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    भगोड़े नीरव मोदी का भाई नेहल अमेरिका में गिरफ्तार, भारत लाने में अभी कितना इंतजार? जानें- प्रत्यर्पण में क्या अड़चनें

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    अमेरिका में गिरफ्तार किए गए भगोड़े नीरव मोदी के भाई नेहल को भारत लाने की राह अब शुरू तो हो चुकी है, लेकिन यह आसान नहीं होने वाली. भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI द्वारा संयुक्त रूप से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए अमेरिकी अधिकारियों ने नेहल मोदी को शुक्रवार (4 जुलाई) को हिरासत में लिया.

    दरअसल, नेहल मोदी (46) पर आरोप है कि उसने अपने भाई नीरव मोदी की मदद करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छुपाया और उसे शेल कंपनियों और विदेशी लेनदेन के जरिए इधर-उधर किया. प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में नेहल मोदी को सह-आरोपी के तौर पर नामित किया गया है, और उस पर सबूत मिटाने का भी आरोप है.

    नीरव मोदी लंदन की एक जेल में बंद हैं और भारत के अनुरोध पर ब्रिटेन से प्रत्यर्पण की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं.

    भारत की इस बड़ी कूटनीतिक और जांच एजेंसियों की सफलता के बाद भी कई ऐसी कानूनी और प्रक्रियात्मक चुनौतियां हैं जो नेहल मोदी के प्रत्यर्पण को लंबा खींच सकती हैं.

    क्या हैं प्रमुख अड़चनें?

    1. अमेरिकी अदालत की प्रक्रिया धीमी और जटिल

    अमेरिका में प्रत्यर्पण एक पूर्ण कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें अदालत सबूतों की गहन समीक्षा करती है. प्रत्यर्पण केवल तभी स्वीकार किया जाता है जब अमेरिकी न्यायालय को यह संतुष्टि हो कि मामला भारत की ओर से दिए गए दस्तावेज़ों के आधार पर वैध है.

    2. नेहल मोदी की जमानत याचिका और अपील का विकल्प

    नेहल मोदी 17 जुलाई 2025 को अदालत में पेश होगा, जहां वह जमानत की मांग कर सकता है. अमेरिकी अभियोजन पक्ष इसका विरोध करेगा, लेकिन यदि अदालत जमानत दे देती है तो प्रत्यर्पण में देरी हो सकती है. इसके अलावा, नेहल के पास अपीलीय प्रक्रिया में जाने का भी अधिकार होगा, जिससे मामला वर्षों तक खिंच सकता है.

    3. राजनीतिक उत्पीड़न का तर्क

    नेहल मोदी की ओर से यह दलील दी जा सकती है कि उसका भारत में मुकदमा राजनीतिक द्वेष और उत्पीड़न के तहत चलाया जा रहा है. यह तर्क अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण मामलों में कई बार सामने आता है, और अदालतें इसे गंभीरता से लेती हैं.

    4. मानवाधिकार से जुड़े तर्क

    अमेरिकी कानून के तहत, प्रत्यर्पण से पहले यह तय करना आवश्यक होता है कि आरोपी के मानवाधिकारों का उल्लंघन भारत में नहीं होगा. नेहल की ओर से यह दावा किया जा सकता है कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई या उचित जेल सुविधाएं नहीं मिलेंगी.

    किस आधार पर भारत ने की प्रत्यर्पण की मांग?

    भारत की ओर से नेहल मोदी के खिलाफ दो आरोप लगाए गए हैं. एक धन शोधन (Money Laundering) – PMLA 2002 की धारा 3 के तहत और दूसरा आपराधिक साजिश और सबूत मिटाना – IPC की धारा 120-B और 201 के तहत. भारत का आरोप है कि 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के PNB घोटाले में नेहल ने नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी की मदद की. 

    ED के आरोप पत्र के मुताबिक, नेहल ने शेल कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शनों के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई को छुपाया. इतना ही नहीं, उसने दुबई से 50 किलो सोना और बड़ी मात्रा में नकदी भी ट्रांसफर कराई और डमी निदेशकों को निर्देश दिया कि वे जांच एजेंसियों को उसका नाम न बताएं.

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