दिल्ली-एनसीआर में मौसम का मिजाज़ हर साल एक्सट्रीम हो जाता है. एक तरफ प्रचंड गर्मी, दूसरी तरफ डुबाने वाली बारिश और फिर कड़कड़ाती सर्दी. 11 जून 2025 को दिल्ली में तापमान 43.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि फील लाइक टेंपरेचर 48.9 डिग्री था. आइए समझते हैं कि दिल्ली-एनसीआर का मौसम इतना एक्सट्रीम क्यों है? इसके पीछे क्या कारण हैं?
गर्मी: क्यों इतनी प्रचंड?
दिल्ली-एनसीआर में गर्मी का कहर कई कारणों से बढ़ता है…
जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान बढ़ रहा है. 2025 में गर्मी का असर पहले से ज्यादा दिखाई दे रहा है. आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, चरम मौसम की घटनाएं अधिक बार और तेज हो रही हैं.
शहरीकरण और हीट आइलैंड प्रभाव: दिल्ली में कंक्रीट के जंगलों और वाहनों की बढ़ती संख्या ने “हीट आइलैंड” प्रभाव पैदा किया है. शहर का तापमान ग्रामीण इलाकों की तुलना में ज्यादा होता है. कंक्रीट और अस्फाल्ट दिन के दौरान गर्मी सोखते हैं. रात में उसे छोड़ते हैं, जिससे रातें भी गर्म हो जाती हैं.
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आर्द्रता: गर्मी के दिनों में आर्द्रता (Humidity) बढ़ जाती है, जिससे फील लाइक टेंपरेचर और ज्यादा हो जाता है. 11 जून 2025 को 43.4 डिग्री तापमान और 70% आर्द्रता ने फील लाइक टेंपरेचर 48.9 डिग्री तक पहुंचा दिया. यह स्थिति शरीर को ठंडा रखने में मुश्किल पैदा करती है, क्योंकि पसीना भाप बनकर उड़ नहीं पाता.
मॉनसून की देरी: मॉनसून की देरी से गर्मी का दौर लंबा हो जाता है, जिससे तापमान और बढ़ता है. 2025 में, मॉनसून की देरी ने गर्मी को और भयानक बना दिया.
बारिश: क्यों इतनी डुबाने वाली?
मॉनसून के दौरान दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश होती है, जो कई बार बाढ़ और पानी भराव का कारण बनती है…
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मॉनसून का असर: जुलाई-अगस्त में मॉनसून बारिश लाता है, लेकिन कई बार यह बहुत ज्यादा होती है. 2024 में एक दिन में 228 मिमी बारिश हुई, जिससे सड़कों पर पानी भर गया और बाढ़ जैसी स्थिति बन गई.
ड्रेनेज सिस्टम की कमी: दिल्ली में ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं है, जिससे बारिश का पानी सड़कों पर जमा हो जाता है. यह स्थिति ट्रैफिक जाम और लोगों के लिए परेशानी बढ़ाती है.
क्लाइमेट चेंज: जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश के पैटर्न में बदलाव आया है. अब बारिश एकदम से ज्यादा होती है, बजाय कि नियमित रूप से. यह अचानक बाढ़ और पानी भराव का कारण बनता है.
थंडरस्टॉर्म्स: अक्सर थंडरस्टॉर्म्स के दौरान बहुत ज्यादा बारिश होती है, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है. 2023 में एक थंडरस्टॉर्म ने 24 घंटों में 150 मिमी बारिश लाकर सड़कों को जलमग्न कर दिया.
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सर्दी: क्यों इतनी कड़कड़ाती?
सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में ठंड बहुत तेज होती है, जिसके पीछे ये कारण हैं…
शीत लहरें: दिसंबर-जनवरी में शीत लहरें आती हैं, जो साइबेरिया से ठंडी हवाओं को लेकर आती हैं. 2023 में जनवरी में न्यूनतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया था.
फॉग और स्मॉग: सर्दियों में फॉग और स्मॉग की वजह से तापमान और ज्यादा गिर जाता है. विजिबिलिटी कम हो जाती है. यह स्थिति ट्रैफिक और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.
उच्च वायुमंडलीय दबाव: सर्दियों में उच्च वायुमंडलीय दबाव की वजह से हवाएं स्थिर हो जाती हैं, जिससे ठंड और बढ़ती है. यह ठंड को और कड़कड़ाती बनाता है.
जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन की वजह से सर्दियों में तापमान में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो रहा है, जिससे ठंड की अवधि लंबी हो रही है.
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वैज्ञानिक कारण: दिल्ली-एनसीआर का मौसम एक्सट्रीम क्यों?
दिल्ली-एनसीआर का मौसम एक्सट्रीम होने के पीछे कई वैज्ञानिक कारण हैं…
जलवायु परिवर्तन: ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, जिससे मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है. आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, चरम मौसम की घटनाएं अधिक बार और तेज हो रही हैं.
एल नीनो और ला नीना: ये प्रशांत महासागर के जलवायु पैटर्न दिल्ली-एनसीआर के मौसम को प्रभावित करते हैं. एल नीनो गर्मी बढ़ाता है, जबकि ला नीना सर्दी और बारिश को प्रभावित करता है. 2024 में एल नीनो की वजह से गर्मी ज्यादा थी.
शहरी हीट आइलैंड: शहरों में कंक्रीट और वाहनों की वजह से तापमान ज्यादा बढ़ता है. दिल्ली में हरियाली कम होने से यह प्रभाव और बढ़ गया है.
मॉनसून सिस्टम: मॉनसून की गतिविधियां दिल्ली-एनसीआर में बारिश को प्रभावित करती हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से इनमें बदलाव आ रहा है. 2023 में मॉनसून की देरी ने गर्मी को लंबा कर दिया था.