महाराष्ट्र की राजनीतिक में आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिलेगा, जिसमें दो दशकों से अलग-थलग पड़े राज और उद्धव ठाकरे मराठी अस्मिता के नाम पर एक साथ एक मंच पर नजर आएंंगे. ठाकरे बंधुओं के मंच साझा करने से अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि क्या यह मौका सियासी बदलावों के लिए जाने जाने वाले महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक गठबंधन का संकेत हो सकता है? राज और उद्धव ठाकरे के इस पुनर्मिलन को मुमकिन बनाया नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी (त्रि-भाषा नीति) ने. दोनों नेताओं ने इसे मराठी अस्मिता से जोड़ा और यह कहकर इस नीति का विरोध किया कि केंद्र सरकार इसके बहाने गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपना चाहती है.
यह मनसे और शिवसेना-यूबीटी का संयुक्त विरोध ही था, जिसके कारण महायुति सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े और त्रि-भाषा नीति को स्थगित करना पड़ा. मराठी एकता की इस जीत का जश्न मनाने के लिए 5 जुलाई को सुबह 10 बजे वर्ली के NSCI डोम में मनसे और शिवसेना-यूबीटी की ओर से एक भव्य रैली आयोजित की जाएगी. इस कार्यक्रम में मराठी लेखक, कवि, शिक्षक, संपादक और कलाकारों सहित विविध लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. उद्धव सेना और मनसे दोनों के नेताओं द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को शामिल करने के लिए विजय रैली की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है.
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रैली में नहीं आएंगे शरद पवार और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
मंच पर राज और उद्धव ठाकरे के साथ-साथ इस विजय रैली में भाग लेने वाली पार्टियों के अध्यक्ष या राज्य प्रमुख भी मौजूद रहेंगे. हालांकि, एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल के इस रैली में शामिल नहीं होने की बात सामने आ रही है. दोनों नेताओं को मनसे ने आमंत्रित किया है. लेकिन मनसे सूत्रों ने बताया कि हर्षवर्धन सपकाल से संपर्क नहीं हो पाया क्योंकि वह उपलब्ध नहीं थे. शरद पवार कल मुंबई में हैं, लेकिन उनके विजय रैली में शामिल होने की संभावना नहीं है. वर्ली डोम में 7,000-8,000 लोग बैठ सकते हैं, सभी उपस्थित लोगों की मंच पर होने वाली गतिविधि ठीक से दिखे, यह सुनिश्चित करने के लिए अंदर, बाहर और आस-पास की सड़कों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं.
ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन पर BJP-शिवसेना का कटाक्ष
वर्ली डोम के बाहर एलईडी स्क्रीन के लगाकर अतिरिक्त भीड़ को जोड़ने की योजना बनाई गई है. हालांकि, इस पुनर्मिलन पर सत्तारूढ़ पार्टी ने संदेह जताया है. भाजपा सांसद नारायण राणे ने तर्क दिया है कि ठाकरे भाइयों की एकता मराठी गौरव से कम और नगर निगम चुनावों में अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता सुनिश्चित करने से अधिक जुड़ी है. साथ ही, शिवसेना (शिंदे) नेता रामदास कदम ने दावा किया कि उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी के लगभग तीस साल तक बीएमसी पर शासन करने के दौरान ज्यादातर मराठी लोगों को मुंबई छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. हालांकि, मनसे नेता प्रकाश महाजन मराठी लोगों की एकता के लिए सकारात्मक संकेत की उम्मीद कर रहे हैं.
BMC इलेक्शन में मनसे-उद्धव सेना के साथ आने की चर्चा
चूंकि दोनों भाई चुनौतीपूर्ण राजनीतिक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, इसलिए 5 जुलाई की रैली ने महाराष्ट्र के राजनीतिक लोगों में व्यापक रुचि जगाई है. क्या यह पुनर्मिलन महाराष्ट्र की प्रतिस्पर्धी राजनीति में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए व्यापक राजनीतिक मेल-मिलाप का मार्ग प्रशस्त कर सकता है? राज्य सरकार की पैनी नजर के साथ, वर्ली डोम में होने वाली विजय रैली एक उत्सव से कहीं अधिक साबित हो सकता है- यह ठाकरे बंधुओं और महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि मनसे और उद्धव सेना आगामी बीएमसी इलेक्शन के लिए एक साथ आ सकती हैं.
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