IGI एयरपोर्ट के पास NH8 पर बारिश के पानी और घरों के गंदे पानी को निकालने वाले नाले जो पहले इस इलाके को बाढ़ से बचाते थे अब गायब-से हो गए हैं. नगर निगम के रिकॉर्ड्स में उनका कोई ज़िक्र नहीं है और इसके साथ ही दिल्ली की मानसून से लड़ने की तैयारी भी इस अहम कॉरिडोर पर नदारद दिखती है. 25 जून को स्थानीय विधायक कैलाश गहलोत ने महिपालपुर और रंगपुरी के निवासियों की सालों पुरानी शिकायतों के बाद मौके का दौरा किया. इस दौरान पता चला कि NH8 के किनारे बने अहम नाले जो पहले बारिश का पानी सड़क और आसपास के घरों से हटाते थे अब ढूढ़े नहीं मिल रहे.
निरीक्षण में ये भी पाया गया कि NH8 और महिपालपुर के लोकल ड्रेनेज सिस्टम के रास्तों में भ्रम की स्थिति है जिससे पानी की धाराएं आपस में उलझ रही हैं. अब गायब हो चुके नाले की लोकेशन को खोजने के लिए खुदाई का आदेश भी दिया गया है. बीजेपी विधायक ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि NH8 पर कहीं भी बारिश का नाला नहीं है. इससे महिपालपुर चौराहे और आसपास के इलाकों में बारिश का पानी निकल नहीं पाता. मैंने NHAI को कहा है कि तुरंत ड्रेन की योजना बनाएं.
पुराने नाले, नई मुसीबतें
स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने बताया कि जो नाला पहले नजफगढ़ ड्रेन से जुड़ा था, अब बाधित हो गया है. हाईवे, एयरपोर्ट का विस्तार और मेट्रो निर्माण की वजह से यह नाला दब गया या गायब हो गया. अब जब निकासी का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं है तो गंदा पानी (सीवेज मिला बारिश का पानी) एयरपोर्ट की इंटरनल ड्रेनेज में भरने लगा है और कई बार ये मुख्य सड़कों पर भी फैल जाता है, जिससे अर्बन प्लानिंग एंड सेफ्टीको लेकर नई चिंताएं खड़ी हो गई हैं.
30 साल पुराना नाला, जो अब कहीं नहीं है
ये कोई नई समस्या नहीं है. स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी 30–40 साल पहले यहां एक नाला हुआ करता था, जो अब कई बार की सड़क चौड़ीकरण, मेट्रो व एयरपोर्ट निर्माण के चलते गायब हो चुका है. महिपालपुर के एक बुजुर्ग निवास ने बताया कि हमेशा से यहां एक चैनल था. पानी सीधे नजफगढ़ ड्रेन की तरफ बहता था. अब तो पानी उल्टा बहता है और यहीं अटक जाता है. मानसून निरीक्षण से जुड़े अधिकारियों ने भी माना कि पुराना नाला आधा ढंका हुआ है, आधा खो गया है और अब तक किसी भी अपडेटेड नक्शे में ठीक से ट्रैक नहीं किया गया.
इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट में भी पता चला कि कुछ हिस्सों में नाले की पहचान हुई, खासकर एयरपोर्ट परिसर के अंदर लेकिन बारिश के दौरान भी उसमें पानी का बहाव नहीं दिखा यानी कहीं ना कहीं ब्लॉकेज जरूर है.
अर्बन प्लानिंग की सबसे बड़ी चूक, ड्रेनेज को ही भुला दिया गया
यह सिर्फ इंजीनियरिंग की गलती नहीं बल्कि गलत अर्बन प्लानिंग का नतीजा है. पिछले 20 साल में IGI एयरपोर्ट के आसपास हाईवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ, लेकिन पुराने नालों को बचाने या जोड़ने का कोई प्लान नहीं बनाया गया. NHAI ने सड़कें बनाईं, MCD ने अंदरूनी नाले संभाले, एयरपोर्ट ने अपना नेटवर्क देखा और DMRC ने मेट्रो पर काम किया. लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि बचा हुआ पानी कहां जाएगा.
कटोरे नुमा है एयरपोर्ट
अधिकारियों का कहना है कि एयरपोर्ट का इलाका प्राकृतिक रूप से नीचा है. NH8 से बारिश का पानी निकलने का रास्ता न होने से हल्की बारिश में भी पानी जमा हो जाता है. नजफगढ़ ड्रेन जो इस इलाके का मुख्य पानी निकासी रास्ता है, पश्चिम में है और सही नालों से जुड़ा हो तो पानी ले जा सकता है. एक सीनियर PWD इंजीनियर ने कहा कि NH8 से पानी न निकले तो वो एयरपोर्ट के अंदर वापस घुस जाता है और इसमें सीवेज मिला पानी भी होता है.
सीवेज मिला बारिश का पानी, रनवे के लिए खतरा– GMR अधिकारी
GMR के एक अधिकारी जो इंडिया टुडे के साथ खुदाई स्थल पर गए,उन्होंने खतरे की ओर इशारा किया. नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि NH8 की नालों की खराबी से गंदे पानी और बारिश का मिश्रण एयरपोर्ट के नालों में आता है. यह पानी चिड़ियों को आकर्षित करता है, जो रनवे के लिए बड़ा खतरा है. उन्होंने बताया कि जब NH8 पर पानी जमा होता है, NHAI अक्सर उसे एयरपोर्ट में पंप करती है ताकि सड़क साफ रहे. यह अस्थायी उपाय प्रदूषण और अंदरूनी बाढ़ की नई समस्या पैदा करता है.
नया ड्रेन बनाने का आदेश तो मिला लेकिन…
विधायक कैलाश गहलोत के निरीक्षण के बाद NHAI को NH8 की सर्विस रोड के किनारे एक नया स्टॉर्म वॉटर ड्रेन बनाने का आदेश दिया गया है, जो दिल्ली के मुख्य ड्रेनेज नेटवर्क से जुड़ेगा. लेकिन इससे एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर बारिश के पानी की ज़िम्मेदारी किसकी है? सड़क, निर्माण, गंदगी और नाले अभी भी अलग-अलग विभागों के बीच बंटे हैं. इसका मतलब है कि हर गायब नाला एक नई बाढ़ की वजह बन सकता है.
NHAI का जवाब: पहले नाला नहीं बना क्योंकि ज़मीन नीची थी
NHAI ने कहा कि पहले नाला नहीं बनाया गया क्योंकि महिपालपुर फ्लाईओवर के पास खाली और नीचा इलाका था लेकिन एयरपोर्ट के विस्तार और नालों के बदलाव के बाद अब इसकी जरूरत महसूस हो रही है. NHAI ने बयान में कहा कि महिपालपुर फ्लाईओवर के पास खाली जमीन होने की वजह से नाला नहीं बनाया गया था, जो MLA के दौरे में बताया गया. अब GMR/DIAL और DMRC के साथ मिलकर नया नाला बनाने की योजना बनाई जा रही है.
स्थानीय निवासी बोले, अब जाकर कोई सुन रहा है
निवासियों का कहना है कि यह कदम बहुत देर से उठाया गया. एक स्थानीय ने कहा कि गहलोत जी से पहले किसी ने समाधान की कोशिश नहीं की. उन्होंने चार-पांच दिन पैदल जाकर नालों की जांच की और NHAI से नाला बनाने को कहा. इंडिया टुडे ने खुदाई स्थलों का दौरा किया और पाया कि जहां पुराना नाला दब गया था, वहां नए मैनहोल बनाए गए हैं ताकि नालों को साफ किया जा सके. लोगों का कहना है कि बारिश में पानी भरना और सीवेज का बहना हर साल की कहानी है, लेकिन इस बार पहली बार कुछ स्थायी हल की कोशिश हुई है.