प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रवार को त्रिनिदाद और टोबैगो का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘The Order of the Republic of Trinidad & Tobago’ से सम्मानित किया गया. यह सम्मान उन्हें देश की यात्रा के दौरान प्रदान किया गया. इसे स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार करता हूं.”
दरअसल, त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला पसाद-बिस्सेसर ने पूरे मंत्रिमंडल के साथ पिआर्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया. स्वागत समारोह की खास बात यह रही कि सभी मंत्री पारंपरिक भारतीय परिधानों में नजर आए. एयरपोर्ट पर भारतीय पौराणिक पात्रों की वेशभूषा में कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जो पीएम मोदी के होटल पहुंचने तक जारी रहीं.
पीएम मोदी ने शाम को वहां की संसद को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित रेड हाउस में आपसे बात करने वाला पहला भारतीय प्रधान मंत्री होने पर मुझे गर्व है. इस ऐतिहासिक लाल इमारत ने स्वतंत्रता और सम्मान के लिए त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के संघर्ष और बलिदान को देखा है. हमारे दोनों राष्ट्र औपनिवेशिक शासन की छाया से निकलकर अपनी स्याही के रूप में साहस और अपनी कलम के रूप में लोकतंत्र के साथ अपनी कहानियाँ लिखने के लिए उभरे.
बिहार का योगदान दुनिया को राह दिखाता है
उन्होंने कहा कि आज, हमारे दोनों देश आधुनिक दुनिया में गौरवशाली लोकतंत्र और ताकत के स्तंभ के रूप में खड़े हैं. आप सभी जानते हैं कि भारत में लोकतंत्र सिर्फ एक राजनीतिक मॉडल भर नहीं है. हमारे लिए ये जीवन शैली है, हमारी हजारों वर्षों की महान विरासत है.
पीएम मोदी ने बिहार की विरासत पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बिहार की विरासत भारत और दुनिया का गौरव है. लोकतंत्र, राजनीति और कूटनीति जैसे कई क्षेत्रों में बिहार ने सदियों से दुनिया को राह दिखाई है. 21वीं सदी में भी बिहार से नए अवसर जन्म लेंगे. इस संसद में भी कई दोस्त ऐसे हैं, जो पूर्वज बिहार से हैं. वो बिहार जो महा-जनपदों अर्थात प्राचीन गणराज्यों की भूमि है.
भारतीय मूल के नागरिकों को बड़ा तोहफा
होटल में प्रवासी भारतीयों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘मोदी-मोदी’ के नारों के साथ प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया. इस दौरान भोजपुरी छउताल और ऑर्केस्ट्रा की धुनों ने माहौल को जीवंत बना दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों की यात्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मिट्टी छोड़ी लेकिन आत्मा नहीं. वे सिर्फ प्रवासी नहीं थे, वे एक कालातीत सभ्यता के संदेशवाहक थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब भारतीय मूल के छठी पीढ़ी तक के नागरिकों को OCI (Overseas Citizenship of India) कार्ड की पात्रता दी जाएगी. इससे उन्हें भारत में रहने और काम करने का कानूनी अधिकार मिलेगा.
करीब 13 लाख की आबादी वाले इस छोटे से द्वीप देश में 45% लोग भारतीय मूल के हैं, जिनमें अधिकांश बिहार और उत्तर प्रदेश के भोजपुरी भाषी जिलों से आए हैं. इनके पूर्वज ब्रिटिश राज के दौरान गिरमिटिया मजदूर के रूप में यहां लाए गए थे और यहीं बस गए.
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