आज लंदन में अगर भारतीय व्यंजन का लुत्फ उठाना हो तो वहां कई सारे इंडियन रेस्तरां मौजूद हैं. लेकिन, कम ही लोगों को पता होगा कि आज से 215 साल पहले बिहार के पटना से निकले एक शख्स ने लंदन में जाकर वहां पहला इंडियन रेस्तरां खोला था. पटना के रहने वाले इस शख्स का नाम साके-दीन-मोहम्मद था.
ब्राइटेन एंड होव म्यूजियम (brightonmuseums.org.uk) की वेबसाइट के अनुसार, साके-दीन-मोहम्मद ने 1810 में लंदन के पोर्टमैन स्क्वायर के पास भारतीय व्यंजन परोसने वाला वाला एक रेस्टोरेंट खोला था. इसका नाम ‘हिंदुस्तान कॉफी हाउस’ था. इसे ब्रिटेन का पहला भारतीय रेस्टोरेंट था.
पटना के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था जन्म
1759 में भारत के पटना में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे मोहम्मद ने अपना कैरियर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शुरू किया. वहां उन्होंने 1782 तक सेवा की. इसके बाद वह अपने मित्र और कमांडिंग ऑफिसर के साथ आयरलैंड चले गए, जहां उनकी मुलाकात एक स्थानीय महिला जेन डेली से हुई और उन्होंने उससे विवाह कर लिया.
लंदन में ऐसे खुला पहला इंडियन रेस्टोरेंट
कुछ दिनों के बाद ये दंपत्ति इंग्लैंड पहुंचे. यहां मोहम्मद ने अपनी आजीविका के लिए कुछ नया काम करने का प्लान बनाया. उनके पास कई ऐसे स्किल्स थे, जिसकी बदौलत उन्हें आजीविका के लिए नए व्यवसाय वो आसानी से शुरू कर सकते थे. लंदन में भारतीय व्यंजन परोसने के नए आइडिया के साथ उन्होंने 1810 में ‘हिंदुस्तान कॉफी हाउस’ नाम से इंग्लैंड का पहला इंडियन रेस्टोरेंट खोला.
ब्राइटेन में खोला पहला वार्म और स्टीम बाथ सेंटर
दुर्भाग्य से मोहम्मद का रेस्टोरेंट शायद अपने समय से थोड़ा आगे था और मुश्किलों में पड़ गया. हालांकि, उनके करियर का अगला कदम कहीं ज्यादा सफल रहा. 1814 में वो ब्राइटन पहुंचे. ब्राइटन में उस वक्त जब समुद्र में स्नान काफी पॉपुलर हुआ था तो मोहम्मद ने तुरंत समुद्र तट पर पूल वैली में एक इनडोर स्नानघर खोल दिया.यहां भारतीय जड़ी-बुटियों और औषधियों का प्रयोग कर गर्म पानी और भाप से स्नान करने की सुविधा मुहैया कराने वाला पहला वेपर बाथ सेंटर खोला. ये शायद शुरुआती दिनों का पहला स्पा भी था.
ठंडे ब्रिटेन में गर्म पानी का मजा ले सकते थे लोग
साके-दीन-मोहम्मद के पास कई इनोवेटिव आइडियाज थे और अपने समय में इन्होंने इनका इस तरह से इस्तेमाल किया कि वेलनेस सेक्टर में एक नई क्रांति ला दी. मोहम्मद के स्नानागार में, लोग पाइप से लाए गए और गर्म किए गए समुद्री पानी में स्नान कर सकते थे. ऐसे में ब्रिटेन में पड़ने वाली भयानक ठंड में ये गर्म पानी और भाप वाला स्नानागार काफी लोकप्रिय हो गया.
राजा जॉर्ज -4 और विलियम-4 के शैम्पूइंग सर्जन बने
मोहम्मद के स्नानागार को शुरुआती स्पा अनुभवों में से एक माना जा सकता है. यह इतना सफल उद्यम था कि ब्राइटन में कई अन्य इनडोर स्नानागार भी खुलने लगे. मोहम्मद की सफलता को अनदेखा नहीं किया जा सका, और उन्हें राजा जॉर्ज चतुर्थ और विलियम चतुर्थ का शैम्पूइंग सर्जन नियुक्त किया गया. उन्होंने पास के रॉयल पैवेलियन में दोनों राजाओं का इलाज किया.
कई नए आईडिया की शुरुआत करने का इन्हें जाता है श्रेय
साके-दीन-मोहम्मद को कई चीजों की शुरुआत करने वाले के रूप में जाने जाते हैं. उन्हें शैम्पू के आविष्कार का जनक माना जाता है. मोहम्मद ने भारत से लाए गए कई तरह के उपचार भी शुरू किए. जैसे भारतीय तेलों से शैम्पू करने की शुरुआता करना, जो एक प्रकार की अरोमाथेरेपी मालिश है. इसके अलावा भारतीय औषधीय युक्त वाष्प स्नान, जिसमें लोगों को बैठकर औषधीय जड़ी-बूटियों से युक्त भाप में सांस लेनी होती थी. ये भी शुरुआत स्पा अनुभव था.
अंग्रेजी में किताब लिखने वाला पहला भारतीय
इसके अलावा 1794 में उन्होंने भारत पर एक किताब- ‘द ट्रैवल्स ऑफ डीन मोहम्मद’ प्रकाशित की थी. इसे अब किसी भारतीय लेखक की पहली अंग्रेजी रचना माना जाता है.गाइड और शोधकर्ता लुईस पेस्केट के अनुसार, मोहम्मद के सबसे सफल वर्ष ब्राइटन में बीते थे.
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