बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोरों पर है और इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा बयान दिया है. तेजस्वी ने कहा कि उन्हें लगता है कि चुनाव के दौरान भाजपा यह कहेगी कि नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा कहने भर से भरोसा नहीं किया जा सकता.
तेजस्वी यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर बीजेपी वाकई चाहती है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनें, तो वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस पर हलफनामा साइन करवाए कि अगले पांच साल तक वही मुख्यमंत्री रहेंगे.’
‘भाजपा अपने सहयोगी दलों को खत्म कर देती है’
उन्होंने भाजपा पर गठबंधन की राजनीति को लेकर भी निशाना साधा और कहा कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को खत्म कर देती है. तेजस्वी ने कहा, ‘देशभर में आप देख लीजिए, भाजपा ने जिन भी क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया, उन्हें खत्म कर दिया. बिहार में चिराग पासवान की पार्टी के साथ क्या किया, वह सबके सामने है.’
‘गठबंधन बदलने वाले नेताओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता’
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि भाजपा का एजेंडा सिर्फ सत्ता हासिल करना है, न कि गठबंधन धर्म निभाना. उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा कि अब बिहार के लोग समझ चुके हैं कि बार-बार गठबंधन बदलने वाले नेताओं पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह बयान बिहार में आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें राजद भाजपा को जनता की नजरों में अविश्वसनीय दिखाना चाहता है.
इस बीच, भाजपा और जदयू की तरफ से तेजस्वी यादव के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सियासी गलियारों में इस बयान को लेकर हलचल तेज हो गई है.
‘बिहार में PM मोदी की रैलियों पर अब तक 20 हजार करोड़ रुपये खर्च’
राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 से अब तक बिहार में पीएम मोदी की रैलियों पर करीब 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. तेजस्वी ने इसे जनता के पैसों का दुरुपयोग बताया और कहा कि मोदी सरकार प्रचार के नाम पर जनता को गुमराह कर रही है.
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, अब तक पीएम मोदी ने बिहार में लगभग 200 रैलियां की हैं. हर रैली पर औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च हुए. यानी कुल 20,000 करोड़ रुपये सिर्फ प्रचार में उड़ाए गए. ये सारा खर्च सरकारी पैसे से किया गया, ताकि चुनाव में राजनीतिक लाभ लिया जा सके.