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    ‘रेड लाइन न करें पार, ताकत का अंधाधुंध इस्तेमाल अस्वीकार्य…’, UNSC में चीन ने इजरायल का नाम लेकर कहा

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    चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान-इजरायल को लेकर खरी खरी बातें की हैं. चीन ने UNSC की इमरजेंसी मीटिंग में इजरायल पर साफ साफ आरोप लगाए. संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग ने कहा कि इजरायल की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करती है, ईरान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालती है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करती है. फू कॉन्ग ने कहा चीन इसकी स्पष्ट रूप से निंदा करता है. 

    फू कॉन्ग ने इस जंग के खतरे को रेखांकित करते हुए चेतावनी दी कि यदि संघर्ष और बढ़ता है तो न केवल दोनों पक्षों को अधिक नुकसान होगा, बल्कि क्षेत्रीय देश भी गंभीर रूप से प्रभावित होंगे. हालांकि चीन ने यह नहीं कहा कि इस जंग से पश्चिम एशिया की कौन कौन सी क्षेत्रीय ताकतें प्रभावित हो सकती हैं.

    संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग ने कहा कि इजरायल-ईरान सैन्य संघर्ष अपने आठवें दिन में प्रवेश कर गया है और यह देखना दुखद है कि संघर्ष के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नागरिक हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों की सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है.

    बता दें कि अब तक की जानकारी में इस हमले में ईरान के 640 लोग मारे गए हैं, जबकि इजरायल की ओर से मरने वालों की संख्या 40 है.

    चीन इस जंग की शुरुआत से ही सीजफायर की मांग कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने 13 जून को कहा कि चीन इजरायल के हमलों से “बेहद चिंतित” है और ईरान की संप्रभुता के उल्लंघन का विरोध करता है. विदेश मंत्री वांग यी ने इजरायल के हमलों को “अस्वीकार्य” और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया, साथ ही शांति के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने की पेशकश की.

    UNSC में चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कॉन्ग.

    राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 17 जून को कजाकिस्तान में कहा था कि क्षेत्रीय अस्थिरता वैश्विक शांति के लिए खतरा है और सभी पक्षों को युद्धविराम के लिए काम करना चाहिए. उन्होंने रूस के साथ साथ मिलकर युद्ध को “यूएन चार्टर का उल्लंघन” करार दिया.  

    चीन ने अमेरिका पर “आग में घी डालने” का आरोप लगाया और प्रभावशाली देशों से शांति के लिए जिम्मेदारी लेने को कहा. हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि फिलहाल चीन की भूमिका सीमित है और वह सैन्य समर्थन से बच रहा है और उसका बयान केवल कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित है.

    फू कॉन्ग ने तत्काल युद्ध विराम की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण मोड़ पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आम सहमति बनानी चाहिए और तनाव कम करने के लिए बातचीत को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.

    फू कॉन्ग ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय विवादों को हल करने के लिए बल का प्रयोग सही तरीका नहीं है. इससे केवल नफरत और संघर्ष बढ़ेगा. जितनी जल्दी युद्ध विराम लागू होगा, उतना ही कम नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की स्थिति को रसातल में ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

    “संघर्ष में शामिल पक्षों विशेष रूप से इजरायल को स्थिति को आउट ऑफ कंट्रोल होने से रोकने और लड़ाई के किसी भी फैलाव से बचने के लिए जल्द से जल्द युद्ध विराम करना चाहिए और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.”

    चीनी राजनयिक ने कहा कि सशस्त्र संघर्ष में नागरिक सुरक्षा के लिए लाल रेखा को किसी भी समय पार नहीं किया जाना चाहिए और ताकत का अंधाधुंध उपयोग अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि संघर्ष में शामिल पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए, निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए, नागरिक सुविधाओं पर हमला करने से बचना चाहिए और तीसरे देश के नागरिकों को निकालने में मदद करनी चाहिए. 

    फू कॉन्ग के अनुसार मौजूदा संघर्ष ने ईरानी परमाणु मुद्दे पर बातचीत की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है. फू ने कहा कि कई ईरानी परमाणु साइट पर हमले एक खतरनाक मिसाल कायम करते हैं और इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं. “हमें ईरानी परमाणु मुद्दे के राजनीतिक समाधान की सामान्य दिशा में नहीं डगमगाना चाहिए और हमें बातचीत और वार्ता के माध्यम से ईरानी परमाणु मुद्दे को राजनीतिक समाधान के रास्ते पर वापस लाने में दृढ़ रहना चाहिए.”

    चीन के राजनयिक ने अमेरिका और ब्रिटेन जैसी ताकतों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संघर्ष में शामिल पक्षों पर विशेष प्रभाव रखने वाले प्रमुख देशों को स्थिति को शांत करने के लिए प्रयास करना चाहिए, न कि इसके विपरीत करना चाहिए.
     



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