गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार दोपहर उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 एक भीषण हादसे का शिकार हो गई. टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान अचानक संतुलन खो बैठा और मेघाणीनगर इलाके में स्थित एक मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया. इस बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान में क्रू समेत कुल 242 लोग सवार थे.
इस हादसे ने सिर्फ विमान में सवार लोगों की जिंदगी ही नहीं छीनी, बल्कि अपनी चपेट में अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के MBBS छात्रों और डॉक्टरों को भी अपनी जद में ले लिया. विमान पहले बीजे मेडिकल कॉलेज की मेस बिल्डिंग से ही टकराया, इसके बाद अतुल्यम हॉस्टल से जा टकराया. इस हॉस्टल में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स रहते थे.
अब सवाल है कि इस हादसे का कारण क्या रहा होगा? सारी चर्चा इसी सवाल पर अटक रही है कि ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ कुछ ही सेकेंड में ये विमान क्रैश हो गया. दरअसल, विमान हादसे का सबसे बड़ा कारण होता है इंजन का फेल हो जाना. ऐसे यात्री विमान में दो इंजन होते हैं और अगर एक इंजन फेल होता है तो भी दूसरा इंजन काम करता है और विमान सुरक्षित रहता है. इसीलिए इस केस में ये असंभव माना जा रहा है कि ये हादसा विमान के इंजन फेल होने से हुआ होगा.
विमान हादसे के होते हैं ये कारण
विमान हादसे का दूसरा बड़ा कारण होता है बर्ड हिटिंग यानी कि अगर कोई चिड़िया या वस्तु विमान से टकरा गई तो प्लेन में आग लग जाती है और वो क्रैश हो जाता है. लेकिन जब ये विमान नीचे गिर रहा है तो इसमें कहीं ऐसा नहीं दिख रहा है कि उसमें आग लगी हो. नीचे गिरने के बाद ब्लास्ट होता है.
हादसे का तीसरा कारण होता है टेक्निकल फॉल्ट यानी तकनीकी खामी. अब ये तकनीकी खामी कुछ भी हो सकती है. वैसे फ्लाइट के टेक ऑफ से पहले उसकी पूरी जांच होती है. और उसके बाद ही प्लेन उड़ान भरता है. इस केस में टेक्निकल फॉल्ट ही हादसे का कारण बताया जा रहा, क्योंकि पायलट ने आखिरी समय पर ये कहा था कि उन्हें THRUST नहीं मिल रहा है.
प्लेन हादसे का एक और कारण होता है, जिसे अंग्रेजी में STALL कहते हैं. इसका मतलब होता है जब विमान अचानक हवा से जमीन की तरफ आने लगता है क्योंकि उसके विंग्स को ऊपर उड़ने के लिए पर्याप्त हवा नहीं मिलती है. विमान को टेकऑफ करने के लिए मैक्सिमम स्पीड अचीव करनी होती है और ये स्पीड 300 किलोमीटर प्रति घंटे की होनी चाहिए. एक बार अगर प्लेन इस स्पीड पर पहुंच गया तो फिर पायलट के पास फिर रुकने का समय नहीं होता है.
पायलट की गलती से भी हो जाता है विमान हादसा
हादसे का एक और कारण होता पायलट की गलती. टेकऑफ और लैंडिंग में पायलट का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता है. एक बार जब विमान उड़ गया तो फिर हवा में तो पायलट उसे ऑटो पायलट मोड में चलाता है, लेकिन टेकऑफ और लैंडिंग में ही पायलट की कुशलता चाहिए होती है और सबसे ज्यादा हादसे भी इसी वक्त में होते हैं. इस केस में भी ऐसा ही लग रहा है जैसे पायलट विमान को कंट्रोल ना कर पाया हो. विमान हवा में उड़ता है और फिर अचानक से नीचे की तरफ लहराने लगता है और नीचे गिरकर आग के गोले में बदल जाता है. अब ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि इस हादसे की वजह क्या थी.
विमान में भरा था एक लाख लीटर फ्यूल
अब बहुत से लोग ये भी सोच रहे हैं होगें कि ये विमान तो सिर्फ 425 फीट ही ऊपर उड़ा था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया. लेकिन फिर भी इसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान क्यों गई. इसकी वजह है इस विमान का फ्यूल. असल में इस विमान में इतना ज्यादा फ्यूल था कि ये एक उड़ता हुआ आग का गोला बन गया था. ये बोइंग का 787-8 ड्रीमलाइनर विमान था, जिसे डायरेक्ट अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जाना था. ये फ्लाइट 9 घंटे 45 मिनट की थी, और इस दौरान इस विमान को 6800 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी. इसीलिए इस विमान में पूरा फ्यूल था.
जानकारी के मुताबिक इस विमान की टोटल फ्यूल कैपेसिटी 1 लाख 26 हजार लीटर की है. और इसे लंदन तक यात्रा करने के लिए करीब 55 हजार लीटर फ्यूल की जरूरत थी. कोई भी विमान जरूरत से ज्यादा फ्यूल लेकर उड़ता है, क्योंकि इमरजेंसी कहीं भी आ सकती है. कई बार ऐसा होता है कि किसी भी कारण से विमान को लैंडिंग की परमिशन नहीं मिलती है, इसलिए विमान को हवा में ही वक्त गुजारना होता है. इसी वजह से विमान अपनी जरूरत से ज्यादा फ्यूल लेकर चलता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इसमें 1 लाख लीटर फ्यूल था.