. इसके बाद जो हुआ, उसने सरकार को असहज कर दिया. कल शाम 4 बजकर 7 मिनट पर सभापति जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 63 विपक्षी सांसदों के नोटिस मिलने की जानकारी दी. उन्होंने इससे जुड़े नियमों का हवाला दिया और यह भी पूछा कि क्या लोकसभा में भी यही प्रस्ताव लाया गया है? कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जवाब दिया कि लोकसभा अध्यक्ष को विपक्ष और बीजेपी सांसदों से नोटिस मिल गए हैं.
सूत्रों के अनुसार इसके बाद राजनाथ सिंह के कार्यालय में बीजेपी के राज्यसभा सांसदों की बैठक हुई. उनसे एक कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए, बिना बताये कि दस्तखत किस लिए हैं. बताया जाता है कि सरकार को इस महाभियोग प्रस्ताव की जानकारी नहीं थी. यह सरकार के लिए बड़ा शर्मनाक पल था. शायद इसी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू बीएसी बैठक में नहीं पहुंचे और उसी के बाद धनखड़ ने इस्तीफा दिया.
विवादों से भरा रहा कार्यकाल
धनखड़ का कार्यकाल पहले ही विवादों से भरा रहा है. पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए वे ममता बनर्जी से लगातार टकराते रहे. उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी विपक्ष ने कई बार उन पर बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया. 2023 में किसान आंदोलन पर उन्होंने कहा था कि ये लोग असली किसान नहीं हैं और देश को बदनाम कर रहे हैं. किसान संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी.
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दिसंबर 2023 में सबसे बड़ा विवाद
दिसंबर 2023 के शीतकालीन सत्र में 141 सांसदों का निलंबन हुआ, जिसमें धनखड़ ने राज्यसभा से 34 सांसदों को निलंबित किया. इसके विरोध में धरना देते वक्त टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने उनकी नकल की थी, जिसे राहुल गांधी ने रिकॉर्ड किया. अगले दिन धनखड़ ने इसे अपनी जाट और किसान पृष्ठभूमि का अपमान बताया.
अब क्या होगा?
सवाल उठता है कि क्या कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त किया जाएगा? संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है. उपराष्ट्रपति का चुनाव यथाशीघ्र कराया जाएगा, लेकिन समय सीमा तय नहीं है. नए उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होगा, न कि 2027 तक.
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा?
उपराष्ट्रपति का चुनाव चुनाव आयोग कराएगा. आम जनता उपराष्ट्रपति को नहीं चुनती, बल्कि राज्यसभा और लोकसभा के सांसद मतदान करते हैं. आने वाले दिनों में चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम जारी करेगा, फिर नामांकन होंगे, और सांसद वरीयता के आधार पर रैंकिंग करेंगे.
जीत के लिए कितने वोट?
फिलहाल संसद में कुल 782 सांसद हैं. ऐसे में जीत के लिए जादुई आंकड़ा 392 वोटों का है.
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अगला उपराष्ट्रपति कौन?
अब सारा फोकस इस पर है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा. बिहार से लेकर केरल तक कई नामों की चर्चा है. लेकिन यह तय है कि अब राजनीतिक सरगर्मियां और तेज़ होंगी.
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