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    मंदिर का चौकीदार, बिना FIR हिरासत और वायरल वीडियो… चार पुलिसवालों ने मिलकर किया नौजवान का कत्ल, खौफनाक है कहानी

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    Ajit Murder in Police Custody: तमिलनाडु से एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया है. ये कोई आम वायरल वीडियो नहीं है, बल्कि ये वीडियो है एक लाइव मर्डर का. जिसने पूरे राज्य की पुलिस को शर्मसार कर दिया है. दरअसल, उस वीडियो में चार पुलिसवाले हिरासत में लिए गए एक नौजवान का कत्ल कर रहे हैं. ये पूरी वारदात तमिलनाडु पुलिस की काली करतूत को बेनकाब करती है. साथ ही सवाल उठता है कि अगर वर्दीवाले रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे तो पीड़ित जनता फरियाद लेकर कहां जाएगी?  

    अमूमन एक तो ऐसी तस्वीरें कभी सामने आ ही नहीं पाती और जब आती हैं तो फिर चोरी छुपे किसी खिड़की या झरोखे से ही ऐसी तस्वीरों को कैद किया जाता है. जिनमें कुछ वर्दी वाले अपराधियों की करतूत उजागर हो जाए. भला हो उस शख्स का जिसने जैसे, जहां और जिस फ्रेम से भी इन तस्वीरों को अपने मोबाइल में कैद किया. कम से कम इस तस्वीर के जरिए तमिलनाडु में पिछले चार सालों में हुई इस 31वीं मौत का सच तो सामने आ गया.

    हिलती डुलती तस्वीरों में कुल चार लोग आपको नजर आएंगे. जो तीन खड़े हुए हैं और जिनके हाथों में प्लास्टिक के पाइप और स्टील के रॉड हैं, ये तीनों तमिलनाडु पुलिस के जवान हैं. जबकि फर्श पर बैठा प्लास्टिक के पाइप और स्टील के रॉड से खुद को बचाता जो शख्स नजर आ रहा है उसका नाम अजीत है. इन पुलिसवालों ने अजीत को किस कदर पीटा उसकी कुछ निशानियां पिटाई के घंटों बाद इस जगह जमीन पर बिखरे पड़े उन्हीं प्लास्टिक के पाइप और स्टील को रॉड के टूटे टुकड़ों की शक्ल में आप देख सकते हैं. 

    अब झरोखों वाले कैमरे से बाहर निकलकर असली कैमरे में कैद अजीत की साफ तस्वीरों की बात करते हैं. उन तस्वीरों में साफ दिखाई देता है कि अजीत के जिस्म का ऐसा एक भी हिस्सा नहीं बचा जिसपर तमिलनाडु पुलिस की बेरहम जुल्म के निशान ना मिले हो. अब जब जिस्म पर जख्मों के इस कदर निशान हो तो फिर जिस्म में जान कहां बचेगी. ये आखिरी तस्वीर अजीत की नहीं अजीत की लाश की है. और इस तरह पिछले चार सालों में अजीत तमिलनाडु पुलिस के हाथों मर्डर किया जाने वाला 31वां शख्स बन गया. जी हां, अजीत की कस्टडी में मौत नहीं हुई बल्कि पुलिस कस्टडी में खुद पुलिस ने अजीत का कत्ल किया है. 

    इस वक्त पूरे तमिलनाडु में ये वीडियो वायरल है. अब जाहिर है मद्रास हाईकोर्ट भी इसी तमिलनाडु में आता है. तो भला ये कैसे मुमकिन होता कि ये वीडियो मद्रास हाईकोर्ट के जजों की निगाहों में ना आता. मद्रास हाईकोर्ट की एक बेंच ने जब पुलिसिया जुल्म की इन तस्वीरों को देखा तो सिर्फ एक ही सवाल पूछा- ‘क्या वो एक आतंकवादी था?’

    अब उस वायरल वीडियो से पहले की कहानी सुनिए. बात 27 जून की है. 27 जून शुक्रवार को 75 साल के शिवगामी और उनकी बेटी निकिता अपनी कार से दर्शन के लिए तमिलनाडु के मशहूर मदापुरम कालियम्मन मंदिर गई थी. 27 साल का अजीत इसी मंदिर में सुरक्षा गार्ड के तौर पर नौकरी करता था. मां बेटी ने मंदिर जाने से पहले अजीत को कार की चाबी देकर उसे वहीं पार्क कर देने की गुजारिश की. बाद में दर्शन कर जब मां-बेटी लौटी तो उन्होंने पाया कि कार में रखा हैंडबैग खुला हुआ है. बैग देखने के बाद मां-बेटी ने कहा कि उनके बैग में 80 ग्राम सोने के जेवर थे जो गायब हैं. चूकि कार पार्क करने के लिए चाबी उन्होने अजीत को दी थी इसलिए चोरी का सीधा इल्जाम अजीत पर लगा दिया. मामला पुलिस तक पहुंचा. 

    इसके बाद थिरुपुवनम पुलिस स्टेशन के कुछ पुलिस वाले अजित को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए. लेकिन पूछताछ के बाद 27 जून को ही अजीत को छोड़ दिया. पर अगले दिन मां-बेटी ने फिर पुलिस से शिकायत की. इसके बाद पुलिस ने एक बार फिर से अजीत और उसके भाई नवीन को पूछताछ के लिए बुलाया. इस बार दोनों भाइयों की जमकर पिटाई की गई. नवीन के सामने भी उसके भाई अजीत को बुरी तरह मारा पीटा गया. बाद में नवीन को तो छोड़ दिया गया. लेकिन अजीत हिरासत में रहा.

    28 जून शनिवार को चार पुलिसवाले अजीत तो अपने साथ लेकर थाने से दूर ACP के दफ्तर के पीछे एक गौशाला में ले गए. जो वीडियो वायरल हो रहा है, वो वीडियो उसी गौशाला की है. अजीत को इस गौशाला में लाने के बाद इस बुरी तरह से पीटा गया कि वो बेहोश हो गया. घबराए पुलिसवाले अब उसे अपने साथ थिरुपुवनम अस्पताल ले गए. लेकिन उसकी हालत इनती बिगड़ चुकी थी कि थिरुपुवनम अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे शिवगंगई सरकारी अस्पातल रेफर कर दिया. इसी अस्पताल में 29 जून की दोपहर पौने बारह बजे अजीत ने दम तोड़ दिया. 

    पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक अजीत के जिस्म पर जख्म के 18 निशान थे. लेकिन अजीत की मौत बाहरी जख्मों से नहीं बल्कि अंदरुनी जख्मों की वजह से हुई. अब चूकि पुलिस हिरासत में अजीत को मार डाला गया था. लिहाजा, तमिलनाडु पुलिस फौरन लीपापोती में जुट गई. अजीत की मौत की एफआईआर की कॉपी भी सामने आ गई. जानते हैं उस एफआईआर में क्या लिखा है? 

    उस एफआईआर के मुताबिक, थिरुपुवनम के इंस्पेक्टर और डीएसपी ने अजीत से पूछताछ का आदेश जारी किया था. पूछताछ के दौरान अजीत ने ये मान लिया था कि गहने उसी ने चुराए हैं. पूछने पर उसने बताया कि उसने चोरी के गहने उसी गौशाला में छुपाकर रखे हैं. इसी के बाद चार पुलिसवाले अजीत को लेकर गौशाला पहुंचे. एफआईआर के मुताबिक, पूछाताछ के दौरान अजीत ने भागने की कोशिश की लेकिन तभी उसे मिरगी का दौरा पड़ गया और वो गिर पड़ा. जिसके बाद उसे तुरंत पुलिसवाले थिरुपुवनम अस्पातल ले गए और फिर वहां से उसे शिवगंगई सरकारी अस्पताल ले जाया गया. 

    अब जाहिर है जो पुलिस कस्टडी में कत्ल कर रही है. कानून का कत्ल करने में उसे कितना वक्त लगेगा. पुलिस की एफआईआर और अजीत की पिटाई का वीडियो लोगों के सामने है. जाहिर है तमिलनाडु पुलिस अपना खूनी चेहार छुपाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन उस एक वीडियो ने उसकी सारी पोल खोल दी. इसी के बाद खुद मजिस्ट्रेट क्राइम सीन यानि गौशाला में पहुंचे. वहां पूरी जगह का मुआयना किया. उस जगह की जांच करने और इसकी तस्वीरें उतारने के बाद बाकायदा तमाम सूबत मद्रास हाईकोर्ट के एक स्पेशल बेंच के सामने रखे गए.

    उन तस्वीरों में प्लास्टिक के वो टूटे पाइप, स्टील के रॉ़ड सब कुछ दिखाई दे रहे थे. यहां तक की अजीत के जिस्म के जख्म भी तस्वीरों के जरिए खुद अदालत ने देखे. अलबत्ता तमिलनाडु पुलिस अदालत या मीडिया को जो नहीं दिखा सकी वो सोने के वो जेवर थे, जो खुद पुलिस के मुताबिक अजीत ने उस गौशाला में छुपाए थे. अगर पुलिस सही थी तो फिर वो जेवर गौशाला से क्यों नहीं मिले? 

    ऊपर से कमाल देखिए जब खुद सबूत तमिलनाडु पुलिस को आइना दिखा रहे थे, तब कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय सरकार ने चार पुलिसवालों को सस्पेंड किया और एक सीनियर पुलिस अफसर का ट्रांसफर कर अपना फर्ज पूरी श्रद्धा से पूरा कर लिया. लेकिन सच ये है कि कस्टोडियल डेथ के इस वीडियो ने तमिलनाडु पुलिस की करतूत को बेनकाब कर दिया है. तमिलनाडु में कस्टोडियल डेथ का इश्यू हमेशा से उठता रहा है.

    लेकिन ऐसा कम होता है, जब कस्टडी में किसी की डेथ या उसके टॉर्चर का ऐसा वीडियो सामने आया है. वैसे भी अपोजिशन सरकार के खिलाफ लगातार ये इल्जाम लगाती रही है कि स्टालिन के पावर में आने के बाद से स्टेट में कस्टोडियल डेथ के मामले बढ़े हैं.

    एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों में तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में 31 लोगों की मौत हो चुकी है. 

    – साल 2021 में राज्य में पुलिस हिरासत में 4 लोगों की मौत हुई. 
    – साल 2022 में 11 लोगों की मौत हुई. 
    – साल 2023 में एक शख्स पुलिस हिरासत में मारा गया. 
    – साल 2024 में पुलिस कस्टडी में 10 लोगों का कत्ल हुआ. 
    – साल 2025 के पहले पांच महीनों में ही 5 लोग पुलिस हिरासत में मार जा चुके हैं.

    फिलहाल इस सबसे ताजा यानि अजीत की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में खुद मद्रास हाईकोर्ट ने सुमोटो लेते हुए इस पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या अजीत एक आतंकवादी था? जब उसके पास कोई हथियार नहीं था तो उसे इस तरह बेरहमी से क्यों पीटा गया? इस पूरे मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस और सरकार से जवाब मांगा है.

    (चेन्नई से अनघा केशव के साथ प्रमोद माधव का इनपुट)



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