ईरान और इजरायल के बीच अचानक से हुए सीजफायर को लेकर पूरी दुनिया चौंक गई है. कहां तो ईरान और इजरायल एक दूसरे को मिट्टी में मिलाने की बात कर रहे थे. अमेरिका ने भी ईरान पर धरतीफाड़ बम गिरा दिए. और कहां अचानक से सीजफायर की घोषणा हो गई. तो ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये सीजफायर क्यों हुआ? किसके कहने पर हुआ? और 12 दिन की इस भीषण जंग का नतीजा क्या निकला? अब ईरान का अगला प्लान क्या होगा?
सबसे पहले इजरायल की बात करें तो ईरान के हमले में तेल अवीव और आसपास के छोटे शहर जैसे रमात अवीव, रमात गन, होलन, बट याम और नेस जियोना में बर्बादी की बड़ी तस्वीर दिखीं. ईरान-इजरायल, इजरायल-हमास और इजरायल-हिज्बुल्ला के बीच युद्ध के दौरान एक बड़ा फर्क इजरायल में दिखा. फर्क ये था कि हमास और हिज्बुल्ला से युद्ध के दौरान इजरायल के जो शहर सबसे सुरक्षित माने जाते थे, वो ईरान के साथ युद्ध के दौरान सबसे ज्यादा तबाह हुए.
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर की सीजफायर की घोषणा
ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खामेनेई का बयान आया. उन्होंने कहा कि ईरान ऐसा देश नहीं है, जो सरेंडर कर दे. बड़ी बात ये है कि खामेनेई का ये बयान डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से किए गए, सीज़फायर के ऐलान के बाद आया. ईरान और इज़रायल की जंग के 12वें दिन 3 बजकर 32 मिनट पर ये ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति ने करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ”मुझे ये घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर अब से 6 घंटे बाद लागू होगा. पहले 12 घंटे के लिए ईरान हमला रोकेगा. फिर अगले 12 घंटे के लिए इजराइल हमला नहीं करेगा और जंग आधिकारिक रूप से खत्म हो जाएगी.”
अचानक कैसे सीजफायर के लिए मानें ईरान और इजरायल?
अचानक हुई सीजफायर की इस घोषणा पर दुनिया चौंक गई. कारण, चंद घंटे पहले ईरान ने कतर में अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें दागी थीं. और वो भी एक या 2 नहीं, बल्कि ईराने ने 19 मिसाइलें दागीं. हालांकि कतर ने कहा कि 18 मिसाइलें रोक ली गईं, जबकि 1 मिसाइल हिट हुई. ट्रंप ने कहा कि ईरान ने 14 मिसाइलें दागी थीं, जिनमें से 13 को रोक लिया गया. लेकिन ईरान के इस हमले से भी दुनिया दंग रह गई. और इस हमले के चंद घंटे बाद ही सीजफायर का ऐलान कर दिया गया. अब सवाल उठने तो लाजिमी है कि आखिर डील क्या हुई? जो ईरान और इजरायल एक दूसरे को मिट्टी में मिलाने के दावे कर रहे थे, वो अचानक में सीजफायर पर कैसे मान गए?
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर वाले ऐलान के बाद भी इजरायल और ईरान नहीं रुके. ईरान ने इजरायल के शहरों को बैलिस्टिक मिसाइलों से टारगेट किया तो इजरायल ने ईरान की रडार साइट्स पर हमले किए और इसकी पुष्टि खुद इजरायली सेना ने की. अब डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सामने आकर कहना पड़ा, सीजफायर का उल्लंघन हुआ है. अमेरिका ने इजरायल को सख्त लहजे में डांट भी दिया. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि दोनों ने सीजफायर का उल्लंघन किया है. इजरायल अपने पायलट वापस बुलाए. 12 घंटे का मतलब ये नहीं है कि आप पहले घंटे में ही सबकुछ बचा हुआ झोंक दें.
सीजफायर आगे चलेगा या नहीं?
इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने नेतन्याहू को फोन भी किया और ईरान पर हमले रोकने के लिए कहा. और ट्रंप ने ये भी भरोसा दिलाया कि इजरायल अब ईरान पर कोई हमला नहीं करेगा. ऐसे में अब ये सीजफायर आगे चलेगा या नहीं ये तो बाद में चलेगा, लेकिन सवाल यहां ये है कि ये सीजफायर हुआ कैसे? दरअसल, ईरान ने अपनी तीन न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर अमेरिकी हमले का बदला मिडिल ईस्ट में अमेरिकी ठिकानों पर हमले से लिया.
कतर के अल-उदैद एयरबेस पर ईरान ने सबसे बड़ा हमला किया. अल-उदैद एयर बेस कतर की राजधानी दोहा से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. ये मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है. यहां करीब 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते हैं. ये बेस यूएस सेंट्रल कमांड का अग्रिम संचालन केंद्र है, जो पूरे पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैन्य गतिविधियों का संचालन करता है. यहां से अमेरिका के F-15, B-52 और ड्रोन विमानों का संचालन होता है. यहां 11,000 फीट लंबा रनवे है, जो इस क्षेत्र के सबसे बड़ी रनवे में से एक है. यहीं से अमेरिका सीरिया, इराक और पहले अफगानिस्तान तक कार्रवाई किया करता था.
ईरान ने कहीं गायब कर दिया 400 किलो यूरेनियम?
इराक में बलाद एयरबेस पर भी ड्रोन हमला हुआ. हालांकि इस हमले में भी अमेरिकी या उसके सहयोगी बलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. इन हमलों के बाद सीजफायर का ऐलान तो जरूर हो गया. लेकिन एक सवाल भी उठ खड़ा हुआ है. वो ये कि क्या अब ईरान न्यूक्लियर पावर नहीं बन पाएगा? क्योंकि खबर ये भी है कि 12 दिन की जंग में इजरायल और अमेरिका मिलकर ईरान के परमाणु ठिकाने को पूरी तरह से तबाह नहीं कर पाए. रिपोर्ट ये भी है कि ईरान ने 60 फीसदी तक संवर्द्धित यानी 400 किलो यूरेनियम कहीं गायब कर दिया है. दावा ये भी है कि इस 400 किलो के यूरेनियम से 10 परमाणु बम को बनाया जा सकता है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजरायली अधिकारियों के हवाले से बताया कि अमेरिका के बंकर बस्टर बम से हमले से पहले ईरान ने 400 किलो यूरेनियम को फोर्डो न्यूक्लियर संयंत्र से हटा लिया था. इस यूरेनियम को किसी सीक्रेट जगह पर पहुंचा दिया गया है. ईरान इसकी मदद से मोलभाव कर सकता है. ये यूरेनियम अगर 90 फीसदी तक संवर्द्धित कर लिया जाता है तो उससे परमाणु बम बनाया जा सकता है. कहा जा रहा है कि ईरान अब अगली परमाणु डील बातचीत के दौरान इस यूरेनियम के लिए बड़ा मोलभाव कर सकता है एक अनुमान ये भी है. इस यूरेनियम को ईरान के इस्फहान शहर के किसी अंडरग्राउंड स्टोरेज केंद्र में रखा गया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इजरायल ने ईरान के खिलाफ जिसके लिए जंग छेड़ी, वो अधूरी रह गई. सवाल ये भी है भले ही अभी ईरान और इज़रायल के बीच सीज़फायर हो गया. लेकिन क्या परमाणु हथियरों के बचाने और तबाह करने के लिए ईरान और इजरायल के बीच युद्ध चलता रहेगा?