ईरान ने पहली बार स्वीकार किया है कि रविवार को अमेरिकी हमले में देश के परमाणु संयंत्रों को भारी क्षति पहुंची है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को अपने तीन परमाणु संयंत्रों, फोर्डो, नतांज और इस्फहान को हुए नुकसान की पुष्टि की.
कतर के सरकारी ब्रॉडकास्टर अल जजीरा से बात करते हुए बाघई ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार किया लेकिन यह बात स्वीकार की कि रविवार को अमेरिका के बी-2 बमवर्षक विमानों ने बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल कर बड़े हमले किए.
उन्होंने कहा, ‘हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों को बुरी तरह नुकसान हुआ है, यह तो साफ बात है.’
बुधवार को ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों की लड़ाई के बाद संघर्षविराम कायम होता दिखा है जिससे अब लग रहा है कि दोनों देशों के बीच एक शांति समझौता हो सकता है. हालांकि, ईरान ने साफ कह दिया है कि वो किसी भी परिस्थिति में अपने परमाणु प्रोग्राम को नहीं छोड़ेगा.
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध के 12वें दिन मंगलवार को युद्धविराम लागू हो गया, लेकिन इसके बाद भी दोनों देशों ने एक-दूसरे पर इसके उल्लंघन का आरोप लगाया, लेकिन बुधवार आते-आते अंततः मिसाइलों, ड्रोनों और बमों का हमला बंद हो गया.
युद्धविराम को लेकर क्या बोले ट्रंप
युद्धविराम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मदद की और बुधवार को उन्होंने नीदरलैंड्स में नेटो शिखर सम्मेलन के दौरान मीडिया को बताया कि संघर्षविराम बहुत अच्छी तरह से चल रहा है. ट्रंप ने ईरान को लेकर कहा, ‘उनके पास परमाणु बम नहीं हो सकता और वो बम बनाने के लिए यूरेनियम संवर्धन भी नहीं करेंगे.’
ईरान ने हालांकि इस बात पर जोर दिया है कि वो अपने परमाणु प्रोग्राम को नहीं छोड़ेगा. ईरान की संसद में संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था (IAEA) के साथ सहयोग रोकने से जुड़े एक बिल को भी मंजूरी दे गई है. ये संस्था सालों से ईरान के परमाणु प्रोग्राम पर नजर रख रही थी और अब ईरान ने साफ कर दिया है कि वो संस्था के साथ सहयोग नहीं करेगा.
बिल पर मतदान से पहले ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ ने IAEA की आलोचना की कि संस्था ने ‘ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले की निंदा करने से भी इनकार कर दिया.’
कलीबाफ ने सांसदों से कहा, ‘इस कारण से, ईरान का परमाणु ऊर्जा संगठन आईएईए के साथ सहयोग को तब तक निलंबित रखेगा जब तक कि परमाणु सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती, और ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम तेज गति से आगे नहीं बढ़ जाता.’