देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से लागू हुए CAQM के आदेश को लेकर अब रेखा गुप्ता सरकार बैकफुट पर आ गई है. नियम लागू करने के महज तीन दिन बाद ही सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. अब दिल्ली सरकार ने CAQM से इसको तुरंत अमल में लाने से पहले मंथन करने का आग्रह किया है और इस आदेश को फिलहाल स्थगित करने का अनुरोध किया है. वहीं इसको लेकर आम आदमी पार्टी रेखा गुप्ता सरकार को घेर रही है.
दरअसल, Commission for Air Quality Management ने अपने आदेश में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन न देने की सख्त हिदायत दी थी. इसके बाद दिल्ली सरकार ने इसे सख्ती से लागू किया और परिवहन विभाग व ट्रैफिक पुलिस 1 जुलाई से पेट्रोल पंपों पर रुकने वाले उम्र पूरी कर चुके वाहनों (ई.एल.वी.) को जब्त करने लगी.
दिल्ली में लागू हुए इस फैसले का सीधा संबंध आम आदमी से है, खासकर उन लाखों नागरिकों से जिनकी आजीविका, आवागमन और व्यक्तिगत जरूरतें इन्हीं पुरानी गाड़ियों पर टिकी हैं. परिवहन विभाग के अनुसार, दिल्ली में करीब 62 लाख गाड़ियां हैं जिनकी आयु पूरी हो चुकी है. इनमें 41 लाख दो पहिया वाहन और 18 लाख चार पहिया वाहन हैं. ऐसे में दिल्ली में अचानक पुराने वाहनों को बड़े स्तर पर सीज करने को लेकर लाखों लोगों में आक्रोश साफ देखने को मिला.
अब दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा को लिखे पत्र में कहा कि ईंधन पर प्रतिबंध व्यवहार्य नहीं है और तकनीकी चुनौतियों के कारण इसे लागू नहीं किया जा सकता. गुरुवार को राजधानी में इस नियम के तहत एक भी वाहन को जब्त नहीं किया गया. वहीं इससे पहले दो दिनों में 80 से अधिक वाहनों को जब्त किया गया. इनमें दो पहिया और चार पहिया वाहन शामिल हैं.
आइए समझते हैं कि आखिर किन वजहों से दिल्ली सरकार ने केंद्र के आदेश पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की और इसके पीछे की वास्तविक तकनीकी और सामाजिक समस्याएं क्या हैं-
1. ANPR प्रणाली बनी सबसे बड़ा रोड़ा
CAQM के दिशा-निर्देशों के तहत Automated Number Plate Recognition (ANPR) कैमरों के जरिए पेट्रोल पंपों पर उन गाड़ियों की पहचान की जानी थी जो End-of-Life (EOL) श्रेणी में आती हैं. लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि ये तकनीक पूरी तरह तैयार नहीं है. कई पेट्रोल पंपों पर कैमरे ठीक से काम नहीं कर रहे.
दिल्ली के पर्यवरण मंत्री मनजिंदर सिरसा द्वारा CAQM को लिखे पत्र में कहा गया है कि कैमरे की स्थिति, सेंसर्स की खराबी, और स्पीकर सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई हैं. High Security Registration Plates (HSRP) न होने पर कैमरा गाड़ी को पहचान ही नहीं पा रहा. जब मूल पहचान तंत्र ही सही ढंग से काम नहीं कर रहा, तो कानून का प्रभावी क्रियान्वयन कैसे संभव है?
2. NCR में कोई समन्वय नहीं, आदेश सिर्फ दिल्ली तक सीमित
दिल्ली सरकार का दूसरा बड़ा तर्क क्षेत्रीय असंतुलन को लेकर है. आदेश सिर्फ दिल्ली में लागू है जबकि पास के गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे NCR के अन्य शहरों में यह व्यवस्था लागू नहीं है. इससे दो समस्याएं उत्पन्न होती हैं- पुराने वाहन मालिक NCR के दूसरे शहरों से ईंधन भरवा सकते हैं. इससे न केवल कानून का उल्लंघन होगा, बल्कि ईंधन की अवैध तस्करी और काला बाज़ारी को बढ़ावा मिलेगा. दूसरा ये कि ANPR कैमरे NCR में स्थापित ही नहीं हैं, जिससे तकनीक का एकीकृत और प्रभावी उपयोग असंभव है. ऐसे में जब तक ये सिस्टम पूरे एनसीआर में तैयार नहीं हो जाता, इस नियम को लागू नहीं किया जाना चाहिए.
3. आजीविका पर खतरा, जनता में असंतोष
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता दोनों ने इस आदेश के सामाजिक प्रभावों पर विशेष जोर दिया है. सिरसा ने अपने पत्र में लिखा, “लाखों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी, व्यापार और आजीविका इन वाहनों पर निर्भर है. अचानक ईंधन आपूर्ति बंद करने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.”
रेखा गुप्ता ने भी ट्वीट कर इसे एकतरफा फैसला बताया और कहा कि सरकार वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन सामाजिक-आर्थिक संतुलन बनाए रखना उतना ही जरूरी है. दिल्ली में वाहन सिर्फ आवागमन का साधन नहीं, कई लोगों के लिए जीवन यापन का माध्यम हैं, जैसे कि कैब ड्राइवर, डिलीवरी एजेंट, ऑटो ड्राइवर और छोटे कारोबारी.
4. फेज-आउट की नीति से पुराने वाहनों को हटाने की प्लानिंग
दिल्ली सरकार ने वैकल्पिक नीति की भी रूपरेखा दी है. पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने आयोग को भेजे पत्र में कहा है कि राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए कई कड़े कदम उठाए जा चुके हैं, जिनमें बाहरी राज्यों के वाहनों के लिए Pollution Under Control (PUC) प्रमाणपत्र की सख्त जांच व्यवस्था लागू करना शामिल है. सरकार योजना बना रही है कि EOL गाड़ियों के मालिकों को 2-3 महीने पहले SMS भेजा जाए ताकि वे अपनी गाड़ियों को समय पर हटाने की योजना बना सकें. सिरसा ने कहा कि गाड़ियों की उम्र से ज़्यादा जरूरी है यह देखना कि वो कितना प्रदूषण फैला रही हैं.
राजधानी में ‘नो फ्यूल’ वाला आदेश वापस हुआ या नहीं?
अब सवाल ये उठता है कि दिल्ली सरकार के बैकफुट पर आने से ‘नो फ्यूल’ वाला आदेश वापस हुआ है या नहीं? दरअसल, दिल्ली सरकार ने उम्र पूरी कर चुके वाहनों को ‘नो फ्यूल’ वाले नियम को वापस लेने के लिए केवल अनुरोध किया है, CAQM ने अभी तक आदेश वापस नहीं लिया है. CAQM सूत्रों के अनुसार कमीशन इस पर मेरिट के आधार पर फैसला करेगा. तब तक पुराना आदेश प्रभावी रहेगा. CAQM अध्यक्ष राजेश वर्मा इस समय चंडीगढ़ के दौरे पर हैं, जिसके कारण निर्णय में थोड़ा विलंब हो सकता है. हालांकि दिल्ली सरकार की तरफ से अभी तक
न्यायिक आदेशों का उलझा हुआ परिप्रेक्ष्य
यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पुराने आदेशों पर आधारित है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा. इससे पहले 2014 में NGT ने आदेश दिया था कि 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करने पर रोक लगे.
दिल्ली सरकार का कहना है कि पहली AAP सरकार को इन आदेशों को चुनौती देनी चाहिए थी या उनके व्यावहारिक क्रियान्वयन पर स्पष्ट दिशा मांगनी चाहिए थी.
मंजींदर सिंह सिरसा ने इस पूरे मसले के लिए पूर्व आम आदमी पार्टी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि AAP सरकार को इस प्रतिबंध को अदालत और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में चुनौती देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने इसे लागू कर दिया.
दिल्ली CM बोलीं- प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रतिबद्ध लेकिन…
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन जनता की मुश्किलों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. उन्होंने एक्स पोस्ट में बताया कि वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर आग्रह किया गया है कि ओवरएज (End-of-Life) गाड़ियों को ईंधन न देने के फैसले पर दोबारा विचार किया जाए.
रेखा गुप्ता ने कहा, “इस फैसले से लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी और जीवन प्रभावित हो रहा है. हम साफ और टिकाऊ परिवहन के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन फैसला ऐसा होना चाहिए जो जनता की जरूरतों के मुताबिक हो.”
उन्होंने बताया कि पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा के पत्र के जरिए सरकार ने मांग की है कि यह आदेश तुरंत रोका जाए और सभी पक्षों से बातचीत करके एक व्यवहारिक और चरणबद्ध समाधान निकाला जाए. अंत में उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जनहित के साथ खड़ी है और लोगों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
विपक्ष AAP का हमला, बताया जनता की जीत
इस पूरे घटनाक्रम पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर करारा हमला बोला. दिल्ली AAP प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने कहा, “दिल्ली की जनता को बधाई. पुरानी गाड़ियों को ज़ब्त करने का तुगलकी आदेश दिल्ली की बीजेपी सरकार को वापस लेना पड़ा. यह जनता की जीत है और सरकार की दोहरी नीति का खुलासा करता है, जो अदालत के आदेशों को लेकर दिखावे की राजनीति करती है.”
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