खबर है कि मोदी सरकार अपने वरिष्ठ मंत्रियों को जनता के बीच भेजेगी जो लोगों को यह बताएंगे कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला आम जनता के लिए किस तरह फायदेमंद है. सूत्रों की मानें तो जनता को यह समझाया जाएगा कि इस संधि को आखिर क्यों स्थगित किया गया और इससे भारत का किस तरह से फायदा होगा.
खासतौर से उत्तर भारत के उन राज्यों में संदेश पहुंचाया जाएगा जहां भविष्य में नदियों के पानी के इस्तेमाल की ज्यादा संभावना है. इसके लिए कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है जिनमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव आदि शामिल हैं.
सिंधु नदी के पानी को अपने लिए इस्तेमाल करेगा भारत
भारत सिंधु नदी के पानी का अपने लिए बेहतर इस्तेमाल करेगा और इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम किया जा रहा है. इसमें 160 किलोमीटर नहर बनाना शामिल है ताकि चिनाब को रावी, ब्यास और सतुलज नदी तंत्र से जोड़ा जा सके. सिंधु नदी के पानी को अन्य नादियों और नहरों से जोड़ने के लिए इस योजना के तहत लगभग 13 किलोमीटर की टनल भी बनेगी.
सिंधु जल को श्रीगंगानगर से जोड़ने की योजना
इस तरह पानी जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ले जाया जा सकेगा. सरकार की योजना सिंधु जल को राजस्थान के श्रीगंगानगर से जोड़ने की है और इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मौजूदा 13 नहर व्यवस्थाओं को जोड़ा जाएगा.
सिंचाई और बिजली उत्पादन में मिलेगी बड़ी मदद
इससे न केवल इन क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ जाएगी बल्कि भारत सरप्लस पानी का इस्तेमाल भी अपने लिए कर सकेगा. साथ ही सिंचाई और बिजली उत्पादन में भी बड़ी मदद मिलेगी. वरिष्ठ मंत्री उन सभी इलाकों में लोगों से संपर्क करेंगे जिन्हें भविष्य में इस पानी का फायदा मिलने वाला है और बताएंगे कि मोदी सरकार के इस फैसले से उन्हें आने वाले सालों में पानी की कमी नहीं होगी. इसके लिए पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा.