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    बिहार: एक साल पहले हटाई गई थी कारोबारी गोपाल खेमका की सुरक्षा, 7 साल पहले ऐसे ही हुई थी बेटे की भी हत्या

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    बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार रात राज्य के प्रमुख कारोबारी गोपाल खेमका की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. घटना गांधी मैदान थाना क्षेत्र की है, जहां रात करीब 11:40 बजे जैसे ही खेमका अपनी कार से उतरने लगे, बाइक पर सवार अज्ञात हमलावर ने उन फायरिंग शुरू कर दी. करीब सात साल पहले इसी तरीके से उनके बेटे की भी हत्या कर दी गई थी.

    सात साल पहले ऐसे ही हुई थी खेमका के बेटे की हत्या

    2018 में गोपाल खेमका के बेटे की भी हाजीपुर में एक भूमि विवाद के मामले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी, जिसे अप्रैल 2024 में वापस ले लिया गया, उन्होंने इसके बाद दोबारा सुरक्षा की मांग नहीं की थी.

    बता दें गोपाल खेमका को घर के सामने गोली मारे जाने के बाद परिजन उन्हें लेकर निजी अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने गोपाल खेमका को मृत घोषित कर दिया. घटना स्थल से एक गोली और एक कारतूस बरामद किया गया है. फॉरेंसिक टीम द्वारा जांच और आसपास के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं.

    बिहार पुलिस के डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच में पुरानी रंजिश की आशंका है. एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है, जिसमें स्पेशल टास्क फोर्स और सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट पुलिस के अधिकारी शामिल हैं. कुछ तकनीकी और वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अहम सुराग मिले है जिससे पुलिस जल्द हत्यारों तक पहुंच सकती है.

    हत्याकांड से बढ़ी सियासी हलचल

    वहीं इस हत्याकांड ने चुनावी साल में बिहार में सियासी हलचल मचा दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और शनिवार को कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने मामले की जल्द जांच पूरी करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए है.

    वहीं, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने शोक संतप्त परिवार से मुलाकात कर कहा, ‘यह केवल हत्या नहीं बल्कि कानून व्यवस्था को चुनौती है, जरूरत पड़ी तो अपराधियों का एनकाउंटर भी किया जाएगा.’ 

    विपक्ष ने बताया ‘जंगलराज’

    घटना के बाद राज्य में राजनीत भी तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़, और सांसद पप्पू यादव ने इसे जंगलराज की निशानी बताते हुए सरकार पर निशाना साधा है. इस घटना ने एक बार फिर बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

     

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