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    दिल्ली की दमघोंटू हवा, टोल मीम्स और रिटायरमेंट प्लान… इंटरव्यू में खुलकर बोले केंद्रीय मंत्री गडकरी

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    केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में अपनी निजी जिंदगी, राजनीति, दिल्ली में प्रदूषण की वजह, ट्रोलिंग, टोल टैक्स और रिटायरमेंट जैसी तमाम बातों पर खुलकर बातचीत की. यह इंटरव्यू ‘UnPolitics’ सीरीज के पहले एपिसोड में प्रसारित हुआ. गडकरी ने कहा, राजनीति- मेरे लिए सामाजिक और आर्थिक सुधारों का साधन है. मैं 90 प्रतिशत समाजसेवा करता हूं और 10 प्रतिशत राजनीति.

    गडकरी ने अपनी पढ़ाई के दिनों को याद किया और कहा, मैं 12वीं में सिर्फ 52% नंबर लाया था और इंजीनियरिंग में दाखिला नहीं मिल पाया. कभी नहीं सोचा था कि मुझे 13 मानद डॉक्टरेट मिलेंगी. हालांकि, उन्होंने विनम्रता से कहा, मुझे डॉ. गडकरी मत कहिए, अगर कुछ पाया है तो वो मेरी मां की वजह से है.

    राजनीतिक आदर्श और सीख…

    गडकरी ने जॉर्ज फर्नांडीस को अपना राजनीतिक प्रेरणास्रोत बताया. उन्होंने कहा, मैं उनके बहुत करीब था. उन्होंने मेरी राजनीतिक सोच को आकार दिया. गडकरी ने आगे कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के एबी बर्धन और कांग्रेस-समाजवादी आंदोलन के कई दिग्गजों नेताओं से भी प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा, अच्छाई किसी एक पार्टी का पेटेंट नहीं है.

    सत्ता से ऊपर विकास की राजनीति

    राजनीतिक विरोधियों के भी पसंदीदा होने पर गडकरी ने कहा, जो कोई भी मेरे पास आता है- सहयोगी या विरोधी… यदि उनका काम वैध है तो मैं मदद करने की कोशिश करता हूं. वाजपेयी जी (पूर्व प्रधानमंत्री) ने हमें सिखाया कि मंत्री हालांकि पार्टियों के होते हैं, लेकिन वे देश के भी होते हैं.

    टोल टैक्स पर ट्रोलिंग और मीम्स पर रिएक्शन

    गडकरी से जब पूछा गया कि टोल टैक्स को लेकर सोशल मीडिया पर उनके मीम्स बनते हैं तो वे मुस्कराए और बोले, हां, मैंने देखे हैं. मुझे सबसे ज्यादा पसंद ‘गदर’ वाला मीम है- ‘निकला गाड़ी लेके, टोल आया सामने.’ उन्होंने कहा कि जनता का गुस्सा जायज है, लेकिन सड़क निर्माण के लिए टोल जरूरी है.

    यूरिन से खाद और जैविक खेती का प्रयोग

    गडकरी ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने माली को 72 लीटर यूरिन दिया ताकि वो जैविक खाद बना सके. उन्होंने कहा, ये कचरे से कुबेर बनाने का प्रयोग है. उन्होंने विभिन्न जैविक कृषि तकनीकों और इनोवेशन के बारे में विस्तार से बताया.

    दमघोंटू हवा का जिम्मेदार ट्रांसपोर्ट सेक्टर
    गडकरी ने कहा, दिल्ली का 40% प्रदूषण परिवहन सेक्टर से आता है, इसीलिए मैंने इलेक्ट्रिक वाहन, इथेनॉल, बायो-CNG, LNG, हाइड्रोजन और फ्लेक्स-फ्यूल इंजन शुरू किए हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के प्रोजेक्ट चल रहे हैं.

    ‘Impossible’ का मतलब – ‘I am possible’

    गडकरी ने अपने हाइवे निर्माण लक्ष्य- 100 किमी प्रतिदिन को मुश्किल, लेकिन मुमकिन बताया. उन्होंने कहा, ‘मेरे शब्दकोश में ‘असंभव’ का मतलब होता है – I am possible.’ फिलहाल औसतन 36–38 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है. बेहतर योजना और क्रियान्वयन के जरिए इसमें उल्लेखनीय वृद्धि करने का टारगेट है.

    बड़े प्रोजेक्ट, कम समय, लेकिन जवाबदेही तय

    गडकरी ने कहा कि पूरे देश में कुल 72 लाख किमी सड़कें हैं. मैं सिर्फ 1.5 लाख किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए जिम्मेदार हूं. अगर समस्या मेरी सड़क पर है तो मैं ठेकेदार या अधिकारी को नहीं छोड़ूंगा. अगर गलती सच्ची है तो मैं माफ कर देता हूं. अगर धोखाधड़ी हुई है तो मैं सजा देता हूं.

    राजनीतिक रिश्ते और निजी जीवन

    गडकरी ने कहा कि उनके महाराष्ट्र के कई नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं. चाहे वे बालासाहेब ठाकरे हों, शरद पवार, उद्धव या राज ठाकरे. लेकिन निजी संबंधों और राजनीति को उन्होंने हमेशा अलग रखा. उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एक बार बालासाहेब ने उन्हें शराब ना पीने पर मजाक में ‘नितिन चड्ढी-छाप’ कह दिया था.

    महिला अध्यक्ष और नेतृत्व पर क्या बोले?

    जब गडकरी से पूछा गया कि क्या बीजेपी की अगली अध्यक्ष कोई महिला हो सकती है तो उन्होंने कहा, यह पार्टी के नेता तय करेंगे. मुझे कुछ बनने की ख्वाहिश नहीं रखता.

    PM मोदी को बताया असली विकास पुरुष

    गडकरी ने खुद को ‘विकास पुरुष’ कहे जाने पर विनम्रता दिखाई और कहा, असली विकास पुरुष नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री) हैं. उनके नेतृत्व में हमने वो कर दिखाया जो कांग्रेस 60 साल में नहीं कर सकी. उन्होंने आगे कहा, मैं बस अपना काम कर रहा हूं. मैं अच्छा हूं या बुरा, ये जनता तय करेगी.

    परिवार, छुट्टियां और रिटायरमेंट

    गडकरी ने बताया कि वो अपने पोते-पोतियों से हर सुबह बात करते हैं और परिवार के साथ छुट्टियों पर भी जाते हैं. हाल ही में वे स्पेन गए थे. उन्होंने कहा, मैं सादा जीवन जीता हूं और परिवार के साथ समय बिताकर आनंद लेता हूं.

    रिटायरमेंट को लेकर सवाल पूछे जाने पर 67 वर्षीय गडकरी हंसते हुए बोले, मुसीबत ये है कि जो काम 25 साल में करना चाहिए था, वो मैं कुछ ही सालों में करने की कोशिश कर रहा हूं. मेरे लिए रिटायरमेंट की कोई तारीख नहीं है. जब तक फिट हूं, तब तक काम करता रहूंगा. मैं लंबी योजनाएं नहीं बनाता- मैं अव्यवस्थित और अनुशासनहीन हूं.

    इंटरव्यू के आखिर में सुर्खियों में आने वाले विवादों में फंसने से इनकार करते हुए गडकरी ने कहा, मैं आपको हेडलाइन क्यों दूं? वो तो आपका काम है.

    —- समाप्त —-



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