प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग नेटवर्क के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ ‘छांगुर बाबा’ के खिलाफ 106 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू कर दी है. छांगुर बाबा का असली नाम करीमुल्ला शाह है और वह उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के मदपुर गांव का निवासी है. उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (यूपी ATS) द्वारा दर्ज एक FIR पर कार्रवाई करते हुए ईडी ने 9 जुलाई 2025 को ECIR दर्ज की. साथ ही मामले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत शुरू की.
FIR के अनुसार छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन समेत कई अन्य लोगों ने चांद औलिया दरगाह को केंद्र बनाकर धार्मिक प्रचार, विदेशी नागरिकों से मुलाकात और बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का अभियान चलाया. इन लोगों पर हिंदू, अनुसूचित जातियों और गरीब तबकों को निशाना बनाकर मानसिक रूप से प्रभावित करने और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरण कराने का आरोप है. ATS ने छांगुर बाबा को 5 जुलाई को लखनऊ के एक होटल से गिरफ्तार किया था. छांगुर बाबा 16 जुलाई तक एटीएस की हिरासत में है.
मनी लॉन्ड्रिंग का जाल और अवैध संपत्तियां
ED की शुरुआती जांच में चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए हैं. छांगुर बाबा के पास 40 बैंक खातों में 106 करोड़ से अधिक की रकम मिली है, जिनमें से अधिकांश पैसा मिडिल ईस्ट से आया था. जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने इन पैसों से अवैध रूप से बड़ी संपत्ति अर्जित की और वैधानिक भूमि उपयोग अनुमति के बिना आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत भवनों का निर्माण करवाया. हालांकि जिला प्रशासन ने छांगुर बाबा के बलरामपुर आवास के कुछ हिस्सों समेत इन अवैध ढांचों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है.
ED की जांच और दस्तावेजी कार्रवाई
ED ने इस मामले से जुड़े सभी वित्तीय और संपत्ति रिकॉर्ड जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 10 जुलाई 2025 को SP, ATS और बलरामपुर DM को पत्र लिखकर एफआईआर की प्रमाणित प्रति, बैंक खाता विवरण, संपत्ति और संस्थाओं की जानकारी मांगी गई है. साथ ही संबंधित बैंकों की एंटी मनी लॉन्ड्रिंग (AML) यूनिट्स को 40 खातों की बैंक स्टेटमेंट भी भेजने का निर्देश दिया गया है.
राजनीतिक और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ी
इस केस ने राजनीतिक हलकों और सुरक्षा एजेंसियों में गहरी चिंता पैदा कर दी है. एजेंसियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग या धर्मांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़ी संगठित साजिश है जो धार्मिक मंचों का इस्तेमाल कर आर्थिक और वैचारिक लाभ हासिल कर रही है.
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