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    बेहोशी की दवा देकर यमनी पार्टनर को उतारा मौत के घाट, अब 6 दिनों में होगी फांसी! केरल की नर्स निमिषा प्रिया की पूरी कहानी

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    साल 2008! केरल की रहने वाली 19 साल की निमिषा प्रिया अपनी मां को दूसरे को घरों में रोज काम करते जाते देखती हैं. निमिषा प्रिया सोचती हैं कि एक दिन वो घर की माली हालत सुधार देंगी और फिर यमन जाने का फैसला करती हैं. यमन इसलिए क्योंकि उन्होंने नर्सिंग कोर्स किया है और वहां उन्हें आसानी से नौकरी मिल सकती है. केरल में नौकरी न मिलने की वजह से निमिषा सुनहरे सपनों के साथ दूसरे देश यमन गईं और अच्छी कमाई भी करने लगीं. फिर आता है साल 2017! खबर आती है कि केरल की रहने वाली निमिषा ने अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या कर दी है.

    महदी की हत्या के आरोप में यमन के शरिया कानून के तहत निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाई गई और लाख कोशिशों के बावजूद निमिषा की फांसी का दिन मुकर्रर कर दिया गया है- निमिषा को अगले हफ्ते बुधवार, 16 जुलाई को फांसी दी जानी हैं.

    अब कहानी विस्तार से….

    केरल की निमिषा प्रिया पढ़ाई में काफी अच्छी थी लेकिन घर की हालत ठीक नहीं थी जिस वजह से उनकी मां उनकी पढ़ाई का खर्चा नहीं उठा पा रही थीं. जैसे-तैसे उन्हें आधी-अधूरी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद स्थानीय चर्च उनकी पढ़ाई के लिए आगे आया और निमिषा के नर्सिंग डिप्लोमा कोर्स के लिए पैसे भी दिए. निमिषा ने नर्सिंग का कोर्स तो कर लिया लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी उन्हें केरल में नौकरी नहीं मिली. हर जगह उन्हें निराशा हाथ लगी और कहा गया कि उन्होंने डिप्लोमा से पहले अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की इसलिए नौकरी नहीं मिल सकती. 

    इस बीच निमिषा और उनकी मां को पता चला कि यमन में नर्सों के लिए अच्छे अवसर हैं और वहां उन्हें आसानी से नौकरी मिल सकती है. न चाहते हुए भी निमिषा की मां ने अपनी बेटी को यमन भेजने का फैसला किया और 19 साल की निमिषा अच्छे भविष्य का सपना लिए यमन चली गईं.

    यमन जाते ही निमिषा को देश की राजधानी सना के एक सरकारी अस्पताल में नर्स की नौकरी मिल गई. तब यमन आज की तरह गृहयुद्ध की चपेट में नहीं था और वहां शांति थी. नौकरी मिलते ही निमिषा मां को बताती हैं कि उनके दिन अब बदलने वाले हैं क्योंकि उन्हें सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गई हैं.

    सबकुछ अच्छा चल रहा था और फिर तीन साल बाद निमिषा अपनी शादी के लिए कोच्चि आईं. निमिषा की शादी ऑटो चलाने वाले टॉमी थॉमस से हुई और शादी के बाद वो पति के साथ यमन लौट गई. यमन में पहुंचकर निमिषा ने अपना काम जारी रखा और थॉमस ने भी नौकरी ढूंढ ली. उन्हें कोई अच्छी नौकरी तो नहीं मिली लेकिन एक इलेक्ट्रिशियन ने उन्हें अपना असिस्टेंट रख लिया. 

    फिर आया साल 2012 जब निमिषा ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के आने से घर में खुशियां तो आईं लेकिन दोनों वर्किंग पैरेंट्स के लिए अलग देश में बेटी की देखभाल करना मुश्किल हो गया. बेटी की देखरेख करना दोनों के लिए मुश्किल हो रहा था. थॉमस को सैलरी भी काफी कम मिलती थी, जिससे आर्थिक दिक्कतें भी बढ़ने लगी थी. ऐसे में थॉमस अपनी बच्ची की परवरिश के लिए 2014 में उसे लेकर वापस केरल लौट आए. इधर थॉमस बच्ची के साथ देश लौटे और उधर, यमन में गृहयुद्ध शुरू हो गया और भारतीयों को यमन के नए वीजा मिलने बंद हो गए.

    गृहयुद्ध की शुरुआत में यमन के हालात ज्यादा खराब नहीं थे और बेटी से दूर निमिषा सोचने लगी कि कैसे वो अपनी कमाई बढ़ाए ताकि पति और बच्ची को आराम से साथ रख सके. इसके लिए उसने अपना खुद का क्लिनिक खोलने की सोची. लेकिन यमन के कानून के मुताबिक, अगर किसी विदेशी को यमन में अपना बिजनेस खोलना है तो उसे किसी स्थानीय व्यक्ति के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ेगी.

    यमनी नागरिक को बनाया पार्टनर और फिर शुरू हो गई बर्बादी की कहानी

    निमिषा यमन में किसी को ज्यादा जानती नहीं थी और तभी उसे ख्याल आया महदी का जिनकी पत्नी ने उसी सरकारी अस्पताल में अपना बच्चा जन्मा था जहां निमिषा काम करती थी. महदी और उनके परिवार से निमिषा की जान-पहचान हो गई थी. महदी कपड़े की दुकान चलाकर अपना गुजारा करते थे. निमिषा ने महदी के सामने साथ मिलकर क्लिनिक खोलने का प्रस्ताव रखा तो वो मान गए. 

    क्लिनिक खोलने से पहले जनवरी 2015 में निमिषा अपनी बेटी के बाप्टिज्म के लिए भारत आईं. इस बार उनके साथ महदी भी आए. केरल में एक महीने रहने के दौरान निमिषा और उनके पति ने उधार आदि लेकर करीब 50 लाख रुपये जुटाए ताकि वो वापस जाकर क्लिनिक खोल सकें. लेकिन महदी ने इसी दौरान निमिषा के घर से उनकी शादी की तस्वीरें चुरा ली. उसके मन में पहले से ही निमिषा के लिए छल था और उसकी नजर उसके पैसों पर थी. उसने निमिषा की शादी की तस्वीरें चुरा लीं ताकि बाद में वो दावा कर सके कि निमिषा की उससे शादी हुई है और वही निमिषा का पति है.

    इस साजिश से बेखबर निमिषा यमन लौटीं और महदी के साथ मिलकर क्लिनिक की शुरुआत की. निमिषा का क्लिनिक 14 बेड का था और उसका नाम रखा गया-अल अमान मेडिकल क्लिनिक.

     निमिषा ने इसी दौरान बेटी और पति को यमन बुलाने की कोशिशें भी शुरू कर दीं लेकिन तभी यमन में गृहयुद्ध तेज हो गया और भारत सरकार ने यमन की यात्रा पर रोक लगा दी. 

    भारत सरकार ने यमन में रह रहे अपने 4,600 नागरिकों को बाहर निकाला लेकिन निमिषा ने अपना नया क्लिनिक छोड़ भारत लौटने से इनकार कर दिया. उनपर दोस्तों और परिवार वालों का बहुत कर्जा था जिसे उन्होंने क्लिनिक खोलने के लिए लिया था. ऐसे में वो भारत नहीं लौट सकती थीं. लेकिन उन्हें पता नहीं था कि यमन में रहना उनकी जान पर बन आएगा.

    निमिषा का क्लिनिक अच्छा चलने लगा और इसी बीच महदी ने अपने असली रंग दिखाने शुरू किए. उसने सबको बता दिया कि निमिषा उसकी पत्नी है और क्लिनिक से होने वाली कमाई उसने निमिषा से छिनना शुरू कर दिया.

    महदी ने हड़प लिया निमिषा का क्लिनिक, करने लगा अत्याचार

    निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, ‘निमिषा के क्लिनिक खोलने के कुछ समय बाद ही महदी ने क्लिनिक के कागजात में छेड़छाड़ कर उसे अपना बताना शुरू किया. वो सबसे कहता कि निमिषा मेरी पत्नी है और उसने क्लिनिक की कमाई भी रखनी शुरू कर दी. निमिषा ने आरोप लगाया कि महदी ने सालों तक उसे और उसके परिवार को प्रताड़ित किया. महदी ने उसका पासपोर्ट भी रख लिया था ताकि वो यमन से भाग न सके. वो ड्रग्स लेता था और निमिषा को टॉर्चर करता था. उसने कई बार बंदूक की नोंक पर निमिषा को धमकी भी दी. उसने क्लिनिक के सारे पैसे रख लिए और उसके गहने भी जबरदस्ती छीन लिए.’

    याचिका में आगे कहा गया है कि शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर निमिषा ने सना की पुलिस में इसकी शिकायत की. लेकिन पुलिस ने महदी पर कोई कार्रवाई करने के बजाए निमिषा को ही अरेस्ट कर लिया और उसे छह दिनों तक जेल में रखा. जेल से निकलने के बाद निमिषा पर महदी के अत्याचार कई गुना बढ़ गए. इसी बीच जुलाई 2017 में निमिषा की जान-पहचान अपनी क्लिनिक के पास वाले जेल की वार्डन से हो गई. वार्डन ने निमिषा की कहानी सुन उसे सुझाव दिया कि वो बेहोशी की दवा की मदद ले सकती है जिससे उसे अपना पासपोर्ट मिल जाए.

    प्रताड़ना से परेशान निमिषा किसी भी तरह से अपना पासपोर्ट हासिल कर अपने देश वापस भाग जाना चाहती थीं और इसी कारण उन्होंने महदी को बेहोशी को दवाई दे दी. लेकिन महदी ड्रग्स लेता था जिससे उसपर बेहोशी का दवा का कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में निमिषा ने उसे दूसरे दिन बेहोश करने की कोशिश की और इस बार बेहोशी का दवा का डोज थोड़ा ज्यादा रखा. लेकिन डोज महदी के लिए इतना ज्यादा हो गया कि वो हमेशा के लिए बेहोश हो गया, मिनटों में उसकी मौत हो गई.

    कथित तौर पर मौत के बाद निमिषा ने महदी के शव के टुकड़े किए वाटर टैंक डाल दिया. इसके बाद वो वहां से फरार हो गई. महदी की मौत के लिए निमिषा को जिम्मेदार बताया गया और उसकी तलाश शुरू की गई. निमिषा एक महीने बाद सऊदी अरब की सीमा के नजदीक यमन से गिरफ्तार कर ली गईं और जेल में बंद कर दिया गया.

    साल 2020 में निमिषा को सुनाई गई मौत की सजा

    साल 2020 में एक स्थानीय अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई. इधर, भारत में निमिषा के परिवार ने स्थानीय अदालत के फैसले को यमन के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जो 2023 में खारिज कर दिया गया और इसके बाद जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों के शीर्ष राजनीतिक परिषद ने निमिषा के फांसी को मंजूरी दे दी.

    इसके बाद निमिषा का मां अपनी बेटी को बचाने की कोशिशों में किसी तरह यमन पहुंचीं और उन्होंने किसी स्थानीय मध्यस्थ के जरिए महदी के परिवार से बातचीत शुरू की. निमिषा को बचाने का एक ही रास्ता है और वो है पीड़ित महदी के परिवार का निमिषा को ‘ब्लड मनी’ के बदले में माफ करना. निमिषा के परिवार के वकील का कहना है कि मध्यस्थता वार्ता के तहत दो बार 19 लाख रुपये की मांग की गई थी और भारतीय दूतावास के जरिए महदी पक्ष के वकील को 38 लाख रुपये भेजे जा चुके हैं. बावजूद इसके, निमिषा की मौत की सजा नहीं टाली जा सकी है.

    निमिषा प्रिया को बचाने के लिए ‘Save Nimisha Priya International Action Council’ नाम से एक समूह बनाया गया है जिसकी मदद से ब्लड मनी के लिए पैसे जमा किए गए हैं. निमिषा के परिवार के वकील ने बताया कि महदी के परिवार को 10 लाख डॉलर तक की पेशकश की गई है लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है. निमिषा की फांसी में अब बस 6 दिन बाकी हैं लेकिन कोशिशें अब भी जारी हैं और निमिषा के पति और 13 साल की बेटी को अब भी किसी चमत्कार की आस है.

    जनवरी 2025 में बीबीसी से बात करते हुए निमिषा के पति थॉमस ने कहा था कि बेटी हर मंगलवार अपनी मां से बात करती है और जब भी बात करती है तो उसका एक ही सवाल होता है कि ‘मां वापस कब आओगी.’ 

    —- समाप्त —-



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