कहते हैं कि अंग्रेज चले गए, लेकिन अंग्रेजियत नहीं गई. ताजा मामला मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के कमिश्नर बंगले का है. पहले से आधा एकड़ में बने सर्व सुविधायुक्त कमिश्नर बंगले से अधिकारियों का मोह भंग हो गया है. अब शहडोल के कमिश्नर के लिए जो बंगला बनाया जा रहा है, वह ढाई एकड़ में बनेगा और इस बंगले को बनाने के लिए शासकीय टेक्निकल स्कूल के खेल मैदान की बलि दी जा रही है.
दरअसल, जहां एक ओर सरकारें अपने खर्च को कम करने की बात कर रही हैं, मंत्रियों और अधिकारियों के बड़े खर्चीले बंगलों को छोटा और कम जगह में बनाने की योजना चल रही है, वहीं इसके उलट शहडोल कमिश्नर के बंगले के लिए एक शिक्षण संस्थान के खेल मैदान की बलि दी जा रही है.
लगभग 11 एकड़ में शहर के बीचों-बीच स्थित एक कैंपस कभी शासकीय टेक्निकल स्कूल हुआ करता था. वर्तमान में यहां कई शासकीय कार्यालय संचालित हो रहे हैं. लेकिन इसी के बीचों-बीच बन रहे कमिश्नर बंगले का निर्माण शुरू होने से लोगों में भारी नाराजगी है.
लोगों का कहना है कि इस बेशकीमती जमीन पर कोई शिक्षण संस्थान या स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा सकता था, लेकिन इस जगह के बीच में कमिश्नर बंगला बनाया जाना गलत है. जबकि वर्तमान में जहां कमिश्नर रहते हैं, वह बंगला भी आधे एकड़ में बना हुआ है.
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