भारत और रूस अपनी रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाने जा रहे हैं. दोनों देशों ने AK-19 कार्बाइन और PPK-20 सबमशीन गन के संयुक्त उत्पादन की योजना बनाई है, जो इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) में होगा.
इसके लिए रूस से पूरी तकनीक हस्तांतरण की बातचीत चल रही है, ताकि भारत में इन हथियारों का घरेलू उत्पादन हो सके. भविष्य में निर्यात भी शुरू हो. यह कदम भारत की सेना को मजबूत करेगा. आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगा.
AK-19 कार्बाइन: विशेषताएं और लाभ
AK-19 एक आधुनिक कार्बाइन है, जो रूस की मशहूर कलाश्निकोव सीरीज का हिस्सा है. इसकी खासियतें हैं…
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- वजन और आकार: यह लगभग 3.5 किलोग्राम वजन का है. 700 मिमी लंबा (बट बंद होने पर) है.
- गोली: यह 5.56×45mm NATO कारतूस का इस्तेमाल करता है, जो हल्की और प्रभावी है.
- फायरिंग रेंज: 500 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकता है.
- फायरिंग स्पीड: प्रति मिनट 600-700 गोलियां चला सकता है.
- सुविधाएं: इसमें एडजस्टेबल बट और नाइट विजन के लिए फ्लैश हाइडर है, जो रात के ऑपरेशन में मदद करता है. मतलब फायरिंग के समय आग नहीं दिखेगी.
भारत के लिए लाभ: AK-19 हल्का और विश्वसनीय है, जो भारतीय सेना के लिए ऊंचाई वाले इलाकों (जैसे लद्दाख) और आतंकवाद विरोधी ऑपरेशंस में उपयोगी होगा. घरेलू उत्पादन से लागत कम होगी. तकनीक भारत के पास रहेगी, जिससे निर्यात से आय भी बढ़ेगी.
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PPK-20 सबमशीन गन: विशेषताएं और लाभ
PPK-20 एक छोटी और शक्तिशाली सबमशीन गन है, जो करीबी मुकाबले के लिए डिजाइन की गई है.
- वजन और आकार: लगभग 2.8 किलोग्राम और 450 मिमी लंबा (बट मोड़ने पर).
- गोली: 9×19mm Parabellum कारतूस, जो कॉम्पैक्ट और प्रभावी है.
- फायरिंग रेंज: 150-200 मीटर तक सटीक.
- फायरिंग स्पीड: प्रति मिनट 800-1000 गोलियां.
- सुविधाएं: इसमें हल्का ढांचा और आसान हैंडलिंग है, जो शहरी जंग में फायदेमंद है.
भारत के लिए लाभ: PPK-20 पुलिस और विशेष बलों के लिए आदर्श है, खासकर आतंकवादी ठिकानों पर छापेमारी में. इसका घरेलू उत्पादन नौकरी पैदा करेगा और भारत को हथियार निर्यात में नई पहचान देगा.
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संयुक्त उत्पादन की योजना
इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL), जो उत्तर प्रदेश के अमेठी में है, इस प्रोजेक्ट का केंद्र बनेगा. पहले से AK-203 राइफल्स का उत्पादन शुरू हो चुका है. अब AK-19 और PPK-20 को जोड़ा जा रहा है. रूस से तकनीक हस्तांतरण से भारत 100% स्वदेशी उत्पादन की ओर बढ़ रहा है. IRRPL का लक्ष्य 2030 तक 6 लाख से ज्यादा हथियार बनाना है, जो समय से पहले पूरा हो सकता है.
भारत को होने वाले फायदे
- आत्मनिर्भरता: इन हथियारों का उत्पादन भारत में होगा, जो आयात पर निर्भरता कम करेगा. AK-203 पहले ही 50% स्वदेशी है. दिसंबर 2025 तक 100% स्वदेशी होने की उम्मीद है.
- रोजगार: उत्पादन में 537 कर्मचारी काम करेंगे, जिसमें 90% भारतीय होंगे, जिससे नौकरियां बढ़ेंगी.
- निर्यात: दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व से निर्यात के ऑर्डर मिल रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे.
- सुरक्षा: बेहतर हथियार सेना और पुलिस की ताकत बढ़ाएंगे, खासकर चीन और पाकिस्तान से सीमा पर.
- तकनीकी विकास: रूस से तकनीक मिलने से भारत छोटे हथियारों में विशेषज्ञता हासिल करेगा.
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि, उत्पादन में देरी और लागत को लेकर पहले दिक्कतें आई थीं, लेकिन अब रफ्तार पकड़ ली गई है. रूस के यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों का असर भी देखना होगा. फिर भी, यह साझेदारी भारत को हथियारों में आत्मनिर्भर बनाएगी. क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करेगी.
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