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    ईरान ने बंद किया होर्मुज स्ट्रेट तो दुनिया में मचेगी खलबली… भारत भी होगा प्रभावित, जानें इतना महत्वपूर्ण क्यों है ये जलमार्ग?

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    ईरान की संसद ने अपने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के बाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की मंजूरी दे दी है. ईरान की सरकारी मीडिया ने रविवार को यह जानकारी दी. ईरानी संसद की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्य मेजर जनरल कोवसारी ने कहा कि ईरान के शीर्ष सुरक्षा प्राधिकरण, सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को इस निर्णय को अंतिम रूप देना आवश्यक है. 

    ईरान अगर होर्मुज स्ट्रेट को बंद कर देता है, तो इससे वैश्विक व्यापार बाधित होगा, तेल की कीमतें बढ़ेंगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अस्थिरता पैदा हो सकती है. वैश्विक तेल खपत का 20 प्रतिशत होर्मुज स्ट्रेट के माध्यम से ही होकर गुजरता है. इस तरह के कदम से मध्य पूर्व में और अधिक अस्थिरता पैदा हो सकती है, जहां पिछले 20 महीनों में तनाव बढ़ रहा है. गाजा और लेबनान में हमास और हिजबुल्लाह के साथ इजरायल का युद्ध, ईरान के साथ संघर्ष और सीरिया में राजनीतिक ​अस्थिरता के चलते पहले से ही यह क्षेत्र अशांति के दौर से गुजर रहा है. 

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    होर्मुज स्ट्रेट क्या है और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

    होर्मुज स्ट्रेट एक संकरा लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण जलमार्ग है जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. यह उत्तरी तट पर ईरान और दक्षिण में मुसन्दम प्रायद्वीप – जो ओमान और संयुक्त अरब अमीरात का हिस्सा है – के बीच स्थित है. यह जलमार्ग लगभग 167 किमी लंबा है, जो अपने सबसे संकरे बिंदु पर लगभग 33 किमी तक सिमट जाता है, तथा इसमें आने-जाने वाले समुद्री यातायात के लिए तीन किमी चौड़ी शिपिंग लेन निर्धारित हैं. 

    होर्मुज स्ट्रेट (जलडमरूमध्य) फारस की खाड़ी से कच्चे तेल का परिवहन करने वाले तेल टैंकरों के लिए एकमात्र समुद्री मार्ग के रूप में कार्य करता है, जिससे यह वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण क्रूड ऑयल इम्पोर्ट कॉरिडोर में से एक बन गया है. प्रतिदिन लगभग 17 मिलियन बैरल तेल- या विश्व की कुल तेल खपत का लगभग 20 से 30 प्रतिशत- होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. दरअसल, फारस की खाड़ी से होने वाले सभी तेल निर्यातों में से लगभग 88 प्रतिशत को इस संकरे जलमार्ग से होकर गुजरना पड़ता है, क्योंकि वैकल्पिक पाइपलाइन और मार्ग सीमित हैं. तेल के अलावा, दुनिया की लगभग एक तिहाई लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) भी इसी गलियारे से होकर गुजरती है.

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    यदि होर्मुज ऑयल कॉरिडोर बंद हो गया तो क्या होगा?

    यदि ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बंद या अवरूद्ध कर देता है, तो इससे वैश्विक तेल निर्यात के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रवाह बाधित हो जाएगा, जिससे आपूर्ति में भारी कमी आएगी और तेल की कीमतों में तीव्र वृद्धि होगी. ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) के सदस्य सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और इराक अपने क्रूड ऑयल का ज्यादातर निर्यात इसी जलमार्ग से करते हैं, मुख्य रूप से एशिया में. यूएई और सऊदी अरब ने स्ट्रेट को बायपास करने के लिए दूसरे रास्ते तलाशने की कोशिश की है.

    अमेरिका के एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन ने पिछले वर्ष जून में कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की मौजूदा पाइपलाइनों से लगभग 2.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन की अप्रयुक्त क्षमता होर्मुज को बायपास करने के लिए उपलब्ध हो सकती है. चूंकि यह जलमार्ग बहुत संकरा और सैन्य दृष्टि से संवेदनशील है, इसलिए इसे अवरुद्ध करने के प्रयास क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकते हैं. ईरान अगर होर्मुज स्ट्रेट को बंद करता है तो इसके आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव होंगे. 

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    होर्मुज स्ट्रेट के बंद होने से भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

    हालांकि, भारत रूस और कुछ अरब देशों सहित कई अन्य स्रोतों से अपनी तेल और ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करता है, लेकिन इसकी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा ईरान से भी आता है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि होर्मुज जलमार्ग के बंद होने से भारतीय आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिसका असर वस्तुओं के मूल्य निर्धारण पर भी पड़ेगा. आजतक के सहयोगी चैनल इंडिया टुडे टीवी साथ बातचीत में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि भारत ने विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयारी कर रखी है और ऊर्जा दरें नियंत्रण में हैं. 

    ईरान सचमुच होर्मुज जलमार्ग को अवरुद्ध कर सकता है?

    आम तौर पर ईरान के पास तेल और गैस आयात के इस मुख्य अवरोधक बिंदु से होकर गुजरने वाले मालवाहक जहाजों को रोकने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बलपूर्वक ही बंद कर सकता है. यदि ईरानी नौसेना ने इस जलमार्ग को अवरूद्ध करने की कोशिश करती है, तो उसे अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े और क्षेत्र में गश्त कर रही अन्य पश्चिमी देशों की नौसेनाओं से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है. होर्मुज को बंद करने से ईरान पर आर्थिक रूप से भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे तेहरान भी अपना पेट्रोलियम उत्पाद का एक्सपोर्ट नहीं कर सकेगा. 

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    ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, ईरान स्वयं अपने तेल निर्यात के लिए ट्रांजिट पर निर्भर है, तथा होर्मुज जलमार्ग के पूर्वी छोर पर स्थित जस्क में उसका एक एक्सपोर्ट टर्मिनल मौजूद है. होर्मुज स्ट्रेट के अवरूद्ध होने से चीन भी परेशान हो जाएगा, क्योंकि वह ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और एक प्रमुख साझेदार है. चीन ने ईरान को पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों या प्रस्तावों का सामना करने से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया था.



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