स्पेस में गए शुभांशु शुक्ला से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बातचीत की. इस दौरान शुभांशु ने युवाओं को टिप्स दिए. उन्होंने कहा कि मैं युवा पीढ़ी से कहूंगा कि भारत तेजी से आगे जा रहा है. हमने तरक्की के लिए बहुत बड़े सपने देखे हैं, उन सपनों को पूरा करने के लिए आपकी (युवाओं) जरूरत है. साथ ही कहूंगी कि सफलता का कोई एक रास्ता नहीं होता. साथ ही निरंतर प्रयास करते रहिए. कभी गिवअप मत करिए. अगर आपने ये मूलमंत्र अपना लिया कि आप कभी गिवअप नहीं करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी, भले ही देर से मिले.
शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष तक आने के लिए मैंने बहुत कुछ सीखा है, लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे लगता है कि ये हमारे देश के लिए बड़ा अचीवमेंट है. मैं युवा पीढ़ी को मैसेज देना चाहता हूं कि अगर आप मेहनत करते हैं और अपना अच्छा भविष्य बनाते हैं तो इससे देश का फ्यूचर भी अच्छा होगा. सिर्फ एक बात अपने मन में रखे- ‘स्काई इज नेवर द लिमिट’. ये मूलमंत्र अपने मन में रखे.
इस दौरान शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वह अंतरिक्ष में माइक्रोवेल की ग्रोथ के ऊपर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, ये बहुत छोटे होते हैं लेकिन इनमें बहुत न्यूट्रीशन होते हैं, अगर हम ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि हम ज्यादा तादात में इन्हें उगा सकें, तो ये धरती पर फूड सिक्योरिटी के क्षेत्र में बहुत फायदेमंद साबित होगा. स्पेस का सबसे बड़ा एडवांटेज ये है कि यहां पूरी प्रोसेस बहुत जल्दी होती है, तो हमें महीनों या सालों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होती है.
‘हम एक दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं’
पीएम मोदी ने जब शुभांशु से पूछा कि आप इस वक्त पृथ्वी के किस हिस्से के ऊपर से गुजर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि थोड़ी देर पहले मैं खिड़की के बाहर देख रहा था, तो हम हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं, मतलब हम एक दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं. ये बहुत ज्यादा अचंभित कर देने वाला प्रोसेस है. हम इस वक्त करीब 28 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रहे हैं. भले ही ये गति पता न चले क्योंकि हम अंदर बैठे हैं, लेकिन इससे ये साबित होता है कि भारत किस गति से आगे बढ़ रहा है.
‘अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य और बड़ा दिखता है’
अंतरिक्ष की विशालता देखकर आपके मन में पहला विचार क्या आया? पीएम मोदी के इस सवाल पर शुभांशु ने कहा कि जब पहली बार हम अंतरिक्ष में पहुंचे तो पहला व्यू पृथ्वी का था. पहला ख्याल यही आया कि पृथ्वी एक दिखती है, यहां से कोई बॉर्डर दिखाई नहीं देता. एक बात और बेहद अहम है कि जब पहली बार यहां से भारत को देखा तो ये बहुत भव्य दिखा. जब हम मैप पर भारत को पढ़ते हैं और देखते हैं कि बाकी देशों का आकार कैसा है, लेकिन वो सही नहीं होता. भारत सच में बहुत भव्य और बहुत बड़ा दिखता है. यहां आकर लगता है कि कोई बॉर्डर, कोई राज्य, कोई देश एग्जिस्ट नहीं करता, बल्कि ये धरती हमारा घर है, और हम उसके नागरिक हैं.