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    कार तोड़ी, बाइक सवार को पीटा, स्कॉर्पियो पर बरसाए डंडे… कांवड़ यात्रा में हंगामे का जिम्मेदार कौन?

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    कहा जाता है कि हलाहल यानी सागर मंथन से निकले विष को जब भगवान शंकर ने गटक लिया तो असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा था, तब से कई मान्यताएं ऐसी हैं कि उस पीड़ा को शांत करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया गया. तभी सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई. ये आस्था की यात्रा संयम और तप से जुड़ी है, लेकिन अब हर बार इसी यात्रा के दौरान सड़कों पर हंगामा, तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट नजर आती है. कुछ लोग श्रद्धालुओं को उपद्रवी के तौर पर देखने लगते हैं. कुछ लोग भक्तों की आस्था से खिलवाड़ पर गुस्से को जायज मानने लगते हैं, लेकिन सवाल ये है कि इसे रोका क्यों नहीं जाता? इसका जिम्मेदार कौन है? सिर्फ कुछ कांवड़िए… कुछ गलत तरीके से गाड़ी चलाने वाले लोग या फिर वो सरकारें जो अब भी सुरक्षित कांवड़ यात्रा का इंतजाम नहीं कर पातीं.

    हरिद्वार में हंगामा, कांवड़ियों ने तोड़ी कार 

    हाथ में डंडे लेकर कार तोड़ी जा रही है, कोई शीशा फोड़ रहा है, कोई कार का गेट तोड़ रहा है. ऐसी तस्वीरें आई हैं हरिद्वार के बहादराबाद से. कार तोड़ने वाले कांवड़िए हैं. ये कांवड़िए बम भोले के नारों के साथ हरिद्वार से यूपी के गाजियाबाद के लिए कांवड़ में गंगाजल लेकर चल रहे हैं. आरोप है कि एक कार से टक्कर लगने के बाद कांवड़ खंडित हो गई. इसके बाद शिव का नाम लेकर चलते कांवड़ियों की टोली ने कार का कचूमर निकालना शुरू कर दिया.

    इस मामले में हरिद्वार पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. अब इस पर दो पक्ष हैं. कुछ लोगों को लगता है कि भक्ति की कांवड़ यात्रा में हुड़दंग क्यों? दूसरा पक्ष सोचता है कि इतनी कठिन यात्रा किसी कार की टक्कर से अधूरी रह जाए तो फिर गुस्से में आया कांवड़िया क्या करे? 

    हरिद्वार-रुड़की हाईवे पर स्कॉर्पियो तोड़ी

    ऐसा ही एक और वीडियो हरिद्वार-रुड़की हाईवे का सामने आया है, जिसमें कांवड़िए डंडे से स्कॉर्पियो कार पर हमला कर रहे हैं. फिर पांच से छह लोग इसी स्कॉर्पियो को किसी प्रतियोगिता की तरह पलट देने की कोशिश में जुटे हैं, इसमें वो महादेव का नारा भी लगाते हैं. पलट नहीं पाए तो फिर डंडा लगाकर शीशा फोड़ना शुरू कर दिया. फिर स्कॉर्पियो के बोनट पर खड़े होकर विंड स्क्रीन यानी आगे के शीशे को चकनाचूर कर दिया जाता है.

    कांवड़ खंडित होने पर हंगामा

    सवाल है कि इतना गुस्सा क्यों? ये सब हरिद्वार-रुड़की हाईवे पर हुआ, यहां भी आरोप वही हैं जो सावन के महीने में पिछले कई वर्ष के दौरान इस तरह की घटनाओं की वजह बनते हैं. हरिद्वार से कांवड़ में गंगाजल लेकर चलते कुछ कांवड़ियों से स्कॉर्पियो की टक्कर हुई. कांवड़ खंडित होने पर स्कॉर्पियो को खंड-खंड कर दिया गया.

    नतीजा ये हुआ कि 19 से 24 साल के 5 युवा कांवड़ियों को हरिद्वार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. यहां भी दो पक्ष वीडियो देखकर बनते हैं. एक पक्ष जिसे लगता है कि कांवड़ियों के रूप में कुछ लोग कानून के लिए खतरा बन जाते हैं. दूसरा पक्ष कहता है कि नंगे पैर, सैकड़ों लीटर गंगा जल कंधे पर लेकर चलने वाले कांवड़ियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ क्यों होता है? 

    मुजफ्फरनगर में बाइक सवार से मारपीट

    अब बात ऐसी ही तीसरी घटना की… घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की है. एक तरफ डंडा लेकर वार करते कुछ कांवड़िए हैं, तो दूसरी तरफ हेलमेट लेकर लड़ता एक बाइक सवार है. यहां भी ये हंगामा, मारपीट इसलिए क्योंकि दावा है कि बाइक सवार की टक्कर कांवड़िए से हुई. इसके बाद कांवड़ लेकर चलने वाले कांवड़िए हंगामे के दौरान पुलिस से भी नहीं डरते हैं. तो अब जिम्मेदार किसे कहा जाए? 

    ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन?

    1- कांवड़िए जो मारपीट कर रहे हैं? 2- कार या बाइक सवार जिनसे टक्कर के बाद कांवड़ खंडित हुई? 3- या फिर प्रशासन जो आज भी कांवड़ यात्रा को सुऱक्षित नहीं बना पाता? सवाल ये भी है कि जब यूपी से लेकर उत्तराखंड तक की सरकारों ने सावन में कांवड़ यात्रा के लिए तमाम उपाये किए हैं. सीएम योगी ने खुद हवाई सर्वेक्षण करके सकुशल और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, तो यूपी में ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही हैं, जिसमें कांवड़िए भी परेशान हो रहे हैं और अवाम भी. 

    MLA नंदकिशोर गुर्जर बोले-अधिकारी रोड़ा बन रहे

    लोनी के विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि अधिकारी सिर्फ दफ्तर में बैठकर काम कर रहे हैं, जबकि सड़कों पर कोई अधिकारी मौजूद नहीं है. सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए बड़े अधिकारी सड़क पर उतर रहे हैं. अगर कोई बड़ा बवाल हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सरकार की मंशा साफ है, लेकिन अधिकारी ही इसमें रोड़ा बन रहे हैं.

    उत्तराखंड में हो रहा एक्शन

    उत्तराखंड में तो पुलिस हंगामा करने वालों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में ज्यादातर जगह पर मामला आपस में समझौता करके पुलिस शायद छोड़ देने में जुटी है.

    क्या-क्या दावे किए गए?

    सरकारों के दावे और वादे एक तरफ और सड़क पर परेशानी झेल रहे कावंड़िए और आम लोग दूसरी तरफ. क्योंकि दावे तो यूपी में भी किए गए हैं कि मुख्य कांवड़ मार्गों पर कुल 29,454 सीसीटीवी कैमरे, 395 ड्रोन, 1222 पुलिस सहायता केन्द्र, 587 गजटेड ऑफिसर, 2040 इंस्पेक्टर, 13520 सब इंस्पेक्टर, 39965 हेड कॉन्स्टेबल/कॉन्स्टेबल, 1486 महिला सब इंस्पेक्टर, 8541 महिला हेड कॉन्स्टेबल/कॉन्स्टेबल, 50 कम्पनी केन्द्रीय पुलिस बल औऱ पीएसी के अलावा 1424 होमगार्ड्स की ड्यूटी लगाई गई है. इसके अलावा RAF, QRT और एंटी टेरर स्क्वाड की भी तैनाती है.

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