सेंट्रल रेलवे ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि 2025 के पहले 5 महीनों में ही अब तक 443 लोगों की या तो रेल की पटरियों पर अतिक्रमण करते हुए या लोकल ट्रेनों से गिरकर मौत हो चुकी है. बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में, सेंट्रल रेलवे ने अधिवक्ता अनामिका मल्होत्रा के माध्यम से अपना हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि घटनाओं का मुख्य कारण रेलवे ट्रैक पर अतिक्रमण, ट्रैक पार करते समय ट्रेनों की चपेट में आना और चलती ट्रेन से गिरना है.
सेंट्रल रेलवे द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे से पता चलता है कि 2018 में पटरी पार करते समय ट्रेनों की चपेट में आने के कारण 1022 लोगों की मौत हुई, जबकि चलती ट्रेन से गिरने के कारण 482 लोगों की मौत हुई. 2019 में ट्रैक पार करने के दौरान 920 लोगों की मौत हुई, जबकि चलती ट्रेन से गिरने के कारण 426 लोगों की मौत हुई. 2020 में ट्रैक पार करते समय ट्रेनों की चपेट में आकर 471 लोगों की मौत हुई, जबकि चलती ट्रेन से नीचे गिरने के कारण 134 लोगों की मौत हुई.
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वहीं 2021 में ट्रैक पार करते समय ट्रेन की चपेट में आकर 748 लोगों की मौत हुई, जबकि चलती ट्रेन से गिरने के कारण 189 लोगों की मौत हुई. 2022 में यह संख्या क्रमश: 654 और 510, 2023 में 782 और 431 और 2024 में 674 और 387 रही. इस वर्ष मई तक ट्रैक पार करते समय ट्रेन की चपेट में आकर 293 लोगों की मौत हो चुकी है और चलती ट्रेन से गिरने के कारण अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है. गत 9 जून को मुंब्रा की घटना के बाद जिसमें 8 यात्री एक-दूसरे के पास से गुजर रही दो लोकल ट्रेनों से गिर गए, जिनमें से पांच की मौत हो गई थी.
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इस घटना का संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेंट्रल रेलवे से पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए इस तरह के हादसों की रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सेंट्रल रेलवे ने यह हलफनामा दायर किया था. मुंब्रा की घटना की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दो तेज गति वाली लोकल ट्रेनों के एक साथ गुजरने के कारण ट्रैक पर जब कर्व आया तो दरवाजे के पास खड़े यात्रियों का संतुलन बिगड़ा और जिन्होंने ठीक से कुछ पकड़ा नहीं था वे नीचे गिर गए. ऐसे हादसों की प्रमुख वजह रेलवे पटरियों पर अतिक्रमण, असवाधानी से ट्रैक पार करना और चलती ट्रेनों में दरवाजे पर लटकर यात्रा करना शामिल है.
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