ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष जारी है. दोनों मुल्क एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. वहीं, अमेरिका भी ईरान से जुबानी जंग लड़ रहा है. राष्ट्रपति ट्रंप सीधे तौर पर ईरान को धमकी दे चुके हैं. इसी बीच उन्होंने पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में मीटिंग की. ट्रंप ने मुनीर से मुलाकात के बाद जिस तरह से कहा कि पाकिस्तान इजरायल के लिए खराब नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिकी डॉलर के लिए पाकिस्तान अब इजरायल को भी मान्यता देगा? ट्रंप की तरह पाकिस्तान फायदे के लिए कुछ भी कर सकता है. वहीं, इजरायल और ईरान के बीच जिस तरह से भयानक लड़ाई हो रही है. उसके बाद अमेरिकी एंट्री को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.
वहीं, युद्ध के सांतवें दिन इजरायल को ईरान ने बुरी तरह से दहला दिया. इजरायल को सबसे बडा झटका उसके बीरशेवा के सोरोका अस्पताल पर हुए हमले से लगा. इजरायल इस अस्पताल को ईरान की मिसाइलों से नहीं बचा पाया और भयानक तबाही मच गई. धमाके के बाद अस्पताल के अंदर अफरातफरी मच गई. लोग बदहवाश हो गए. जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे.
इजरायल के सोरोका अस्पताल को भारी नुकसान हुआ
माना जा रहा है कि इजरायल ने जिस तरह से ईरान के परमाणु ठिकाने अरक को निशाना बनाया, ईरान की तरफ से इसका पलटवार इजरायल के सोरोका अस्पताल पर बड़ा हमला करके दिया गया. इस हमले में पूरा अस्पताल तहस-नहस हो गया. वहीं ईरान ने इजरायल का स्टॉक एक्सचेंज उड़ा दिया है. तेल अवीव के रमतगन इलाके का ये स्टॉक एक्सटेंज ईरान की मिसाइल का शिकार हुआ है. ईरान ने तेल अवीव के रिहायशी इलाके में भी मिसाइल दागीं. इससे इलाके में आग लग गई, लेकिन सबसे भीषण हमला बीरशेबा में सोरोका अस्पताल पर हुआ. इस हमले के बाद इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान जानबूझकर इजराइली नागरिकों और अस्पतालों को निशाना बना रहा है. हम तेहरान में बैठे अत्याचारियों से इसकी पूरी कीमत वसूलेंगे.
किस मुल्क को किस आधार पर मिलेगी बढ़त?
इजरायल के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन एय़र डिफेंस सिस्टम है, लेकिन उसके पास सीमित संख्या में मिसाइल इंटरसेप्टर हैं. जानकारों का कहना है कि दो बातें ही आगे के युद्ध को तय करेंगी. पहली-इजराइल के मिसाइल इंटरसेप्टर का भंडार और दूसरी- ईरान के पास लंबी दूरी की मिसाइलों का भंडार… क्योंकि जिसका स्टॉक पहले खत्म होगा, वो मुसीबत में पड़ जाएगा. पिछले हफ्तेभर में इजरायल ने ईरान की ओर से आने वाली ज़्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में कामयाबी पाई है, जिससे इजराइली वायुसेना को ईरान पर हमला करने के लिए ज़्यादा समय मिल गया है, लेकिन जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ रहा है, इजराइल इंटरसेप्टर को बहुत ज्यादा तेज़ी से दाग रहा है, जितना वो उन्हें बना सकता है. इजराइली सुरक्षा प्रतिष्ठान के भीतर सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों के भंडार के खत्म होने से पहले ही इजरायल की वायु सुरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाएगी. इसलिए इजरायल की तरफ से अब ईरान के मिसाइल लॉन्चरों को निशाना बनाया जाएगा.
ईरान को तुरंत घुटने पर लाना कठिन
भले ट्रंप के युद्ध में उतरने के निर्देश के बाद अमेरिका इजरायल का पूरी ताकत साथ देने उतर जाए, लेकिन फिर भी दावा है कि ईरान को तुरंत घुटने पर लाना कठिन होगा. क्योंकि दुनिया के बड़े रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि मिसाइल का महाभंडार रखने वाले ईरान ने अब तक सात दिन के युद्ध में अपने हथियारों का एक हिस्सा ही खर्च किया है. ईरान ने पहले से ही युद्ध के अगले चऱण के लिए अपने स्टेज-2 हथियारों को संभालकर रखा है.
ईरान के पास खतरनाक हथियार
ईरान के पास ऐसे तीन हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल अब तक ईरान ने इस सात दिन के युद्ध में नहीं किया है. जिनमें फतह-2 हाइपरसोनिक मिसाइल है. खोर्रमशहर बैलिस्टिक मिसाइल है और अरश आत्मघाती ड्रोन हैं, जो 2000 किमी तक उड़ान भरने की क्षमता रखता है, कहा जा रहा है कि यही वो हथियार हैं जिनके दम खामेनेई झुकने को तैयार नहीं है. दुनिया में बहुत से लोगों को ये लगता रहा कि इजरायल के आगे हफ्तेभर भी ईरान टिक नहीं पाएगा, लेकिन उन सब शंकाओं को ईरान ने नेस्तनाबूद कर दिया है. खामेनेई ने बता दिया कि किन हथियारों के दम पर वो अमेरिका या इजरायल के सामने सरेंडर नहीं, बल्कि सीधे ल़ड़ने को तैयार हैं. ईरान की खोर्रमशहर मिसाइल (Khorramshahr Missile) बेहद खतरनाक है. दावों के मुताबिक इसे ना इजरायल का डिफेंस सिस्टम रोक पाएगा ना ही अमेरिकी मदद से रोका जा सकेगा. ये ईरान के एक शहर के नाम पर है. इसकी स्पीड- 9878 से 19756 km/hr तक जाती है. इसकी रेंज 2000 किमी तक है. साथ ही 1800 किलोग्राम वजन का हथियार लगा सकती है. इसे ट्रक लॉन्चर से दागा जाता है. यानी कहीं से भी लॉन्चिंग की सुविधा मौजूद है. अगर इसे ईरान की सीमा से लॉन्च किया जाए तो ये आराम से इजरायल के किसी भी शहर पर जाकर वार कर सकती है.
खीबर मिसाइल से कई टारगेट्स हिट कर सकता है ईरान
खोर्रमशहर ईरान की वो मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल अब तक ईरान ने इजरायल के खिलाफ नहीं किया है. तो क्या इसे रोककर इसलिए रखा है, ताकि अमेरिका जब साथ देने आए तब इजरायल को मिले अमेरिकी बूस्टर डोज की काट पैदा की जा सके. जहां ट्रंप दावा करते हैं कि बातचीत का वक्त खत्म हो चुका है. ट्रंप के आगे ईरान के ना झुकने के पीछे फिलहाल वजह खोर्रमशहर जैसे खतरनाक हथियार हैं. जिस मिसाइल के 4 वैरिएंट्स मौजूद हैं. चौथे को खीबर (Kheibar) भी बुलाया जाता है. इस मिसाइल में मल्टीपल वॉरहेड लगाने की तकनीक यानी ईरान एक ही मिसाइल से इजरायल के कई टारगेट्स पर निशाना लगा सकता है. जिसे दो साल पहले दुनिया के सामने लाते वक्त कहा गया कि ये शांति का प्रतीक है.