अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपने सबसे तेज़ और खतरनाक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में महज 25 मिनट में ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया. अमेरिकी वायुसेना ने ईरान के फोर्डो, नतान्ज़ और इस्फाहान में स्थित तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं. यह हमले 7 स्टील्थ B-2 बॉम्बर्स से किए गए, जिनमें 12 भारी बम गिराए गए. इस बेहद गोपनीय सैन्य मिशन में 125 से ज्यादा विमान शामिल थे और एक खास ‘डिसेप्शन’ यानी चालबाजी की रणनीति भी अपनाई गई थी.
क्या कहा अमेरिकी जनरल ने?
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने बताया कि 7 स्टील्थ B-2 बॉम्बर्स ने इस ऑपरेशन में हिस्सा लिया. इन बमवर्षक विमानों ने ईरान के Fordow और Natanz परमाणु स्थलों पर 30000 पाउंड (लगभग 13,608 किलोग्राम) के वजनी बंकर बस्टर बम गिराए. जबकि इस्फाहान पर टोमाहॉक क्रूज़ मिसाइलों से हमला किया गया.
मिशन की शुरुआत और रूट
अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने मिसौरी स्थित एयरबेस से उड़ान भरी. इस 18 घंटे लंबे मिशन को बेहद शांत तरीके से अंजाम दिया गया. जनरल डैन केन ने बताया कि सात B-2 बॉम्बर्स में 2-2 क्रू थे और पूरा मिशन कम्युनिकेशन कम रखकर किया गया, ताकि दुश्मन को भनक तक न लगे.
हमला कैसे हुआ?
अमेरिकी हमले की शुरुआत भारतीय समयानुसार रविवार सुबह 4:10 बजे से हुई. इन B-2 बॉम्बर्स ने सबसे पहले Fordow न्यूक्लियर साइट पर दो बड़े बंकर बस्टर बम गिराए. इसके तुरंत बाद अन्य B-2 बॉम्बर्स ने Natanz और Esfahan पर हमला किया. सभी अमेरिकी विमान रविवार सुबह 4:35 बजे तक ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके थे.
इन विमानों ने अमेरिका के मिसौरी एयरबेस से उड़ान भरी थी, जो कि 9/11 के हमले के बाद अब तक की सबसे लंबी B-2 मिशन उड़ान थी. कैन के अनुसार ईरान पर अमेरिकी हमलों में 14 बंकर-बस्टर बम, 2 दर्जन से ज्यादा टोमहॉक मिसाइलें और 125 से अधिक सैन्य विमान शामिल थे. मिडिल ईस्ट संघर्ष में ईरान के खिलाफ अमेरिका द्वारा ऐसे गोला-बारूद का उपयोग करने का यह पहला उदाहरण है.
‘डिकॉय’ रणनीति से दिया चकमा
जनरल केन के मुताबिक कुछ बमवर्षक विमानों को प्रशांत महासागर की ओर जानबूझकर भेजा गया ताकि ईरान को भ्रम में रखा जा सके. इसे डिकॉय मिशन कहा गया और इसकी जानकारी केवल कुछ गिने-चुने वरिष्ठ अधिकारियों को थी.
ट्रंप ने दिया हमले का आदेश
ये हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान के बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अगले दो सप्ताह में तय करेंगे कि संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान पर हमलों में इजरायल का साथ देगा या नहीं. लेकिन दो दिन बाद ही उन्होंने व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से मिशन की देखरेख करते हुए हमलों का आदेश दिया.
‘हमने आखिर तक ईऱान को भ्रम में रखा’
केन ने कहा कि ईरान ने अमेरिका पर अंदर या बाहर जाते समय कोई हमला नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि टोमहॉक मिसाइल इस्फ़हान पर हमला करने वाली अंतिम मिसाइल थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिका ईरान को भ्रम में रख सके. उन्होंने कहा कि हम ये कह सकते हैं कि ईरान की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली हमें नहीं पकड़ पाई.
ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म कियाः अमेरिकी रक्षामंत्री
अमेरिकी रक्षामंत्री पीट हेगसेथ ने ऑपरेशन को ऐतिहासिक सफलता बताया और कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब पूरी तरह तबाह हो गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले दिन से साफ कर चुके हैं कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं हासिल करने दिया जाएगा.