इस साल दिल्ली में मॉनसून का मौसम कुछ खास नहीं रहा. आसमान में बादल तो छाए, लेकिन बारिश की उम्मीदें बार-बार टूटीं. पड़ोसी राज्यों में खूब बारिश हुई, लेकिन दिल्ली में 1 जून से 9 जुलाई तक सामान्य से 23% कम बारिश दर्ज की गई.
दूसरी ओर, पूरे देश में मॉनसून ने अच्छा प्रदर्शन किया. सामान्य से 15% ज्यादा बारिश हुई. हरियाणा में 32%, पंजाब में 15%, राजस्थान में 121% और उत्तराखंड में 22% ज्यादा बारिश हुई, लेकिन दिल्ली पीछे रह गई. आइए, समझते हैं कि दिल्ली में बारिश की भविष्यवाणी क्यों नाकाम रही और इसके पीछे क्या कारण हैं.
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दिल्ली में मॉनसून की स्थिति
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की थी कि 29 जून को मॉनसून दिल्ली पहुंचेगा, जो सामान्य तारीख से दो दिन पहले था. IMD ने 6 जुलाई से दिल्ली में भारी बारिश की उम्मीद जताई थी, क्योंकि मॉनसून ट्रफ (जो बारिश लाती है) मध्य भारत से उत्तर की ओर बढ़ रही थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दिल्ली में केवल हल्की और छिटपुट बारिश हुई, जबकि कुछ बाहरी इलाकों, जैसे नजफगढ़ में मध्यम बारिश दर्ज की गई.
IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.के. जेनामणि ने बताया कि मॉनसून ट्रफ दिल्ली के ऊपर कुछ घंटों के लिए ही सक्रिय रही. फिर उत्तर की ओर पंजाब की ओर चली गई. अभी यह ट्रफ दिल्ली से 150 किलोमीटर उत्तर में चंडीगढ़ के पास है. इस वजह से दिल्ली में अगले कुछ दिनों में अच्छी बारिश की संभावना कम है.
क्यों नाकाम हो रही है बारिश की भविष्यवाणी?
दिल्ली जैसे बड़े शहर में बारिश की भविष्यवाणी करना आसान नहीं है. कई कारणों से IMD की भविष्यवाणियां सटीक नहीं हो पा रही हैं. इनमें स्थानीय और बड़े स्तर के मौसमी कारक शामिल हैं.
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1. शहरी गर्मी का प्रभाव (अर्बन हीट आइलैंड)
दिल्ली में तेजी से शहरीकरण हुआ है. ऊंची इमारतें, सड़कें और कंक्रीट की सतहों ने शहर को गर्म कर दिया है. इसे अर्बन हीट आइलैंड (UHI) प्रभाव कहते हैं. इसकी वजह से दिल्ली के दक्षिण और पूर्वी हिस्सों में तापमान आसपास के ग्रामीण इलाकों से 2°C से 9°C तक ज्यादा रहता है.
UHI का बारिश पर असर: गर्म सतहें हवा को गर्म करती हैं, जिससे स्थानीय हवा का बहाव और बादल बनने की प्रक्रिया बदल जाती है. यह बारिश को रोक सकता है या उसे दूसरी जगह ले जा सकता है. इस वजह से दिल्ली के घने शहरी इलाकों में बारिश कम हो रही है.
पानी की कमी: कंक्रीट की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जाता, जिससे पानी की कमी और बढ़ जाती है.
2. मॉनसून ट्रफ का बदलता रास्ता
मॉनसून ट्रफ एक ऐसी मौसमी रेखा है, जो बारिश लाने में अहम भूमिका निभाती है. इस साल यह ट्रफ दिल्ली के ऊपर कम समय रही और जल्दी ही उत्तर की ओर (पंजाब और चंडीगढ़) चली गई. जब ट्रफ उत्तर में रहती है, तो दिल्ली में बारिश की संभावना कम हो जाती है. IMD ने बताया कि ट्रफ के इस रास्ते में बदलाव की वजह से दिल्ली में बारिश की भविष्यवाणी गलत साबित हुई.
3. पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances)
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) भूमध्य सागर से आने वाले मौसमी सिस्टम हैं, जो उत्तर भारत में बारिश लाते हैं. इस साल ये विक्षोभ ज्यादातर दिल्ली के उत्तर से गुजरे, जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड. डॉ. जेनामणि के मुताबिक इन विक्षोभों का दिल्ली के ऊपर कम असर पड़ा, जिससे बारिश की मात्रा कम रही.
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4. जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितता
जलवायु परिवर्तन ने मौसम को और जटिल बना दिया है. IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय मोहपात्रा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम की भविष्यवाणी का समय कम हो गया है. पहले जहां तीन दिन पहले भारी बारिश की भविष्यवाणी की जा सकती थी, अब यह समय डेढ़ दिन रह गया है. इससे दिल्ली जैसे शहरों में सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है.
5. स्थानीय मौसम की जटिलता
दिल्ली में मौसम बहुत छोटे स्तर पर बदलता है. एक इलाके में बारिश हो सकती है, जबकि दूसरा इलाका सूखा रह सकता है. उदाहरण के लिए, मंगलवार (8 जुलाई) को दिल्ली के मंगेशपुर में 2 मिमी बारिश हुई, लेकिन बाकी शहर में बारिश न के बराबर थी. इस तरह की स्थानीय भिन्नता भविष्यवाणी को और मुश्किल बनाती है.
क्या दिल्ली में जल्द होगी अच्छी बारिश?
IMD का अनुमान है कि दिल्ली में 3 से 10 जुलाई तक मॉनसून ट्रफ सामान्य स्थिति में रहेगी, जिससे बारिश की संभावना बढ़ सकती है. हालांकि, अभी तक की स्थिति को भांपते हुए, भारी बारिश की उम्मीद कम है.
मौसम विशेषज्ञ आश्वरी तिवारी ने बताया कि मॉनसून ट्रफ के उत्तर की ओर खिसकने और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में ज्यादा बारिश हो रही है, लेकिन दिल्ली में इसका असर कम है.
IMD ने 9 जुलाई के लिए यलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें हल्की से मध्यम बारिश और गरज-चमक की संभावना जताई गई है. लेकिन भारी बारिश की उम्मीद अभी कम है.
क्या हैं समाधान?
दिल्ली में बारिश की कमी और भविष्यवाणी की नाकामी से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं…
- शहरीकरण पर नियंत्रण: अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव को कम करने के लिए दिल्ली में हरे-भरे पार्क, शहरी जंगल, और पानी के स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है
- बेहतर मौसम मॉडल: मौसम विभाग को ऐसे मॉडल विकसित करने होंगे, जो स्थानीय स्तर पर मौसम की जटिलता को समझ सकें.
- जलवायु परिवर्तन पर ध्यान: जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना जरूरी है.
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