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    ‘मैं चाहे कितनी भी शांति करा लूं…’ कांगो-रवांडा में पीस डील के बाद ट्रंप ने फिर जताई नोबेल प्राइज की आस

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    डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) और रवांडा ने पूर्वी कांगो में जारी हिंसा को खत्म करने के लिए एक शुरुआती समझौते पर साइन किए हैं. दोनों देशों के बीच यह समझौता अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में बुधवार देर रात हुआ, जिसमें अमेरिका की अहम भूमिका रही. इसका हवाला देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर नोबेल पीस प्राइज की उम्मीद जताई है.

    राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि वह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से किसी भी दर्जे में पीछे नहीं रहना चाहते. जैसे कि वह ओबामा की तरह दो बार राष्ट्रपति तो बन गए हैं, लेकिन उनके नाम कोई नोबेल पीस प्राइज नहीं है. इसकी उम्मीद वह लंबे समय से लगाए बैठे हैं. इसको लेकर ट्रंप अक्सर तंज कसते रहते हैं और अब रवांडा-कांगो में संभावित शांति समझौते के बाद एक बार फिर तंज किया है.

    यह भी पढ़ें: ईरान-इजरायल युद्ध के बीच ट्रंप का नोबेल सपना, पाक जनरल मुनीर से व्हाइट हाउस में मुलाकात!

    ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान में भी शांति स्थापित कराने का दावा किया

    ट्रंप ने एक पोस्ट में कहा, “मुझे इसके लिए (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा गणराज्य के बीच संधि के लिए) नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा.” उन्होंने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “मुझे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, मुझे सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा.”

    ट्रंप ने आगे कहा, “मुझे मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, और मुझे मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, जो अगर सब कुछ ठीक रहा, तो और भी देश इसमें शामिल होंगे, और “युगों” में पहली बार मध्य पूर्व को एकीकृत करेगा! नहीं, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा चाहे मैं कुछ भी करूं, जिसमें रूस/यूक्रेन और इजरायल/ईरान शामिल हैं, जो भी परिणाम हों, लेकिन लोग जानते हैं, और यही मेरे लिए मायने रखता है!”

    रवांडा-कांगो ने शांति स्थापित करने के लिए समझौता किया

    रवांडा-कांगो के बीच अमेरिका में तीन दिन तक चली राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक मामलों पर बातचीत के बाद दोनों देशों ने एक ड्राफ्ट समझौते पर साइन किया है, जिसपर आने वाले दिनों में फाइनल मुहर लग सकती है. समझौते के मसौदे में कई अहम बिंदुओं को शामिल किया गया है, जैसे कि, वे हथियार का इस्तेमाल छोड़ेंगे, नॉन-स्टेट आर्म्ड ग्रुप्स को समाप्त करेंगे और रिफ्यूजी और इंटरनल माइग्रेंट्स की घर वापसी कराएंगे.

    पूर्वी कांगो लंबे समय से आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट से जूझ रहा है. यहां कई आर्म्ड ग्रुप नेचुरल रिसोर्सेज पर नियंत्रण हासिल करने के लिए लड़ रहे थे. दोनों में हिंसा इस साल जनवरी में और भड़क उठी जब रवांडा समर्थित माने जाने वाले M23 विद्रोही गुट ने गोमा शहर पर कब्जा कर लिया. यह इलाका नेचुरल रिसोर्सेज से भरपूर है. इसके कुछ सप्ताह बाद ही उन्होंने रणनीतिक रूप से अहम बुकारू शहर भी अपने नियंत्रण में ले लिया. हालांकि रवांडा ने इन विद्रोहियों को समर्थन देने से इनकार किया है.

    यह भी पढ़ें: अमेरिका का मुनीर प्रेम: हाइपरसोनिक मिसाइलों के साये में नोबेल का सपना देख रहे डोनाल्ड ट्रंप

    संघर्ष में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों को विस्थापित होना पड़ा है. कई पक्षों पर मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप भी लगे हैं. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को अपनी एक और शांति उपलब्धि के रूप में बताया और सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखते हुए कहा कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा, चाहे वे कितनी भी शांति स्थापित कर दें.



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