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    कार्यकाल पूरा ना कर पाने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति बने धनखड़, कृष्णकांत का हुआ था निधन, गिरि बन गए थे राष्ट्रपति

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    भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है. इस फैसले के साथ ही वह  कार्यकाल पूरा किए बिना पद छोड़ने वाले देश के तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं. अब तक के इतिहास में ऐसा केवल दो बार हुआ है. पहली बार, 1997 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के कार्यकाल के दौरान. उन्होंने 21 अगस्त, 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और कार्यकाल के दौरान ही 27 जुलाई, 2002 को उनका निधन हो गया था.

    दूसरी बार, 1974 में उपराष्ट्रपति बी.डी. जत्ती ने कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वह अंतरिम राष्ट्रपति की भूमिका में आ गए थे. इससे पहले, वराहगिरी वेंकट गिरि ने भी भारत के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था. गिरि का यह फैसला उस समय चर्चाओं में रहा था. जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त, 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और वह इस पद पर करीब तीन साल रहने के बाद त्यागपत्र दे​ दिया. 

    यह भी पढ़ें: गांव की पगडंडियों से संसद के उच्च सदन तक…जानिए कैसा रहा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संघर्षों भरा सफर

    धनखड़ के इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में हलचल

    उनके इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में अचानक हलचल मच गई है. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और चिकित्सकीय सलाह मानना अब अनिवार्य हो गया है. साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सांसदों से मिले स्नेह और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, और क्या सत्तारूढ़ गठबंधन समय से पहले किसी नाम की घोषणा करेगा. विपक्षी दल जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को सामान्य नहीं मान रहे हैं.

    कांग्रेस ने धनखड़ के इस्तीफे को बताया चौंकाने वाला

    कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में लिखा, ‘उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी. मैं आज शाम लगभग 5 बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ उनके साथ था और शाम 7:30 बजे उनसे फ़ोन पर बात भी की थी. इसमें कोई शक नहीं कि जगदीप धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन उनके अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं ज़्यादा कुछ छिपा है. हालांकि, यह अटकलों का समय नहीं है.’

    यह भी पढ़ें: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति? ये है चुनाव की पूरी प्रक्रिया

    उन्होंने आगे लिखा, ‘धनखड़ ने सरकार और विपक्ष, दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया. उन्होंने कल दोपहर 1 बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी. उन्हें कल न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं. हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं, साथ ही उनसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करते हैं. हम प्रधानमंत्री से भी अपेक्षा करते हैं कि वे जगदीप धनखड़ को अपना निर्णय बदलने के लिए प्रेरित करें. यह देशहित में होगा. इससे विशेष रूप से कृषक समुदाय को बहुत राहत मिलेगी.’ 

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