भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) को लेकर अमेरिका गई भारतीय वार्ताकारों की टीम वापस आ चुकी है. बीते कुछ समय में दोनों देशों के बीच बातचीत में तेजी जरूर आई, लेकिन कई मुद्दों पर फंसे पेंच के चलते समझौते पर अब तक अंतिम सहमति नहीं बन सकी है. वहीं जिन मुद्दों को लेकर बात अटकी हुई है, उसे लेकर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा कि भारत ट्रेड डील में जल्दबाजी के पक्ष में नहीं है, तो वहीं अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने भी अपना रुख साफ करते हुए कह दिया है कि भारत किसी दबाव में नहीं आएगा और अपने मूल हितों से समझौता कतई नहीं करेगा.
शिवराज सिंह बोले- ‘नेशन फर्स्ट हमारा मूल मंत्र’
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता के अहम मोड़ पर पहुंचने के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत सरकार का रुख साफ किया है और दो टूक कहा है कि देश अपने मूल हितों से समझौता करने के पक्ष में नहीं है. उन्होंने रविवार को India-US Trade Deal पर बात करते हुए कहा कि, ‘Nation First हमारा मूल मंत्र है और किसी भी तरह की कोई बातचीत दबाव में नहीं होगी. भारतीय किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही बातचीत की जाएगी और हम किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएंगे.’
गोयल ने कहा- ‘जल्दबाजी में नहीं है भारत’
Shivraj Singh Chauhan से पहले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी सरकार के इसी तरह के रुख को रेखांकित किया था और बीते शुक्रवार को कहा था कि भारत व्यापार समझौते में जल्दबाजी करने से इनकार करता है. उन्होंने कहा था कि FTA दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति होनी चाहिए और भारत कभी भी डेडलाइन के आधार पर बिजनेस डील्स पर बातचीत नहीं करता है. बता दें कि अमेरिका द्वारा भारत पर अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को खोलने का दबाव डाला जा रहा है, जिसे लेकर ट्रेड डील अंतिम समझौते तक नहीं पहुंच पाई है.
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी जून महीने के आखिर में India-US Trade Deal को लेकर सरकार की ओर पहला बयान देते हुए ये साफ कर दिया था कि भारत, अमेरिका के साथ एक बड़ा और शानदार समझौता करना चाहेगा, लेकिन इसके लिए शर्तें भी लागू होंगी. उन्होंने कहा था कि भारत में एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर्स के लिए अभी निश्चित सीमाएं हैं, जिन पर विचार किया जाना बेहद जरूरी है.
US की बात मानने से क्या नुकसान?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ओर से बीते 2 अप्रैल को भारत पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया था और फिर इसे 90 दिन के लिए टाला गया था. अब इसकी डेडलाइन 9 जुलाई को खत्म होने जा रही है. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका औद्योगिक वस्तुओं, EV, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स के साथ ही डेयरी, सेब और ट्री नट्स समेत कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम किए जाने की मांग पर जोर दे रहा है, तो वहीं भारत ने कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, झींगा, केला, अंगूर समेत अन्य प्रोडक्ट्स पर टैरिफ में राहत को प्राथमिकता दे रहा है.
अमेरिका की बात मानने से होने वाले नुकसान को लेकर ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि US Agriculture Products पर टैरिफ कटौती से भारत की खाद्य सुरक्षा कमजोर हो सकती है, क्योंकि इससे छोटे किसानों को सस्ते, सब्सिडी वाले आयात और वैश्विक मूल्य अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है.
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