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    सीरिया पर हमले का बदला लेंगे खामेनेई… तो क्या टूट जाएगा ट्रंप का कराया हुआ इजरायल-ईरान सीजफायर?

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    इजरायल और ईरान की जंग अभी खत्म भी नहीं हुई कि नेतन्याहू की फौज ने सीरिया पर हमला बोल दिया है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब सीरिया पर इजरायली हमले का बदला ईरान लेगा. इजरायल ने बीते दिन सीरिया के आर्मी मुख्यालय पर बमवर्षा की, लेकिन हमले पर सीरिया से ज्यादा कड़ी प्रतिक्रिया ईरान की आई. ईरान के विदेश मंत्री ने सीरिया पर हुए हमले को लेकर नए युद्ध की भविष्यवाणी कर दी.

    दावा यही किया कि अब इजरायल के हमले को रोकने होगा, तो क्या इजरायल को रोकने के लिए ईरान हमला करेगा, अगर ईरान ने इजरायल पर हमला किया तो अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप क्या करेंगे.

    इसी हमले ने ईरान और इजरायल के बीच युद्ध की घंटी बजा दी है. एक बार फिर तेहरान पर इजरायली हमले के बादल मंडराने लगे हैं. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सीरिया पर इजरायल के हमले को लेकर नए युद्ध की भविष्यवाणी कर दी है.

    क्या एक और जंग शुरू होने जा रही?

    दुर्भाग्यवश, ये सब पहले से ही पूरी तरह से अनुमानित था. अगला निशाना कौन सी राजधानी या शहर होगी? कट्टरपंथी इजरायली शासन की कोई सीमा नहीं है और वो सिर्फ एक ही भाषा समझता है. दुनिया, जिसमें ये इलाका भी शामिल है, इजरायल के आक्रमण को खत्म करने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए. ईरान सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है और हमेशा सीरियाई लोगों के साथ खड़ा रहेगा. भले ही ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम हो गया, लेकिन युद्धविराम के बावजूद दोनों मुल्कों के बीच तनाव कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है.

    ये वही तनाव हैं, जिसमें युद्ध के नए संकेत मौजूद हैं. यानी अगले कुछ घंटों में ईरान और इजरायल के बीच युद्धविराम का उल्लघन होना तय है. सवाल यही है कि इजरायल पहले हमला करेगा या फिर ईरान की तरफ से मिसाइल अटैक होगा.

    युद्ध का खतरा बड़ा है, यही वजह है ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका और भारत ने अपने नागरिकों के लिए नई एडवाइजरी जारी कर दी है, तो वहीं ईरान पर अंतरराष्टीय प्रतिबंधों का फंदा कसने की तैयारी शुरू हो गई है. भारत ने अपने नागरिकों को ईरान की यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी की है. भारत ने बेहद जरूरी होने पर ही ईरान जाने को कहा है. साथ ही वहां रह रहे भारतीयों को भी वापस लौटने की सलाह दी गई है. ये तब है जब अमेरिका भी पहले ही अपने नागरिकों को ईरान से दूर रहने की वॉर्निंग दे चुका है. 

    क्या है US की एडवाइजरी? 

    अमेरिका ने अपनी एडवाइजरी में ईरान को लेकर कई जोखिम का जिक्र किया है. दूसरी तरफ फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने इस बात पर सहमति जताई है कि अगर ईरान के साथ परमाणु समझौते पर कोई बात नहीं बनी तो अगस्त के अंत तक यूएन के कड़े प्रतिबंध दोबारा लागू कर दिए जाएंगे. यानी इस बार ईरान पर फाइनल हमले की तैयारी ट्रंप करीब-करीब पूरी कर चुके हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि ईरान के लिए बातचीत के दरवाजे अभी बंद है. अभी खामेनेई से कोई डील नहीं होगी जबकि ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई लगातार अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को खुल्लम खुल्ला चुनौती दे रहे हैं.

    डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को लेकर कहा कि वे बातचीत करना चाहते हैं. वे बुरी तरह बातचीत करना चाहते हैं. हमें कोई जल्दी नहीं है क्योंकि, जैसा कि हमने कहा था, हम एक समझौता कर सकते थे, उन्हें एक समझौता करना चाहिए था और फिर हमने उनकी कई जगहों पर बमबारी की. हमें कोई जल्दी नहीं है. लेकिन अगर वे बातचीत करना चाहते हैं, तो हम यहां हैं.

    ट्रंप के इसी दावे को खामेनेई ने सिरे से खारिज कर दिया, खामेनेई यही दावा कर रहे हैं कि अमेरिका और ईरान को जंग के मैदान में सबक सिखाने के लिए तैयार हैं.

    US को खामेनेई का संदेश 

    ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा कि एक राष्ट्र, एक देश, एक सैन्य शक्ति का अपने भीतर यह आत्मविश्वास कि वह अमेरिका और क्षेत्र में उसके ‘चेन डॉग’, ज़ायोनी शासन की शक्ति का आमने-सामने मुकाबला करने के लिए तैयार है, यह आत्मविश्वास बहुत, बहुत महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक है. हम युद्ध का स्वागत नहीं करते, यह सभी को पता होना चाहिए. हां, हम ज़ायोनी शासन को एक कैंसर मानते हैं, हम अमेरिकी शासन को भी उसका समर्थन करने के लिए आपराधिक मानते हैं. लेकिन हमने युद्ध का स्वागत नहीं किया और हम युद्ध नहीं चाहते थे. लेकिन जब दुश्मन ने हमला किया, तो हमारी प्रतिक्रिया करारी थी. सभी को इस पर ध्यान देना चाहिए. अमेरिका पर हमारा पलटवार एक बहुत ही संवेदनशील वार था.

    भले ही खामेनेई की तरफ से अमेरिका और इजरायल को धमकी दी गई, लेकिन इजरायल को लेकर ईरान में अभी भी दहशत है. ईरान में इजरायल का खौफ अभी भी ईरान में जीपीएस सर्विस को बहाल नहीं किया गया. युद्ध के वक्त इजरायली हमले के चलते सर्विस बंद की गई थी. अभी भी ईरान के सुप्रीम लीडर सीक्रेट ठिकाने पर रह रहे हैं. ईरान की तरफ से इजरायली हमले से निपटने की तैयारी जारी है.

    ईरान के इस डर की वजह है, ट्रंप से मुलाकात के ठीक बाद सामने आया इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का बयान. नेतन्याहू ने कहा था कि ईरान पर फिर से हमला करना का ये सही वक्त है और ऐसा करने से ईरान पहले हमले में अपनी खोई हुई ताकत को वापस नहीं जुटा पाएगा.

    रूस कर रहा ईरान की मदद!

    अगर इजरायल और अमेरिका नए हमले की तैयारी कर रहे हैं तो ईरान ने भी नए हथियारों की तैनाती शुरू कर दी है. ईरान ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना का IL-76 कार्गो प्लेन ने दो बार तेहरान में लैंडिंग की. रूसी IL-76 विमान बेहद कम वक्त के लिए तेहरान में उतरा और तुरंत वापस मास्को लौट गया. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि रूस की तरफ से ईरान को विनाशकारी हथियारों की खेप पहुंचाई गई हैं, इस खेप में एडवांस रडार सिस्टम के साथ-साथ एयर डिफेंस सिस्टम भी हो सकता है. मतलब यही है कि ईरान का खुला समर्थन रूस कर रहा हैं, चंद दिन पहले पुतिन ने ईरान की मदद कर ने का ऐलान किया था, तो क्या पुतिन और जिनपिंग के दम पर ईरान लगातार अमेरिका और इजरायल को धमका रहा है. 

    ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची का दावा यही है कि निर्णायक युद्ध की तैयारी है. नेतन्याहू ने दो साल पहले गाजा में जीत का वादा किया. आज हकीकत ये है कि वो एक मुश्किल जंग में फंसे हैं, युद्ध अपराधों के लिए उनका गिरफ्तारी वारंट निकला है और गाजा में 2,00,000 नए हमास लड़ाके आ गए हैं. ईरान में उन्होंने सपना देखा था कि वे 40 से ज्यादा की हमारी शांतिपूर्ण परमाणु उपलब्धियों को मिटा सकते हैं. नतीजा ये है कि आज ईरान ज्यादा मजबूती से खड़ा है.

    रूसी मीडिया में ईरान के टॉप सैन्य कमांडर के हवाले से छापी गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इज़रायल और अमेरिका को सजा देने के बाद ही नए युद्ध को रोका जा सकता है. जब तक ईरान की एटमी साइट पर हमलों के लिए मुआवजा नहीं मिलता, तब तक ईरान कार्रवाई करने के लिए तैयार है. इजरायल के खिलाफ ईरान अपनी ऐतिहासिक प्रतिरोधक क्षमता को बहाल करने के लिए उपाय करने को तैयार है. ईरान के हाथ ट्रिगर पर हैं, लेकिन इजरायल के किसी भी गलत अनुमान की स्थिति में, इस बार हम दुश्मन के पहली गोली चलाने का इंतजार नहीं करेंगे. 

    इजरायल ने नहीं ईरान ने किया सरेंडर  

    इसमें कोई शक नहीं कि इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रोग्राम को तबाह करने और खामेनेई का तख्तापलट करवाने के लिए युद्ध छेड़ा था, लेकिन अमेरिका के बी-2 बॉम्बर के हमले के बावजूद ईरान का परमाणु प्रोग्राम पूरी तरह तबाह नहीं हुआ. यानी इजरायल और अमेरिका का ऑपरेशन ईरान अभी भी अधूरा है. ऐसे में बड़ी बात ये है कि सीजफायर के ऐलान से पहले ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला किया था, यानी अमेरिका को भी मुंह की खानी पड़ी थी. ऐसे में ईरान की तरफ से लगातार इजरायल और अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी से ट्रंप की साख को धक्का लगा है.क्योंकि खामेनेई का यही दावा है कि सरेंडर ईरान ने नहीं इजरायल ने किया है.

    ऐसे में ईरान का परमाणु प्रोग्राम एक बार फिर तनाव की वजह है, ट्रंप का दावा यही है कि परमाणु प्रोग्राम को लेकर अभी बात नहीं होगी, सवाल यही है कि सीजफायर के बाद परमाणु प्रोग्राम को लेकर ईरान से ट्रंप बात क्यों नहीं कर रहे हैं, डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं ट्रंप के दिमाग में ईरान को लेकर कुछ और चल रहा है. संभव है कि ट्रंप ईरान पर फिर से हमले का प्लान बना रहे हों. 

    —- समाप्त —-



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