More
    HomeHomeईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले से बिगड़ सकते हैं हालात,...

    ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले से बिगड़ सकते हैं हालात, 5 पॉइंट में समझें

    Published on

    spot_img


    ‘ईरान पर हमला करना नाइकी का एड नहीं है, बस करो…’, मिडिल ईस्ट एक्सपर्ट आरोन डेविड मिलर ने अमेरिका की तरफ से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने पर यह बयान दिया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ईरान के खिलाफ जंग में उतरने का फैसला न सिर्फ अमेरिका की ताकत को बताता है बल्कि तेल-समृद्ध क्षेत्र में बदलाव के संकेत भी देता है. यह अमेरिका को हमेशा के लिए युद्ध में धकेल देता है, जैसा कि उसने इराक और अफगानिस्तान में किया था, जिसमें ट्रंप ने देश को नहीं डालने की कसम खाई थी.

    अमेरिकी सेना ने रविवार को ईरान के फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान परमाणु ठिकानों पर बंकर बस्टर बमों से हमला कर दिया. सीएनएन ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया कि अमेरिका ने फोर्डो में परमाणु ठिकाने पर एक दर्जन बंकर-बस्टर बम गिराने के लिए छह बी-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि प्राइमरी साइट फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया.

    ये भी पढ़ें: ईरान की न्यूक्लियर साइट पर हमले के बाद रेडिएशन लीक का कितना खतरा? एक्सपर्ट ने समझाया

    यह हमला ईरान-इज़रायल जंग में पहली बार सीधे तौर पर अमेरिकी सैन्य भागीदारी है, जिससे संघर्ष ज्यादा बढ़ने की आशंका है. हालाकि, जैसा कि आरोन डेविड मिलर ने कहा, यह सिर्फ नाइकी का विज्ञापन नहीं है. कार्नेगी एंडोमेंट के सीनियर फेलो और पूर्व अमेरिकी विदेश विभाग के विश्लेषक मिलर ने एक्स पर लिखा, ‘आज और हर दिन का सबसे अहम पॉइंट. ईरान पर हमला करना कोई नाइकी का विज्ञापन नहीं है- बस करो. जब अमेरिका अपनी सेना को खतरे में डालता है, तो यह सिर्फ यह नहीं होता कि हम ऐसा कर सकते हैं या नहीं; बल्कि यह होता है कि हमें ऐसा करना चाहिए या नहीं; इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ेगी और अगले दिन क्या होगा.’ यह अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए एक बुरा सपना साबित हो सकता है.

    1. मिडिल ईस्ट में अमेरिका का दबदबा

    ईरान ने खुद को सुन्नी सऊदी अरब, जो कि अमेरिका का सहयोगी है, के बराबर शिया सुपरस्टेट बनाया. सैन्य रूप से कमजोर ईरान मिडिल ईस्ट में पावर बैलेंस को प्रभावित करेगा. चीन और रूस दोनों ने अमेरिका को ईरान में सैन्य दखल के खिलाफ चेतावनी दी थी, क्योंकि नौ दिन पहले इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और टॉप मिलिट्री कमांडरों पर हमला किया था.

    पिछले हफ़्ते ट्रंप की तरफ से ईरान पर हमले की चेतावनी दिए जाने के बाद, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि अमेरिका की तरफ से बल का कोई भी प्रयोग ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा का उल्लंघन माना जाएगा. रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी अमेरिका को सैन्य दखल के खिलाफ़ चेतावनी दी, जिसे वास्तव में नकारात्मक नतीजों के साथ एक बेहद ख़तरनाक कदम बताया.

    ये भी पढ़ें: ‘ईरान को न्यूक्लियर हथियार देने को कई देश तैयार’, रूसी नेता का सनसनीखेज दावा, अमेरिकी हमले को बताया नाकाम

    चीन और रूस के युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होने की संभावना बहुत कम है, फिर भी वे ईरान को अमेरिका का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं, जिसे मिडिल ईस्ट में अपने विरोधियों को उनकी गुप्त मदद की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. ईरान में किए गए हमले, जिसमें लड़ाकू विमानों ने 37 घंटे तक उड़ान भरकर 11,400 किलोमीटर की दूरी तय की, अमेरिका की मंशा को बताते हैं.

    2. अब ईरान क्या कर सकता है?

    ट्रंप ने अमेरिका को मिडिल ईस्ट में फंसा दिया है और यह बात सभी को स्पष्ट है. व्हाइट हाउस से दिए गए संबोधन में उन्होंने कहा, ‘मिडिल ईस्ट के दबंग ईरान को अब शांति स्थापित करनी होगी, अगर वह ऐसा नहीं करता तो भविष्य में हमले कहीं अधिक बड़े होंगे.’

    ट्रंप ने दावा किया कि हमले सफल रहे, लेकिन उन्होंने कोई सबूत नहीं दिया. भले ही ईरान की न्यूक्लियर प्रोग्रेस खत्म हो गई हो, लेकिन वह अमेरिका और इजरायल के लिए खतरा बना हुआ है. उसने जवाबी हमला करने की धमकी दी है और तेल अवीव में मिसाइलों की बौछार करके यह दिखा भी दिया है. ईरानी विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने एक्स पर लिखा, ‘आज सुबह की घटनाएं (अमेरिकी हमले) अपमानजनक हैं और इसके दीर्घकालिक परिणाम होंगे.’

    3. अमेरिका के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर?

    मिलर ने रॉयटर्स को बताया, ‘ईरानियों की सैन्य क्षमताएं गंभीर रूप से कमजोर और बेकार हो चुकी हैं. लेकिन उनके पास जवाब देने के लिए सभी तरह के तरीके हैं… यह जल्दी खत्म नहीं होने वाला है.’ ईरान लेबनान स्थित हिजबुल्लाह और यमन के हूती विद्रोहियों जैसे अपने प्रॉक्सी मिलिशिया का इस्तेमाल क्षेत्र में और उसके आसपास अमेरिकी और इजरायली हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है.

    अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे ठिकानों पर अपने हजारों सैनिक तैनात कर रखे हैं और ईरान बदला लेने के लिए उन्हें टारगेट बना सकता है. एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक वैसे तो इन ठिकानों पर इजरायल की तरह मिसाइल सुरक्षा कवच हैं, फिर भी ईरान से निकटता के कारण उनके पास मिसाइलों और ड्रोन के झुंड का जवाब देने के लिए बहुत कम समय होगा.

    ये भी पढ़ें: दो सप्ताह की डेडलाइन दो दिन में खत्म… ईरान पर हमले के दांव से ट्रंप ने दोनों मोर्चे पर लिया भारी रिस्क?

    भौगोलिक दूरी और अत्याधुनिक मिसाइल शील्ड के एडवांटेज के बावजूद, ईरान की सभी मिसाइलों को मार गिराने में इजरायल विफल रहा है. फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में राजनीति और इंटरनेशनल रिलेशन विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर एरिक लॉब ने रॉयटर्स को बताया कि ईरान का अगला कदम अभी भी एक खुला सवाल बना हुआ है. उन्होंने बताया कि ईरान क्षेत्र के अंदर और बाहर अमेरिका और इजरायल के आसान टारगेट पर हमला कर सकता है.

    अगर ईरान अपने हमले में किसी अमेरिकी को मारता है, तो ट्रंप और अमेरिका तनाव के चंगुल में फंस जाएंगे, जिससे बाहर निकलने का कोई साफ रास्ता नहीं होगा. ट्रंप पहले ही इसका वादा कर चुके हैं. ट्रंप ने अपने भाषण के बाद ट्रुथ सोशल पर बड़े अक्षरों में लिखा, ‘ईरान की तरफ से संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई का जवाब उससे भी अधिक ताकत से दिया जाएगा जो आज रात को देखा गया.’

    4. होर्मुज की खाड़ी पर सबकी नजर 

    मिडिल ईस्ट में किसी भी संकट का वैश्विक व्यापार और तेल की कीमतों पर बड़ा असर पड़ता है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्यों में तीसरे सबसे बड़े उत्पादक ईरान के शामिल होने से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया था. विशेषज्ञों और व्यापारियों की चिंता सिर्फ ईरानी तेल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ईरान के दक्षिणी तट पर होर्मुज की खाड़ी से होकर गुजरने वाले कच्चे तेल के ट्रेड रूट पर भी है.

    दुनिया भर में कारोबार किए जाने वाले कच्चे तेल और उससे जुड़े उत्पादों का लगभग 20% हिस्सा होर्मुज से होकर गुजरता है, जो फारस की खाड़ी में एक संकरा मुहाना है. अपने सबसे संकरे पॉइंट पर, होर्मुज की खाड़ी सिर्फ़ 33 किलोमीटर चौड़ी है. एसोसिएटेड प्रेस के विश्लेषण में कहा गया है कि ईरान की हमला करने वाली नौकाओं और नौसैनिक बारूदी सुरंगों का बेड़ा खाड़ी के रूट को मुश्किल बना सकता है.

    ये भी पढ़ें: प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान से की बात, तनाव कम करने और शांति का किया आह्वान

    युद्ध में अमेरिका की एंट्री से ईरान टैंकरों और एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीधा हमला कर सकता है. आरबीसी कैपिटल की विश्लेषक हेलिमा क्रॉफ्ट ने पिछले सप्ताह रॉयटर्स से बात करते हुए यह आशंका जताई थी. हालांकि बहरीन में तैनात अमेरिका की पांचवीं फ्लीट दखल देगी, लेकिन इससे भी तेल की कीमतें बढ़ने के लिए पर्याप्त घबराहट होगी, जिसका असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा.

    5. ट्रंप की विरासत और महाभियोग का खतरा

    ईरान-इज़रायल युद्ध में अमेरिका का उलझना सिर्फ़ तेल की कीमतों के लिए ही नहीं, बल्कि ट्रंप की विरासत के लिए भी एक ढलान की तरह है. अमेरिकी नेताओं ने एकतरफा फ़ैसले को लेकर ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की मांग शुरू कर दी है. वह व्यक्ति जो कुछ ही घंटे पहले नोबेल शांति पुरस्कार पर नजर गड़ाए हुए था और जिसे पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से नॉमिनेट किया था, उसने अमेरिका को क्षेत्रीय युद्ध में एक पार्टी बना दिया है.

    डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाया था और अब्राहम समझौते पर मध्यस्थता की थी, जिससे अरब देशों के साथ इजरायल के संबंध सामान्य हो गए थे. अब, अपने दूसरे कार्यकाल के मात्र छह महीने बाद ही ट्रंप ने अमेरिका को उस स्थिति में पहुंचा दिया है, जिसे उन्होंने पहले ‘हमेशा के लिए युद्ध’ करार दिया था. विदेशी युद्धों और सत्ता परिवर्तन की कोशिशों से ज्यादातर अमेरिकी राष्ट्रपतियों को अच्छे नतीजे हासिन नहीं हुए हैं.

    ये भी पढ़ें: ईरान के समर्थन में आया पाकिस्तान, कल तक ट्रंप के लिए कर रहा था नोबेल पीस प्राइज की मांग

    युद्ध में शामिल होने का ट्रंप का फैसला कुछ लोगों के लिए स्वागत योग्य है, लेकिन कई रिपब्लिकन और MAGA वफादारों की इच्छा के खिलाफ भी है.
    ट्रंप पहले से ही अपने गृह युद्ध में आप्रवासियों की बंदी बनाये जाने और उन्हें निर्वासित किये जाने के मुद्दे पर उलझे हुए हैं, ऐसा लगता है कि उन्होंने ईरान युद्ध के मुद्दे पर खुद को महाभियोग के लिए उपयुक्त बना लिया है.

    न्यूयॉर्क से कांग्रेस सदस्य एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने एक्स पर लिखा, ‘ईरान पर बिना इजाजत के बमबारी करने का राष्ट्रपति का विनाशकारी फैसला संविधान और कांग्रेस की शक्तियों का गंभीर उल्लंघन है. उन्होंने आवेश में आकर ऐसा युद्ध छेड़ने का जोखिम उठाया है जो हमें पीढ़ियों तक फंसा सकता है. यह निश्चित रूप से महाभियोग का आधार है.’

    ट्रंप ने कहा कि उनकी सबसे गौरवपूर्ण विरासत शांतिदूत की होगी, लेकिन उन्होंने अमेरिका को एक और युद्ध में धकेल दिया है. अगर तीन परमाणु ठिकानों और उसके परमाणु कार्यक्रम को होने वाला नुकसान बहुत अधिक है, तो ईरान की जवाबी कार्रवाई उग्र होगी. दुनिया सतर्कता से देख रही है कि यह सब कैसे सामने आता है.



    Source link

    Latest articles

    T20 क्रिकेट में नामीबिया का बड़ा उलटफेर, दक्षिण अफ्रीका को हराकर रचा इतिहास

    नामीबिया में एक बड़े उलटफेर में 11 अक्टूबर को विंडहोक में खेले गए...

    ‘देवबंद में महिला पत्रकारों को नहीं रोका गया’, अफगानी विदेशी मंत्री के दौरे पर दारुल उलूम की सफाई

    दारुल उलूम देवबंद ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर...

    Diane Keaton Has Passed Away At 79

    Diane Keaton Dies At 79 ...

    More like this

    T20 क्रिकेट में नामीबिया का बड़ा उलटफेर, दक्षिण अफ्रीका को हराकर रचा इतिहास

    नामीबिया में एक बड़े उलटफेर में 11 अक्टूबर को विंडहोक में खेले गए...

    ‘देवबंद में महिला पत्रकारों को नहीं रोका गया’, अफगानी विदेशी मंत्री के दौरे पर दारुल उलूम की सफाई

    दारुल उलूम देवबंद ने शनिवार को कहा कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर...