ट्रेन की खिड़की मिनी थियेटर बन जाती है, जब आप कोहनी पर सिर टिका कर अपने आरामदायक केबिन के बाहर नजरें घुमाते हैं. दुनिया के खूबसूरत नजारे आपकी आंखों के सामने तैरते हैं और ये सीन हर 10 मिनट पर बदलता रहता है. ऐसी ही एक लंबी, धीमी और रोमांच से भरी ट्रेन यात्रा आपका एक बार फिर से इंतजार कर रही है.
रूस और उत्तर कोरिया के बीच 10 हजार किलोमीटर की लंबी ट्रेन यात्रा फिर से शुरू होगी. खूबसूरत घाटियों, बर्फीली वादियों , नदियों, पहाड़ों से होकर गुजरने वाली ये ट्रेन यात्रा सैलानियों को अदभुत अनुभव देगी. 10,214 किलोमीटर की ये यात्रा रूस के विशाल साइबेरियन नजारों, जंगलों, पहाड़ों और 16 प्रमुख नदियों से होकर गुजरती है. यात्री यूराल पर्वत और बैकाल झील जैसे प्राकृतिक आश्चर्यों को देख सकते हैं, जो इस यात्रा को यात्रियों विजुअल डिलाइट का एहसास कराते हैं.
आठ टाइम जोन पार करने के कारण, यात्री समय और स्थान के बदलाव का अनोखा अनुभव ले सकते हैं, जो अपने आप में एक रोमांच है.
रूस की राजधानी मॉस्को और उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के बीच ये ट्रेन यात्रा कोरोना के दौरान बंद कर दी गई थी. लेकिन अब स्थितियां सामान्य होने पर इस यात्रा को फिर से शुरू किया जा रहा है.
भूराजनीतिक और सैन्य महत्व
हालांकि इस बार इस ट्रेन को शुरू करने का व्यापारिक से ज्यादा सैन्य महत्व है.
यूक्रेन के साथ सैन्य संघर्ष में उलझे रूस के लिए उत्तर कोरिया अभी अहम सैन्य साझेदार बन गया है. उत्तर कोरिया ने अप्रैल के अंत में पुष्टि की थी कि उसने यूक्रेन में युद्ध में सहायता के लिए रूस को 10,000 से अधिक सैनिक और हथियार भेजे हैं. उत्तर कोरिया की यह सैन्य सहायता रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र को यूक्रेन से फिर से प्राप्त करने में मास्को के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है.
पिछले वर्ष राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन द्वारा व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से मास्को और प्योंगयांग ने सैन्य क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाया है.
रूस अब उत्तर कोरिया को अपना अहम साझीदार मानता है. यही वजह से है कि दोनों देश 5 साल के बाद इस ट्रेन यात्रा को फिर से शुरू कर रहे हैं.
बता दें कि पिछले महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सार्वजनिक रूप से उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को कुर्स्क क्षेत्र में रूसी सेना की सहायता के लिए सेना भेजने के लिए धन्यवाद दिया था, इससे पश्चिमी और दक्षिण कोरियाई खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों की पहली बार पुष्टि हुई थी कि उत्तर कोरिया रूस को मदद कर रहा है.
दोनों देश पहले से ही रूस के सुदूर पूर्व में व्लादिवोस्तोक और उत्तर कोरियाई बंदरगाह शहर रासोन के बीच यात्री रेल सेवा संचालित कर रहे हैं. बता दें कि रूस और उत्तर कोरिया माल ढुलाई रेल नेटवर्क से भी जुड़े हुए हैं, हालांकि रूस ये नहीं बताता है कि वह उत्तर कोरिया से कितने माल का व्यापार करता है.
सैन्य आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स में तेजी
इस रूट को फिर से चालू करने का स्पष्ट मैसेज है कि रूस और उत्तर कोरिया अपने संबंधों को नए स्तर पर ले जाना चाहते हैं. यह रेल रूट रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य हथियारों, गोला-बारूद, और अन्य सामग्रियों की आपूर्ति को आसान और तेज बनाएगा. सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि उत्तर कोरिया पहले ही रूस को गोला-बारूद और हथियार भेज रहा है, जिसमें लगभग 50 लाख तोप के गोले शामिल हैं. रेल सेवा इस सप्लाई लाइन को और मजबूत करेगी, इससे यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की जरूरतें पूरी होंगी.
पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला
रूस और उत्तर कोरिया दोनों ही देशों पर पश्चिमी प्रतिबंधों का भारी दबाव है. यह रेल रूट दोनों देशों को प्रतिबंधों को दरकिनार कर आर्थिक और सैन्य सहयोग बढ़ाने का अवसर देता है. उदाहरण के लिए, रूस उत्तर कोरिया को कच्चा तेल और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, जबकि उत्तर कोरिया रूस को हथियार और सैनिक उपलब्ध करा रहा है.
रेल मार्ग के जरिए व्यापार और संसाधनों का आदान-प्रदान आसान होगा, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करेगा और पश्चिमी दबाव को कम करेगा.
यह रेल सेवा रूस और उत्तर कोरिया की पूर्वोत्तर एशिया में सामरिक स्थिति को मजबूत करती है, खासकर अमेरिका, जापान, और दक्षिण कोरिया के गठबंधन के खिलाफ उन्हें एक ताकत प्रदान करती है. कुछ दिन पहले उत्तर कोरियाई विदेश मंत्री चोई सोन-हुई ने कहा है कि यह साझेदारी पश्चिमी प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास है.
रूस और उत्तर कोरिया का यह गठजोड़ चीन के साथ मिलकर एक वैकल्पिक क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा बनाने की कोशिश को दर्शाता है, जो पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती दे सकता है.
10 हजार किलोमीटर की यात्रा, 8 दिन का समय
रूसी रेलवे ने कहा कि उसने उत्तर कोरिया के रेल मंत्रालय के साथ 17 जून से दोनों राजधानियों के बीच महीने में दो बार सेवा बहाल करने पर सहमति व्यक्त की है.
10 हजार किलोमीटर इस रेल यात्रा को पूरा करने में 8 दिन लगते हैं. ये दुनिया की सबसे लंबी सीधी रेल यात्रा है.
अगले मंगलवार यानी कि 17 जून से एक नॉन-स्टॉप ट्रेन प्योंगयांग से आठ दिन की यात्रा के लिए रवाना होंगी, जो 25 जून को मॉस्को पहुंचेगी. वापसी की यात्रा 26 जून को रूसी राजधानी से शुरू होगी और 4 जुलाई को प्योंगयांग पहुंचेगी.
यह रूट महीने में दो बार संचालित होगा – प्रत्येक महीने की 3 और 17 तारीख को – वापसी यात्रा आगमन के एक दिन बाद निर्धारित की जाएगी.
यह यात्रा दो देशों रूस और उत्तर कोरिया के बीच एक दुर्लभ सांस्कृतिक पुल बनाती है, जो दोनों ही अपनी रहस्यमयी और अनूठी संस्कृतियों के लिए जाने जाते हैं. उत्तर कोरिया जैसे बंद देश का अनुभव करना आमतौर पर पर्यटकों के लिए कम सुलभ है. ये अपने आप में रोमांचकारी है. हालांकि ये जानना भी दिलचस्प होगा कि रूस और उत्तर कोरिया क्या विदेशियों को इस ट्रेन में यात्रा की इजाजत देंगे.
ट्रेन 86 शहरों और 142 छोटे-बड़े स्टेशनों से गुजरती है, जो रूस के ग्रामीण और शहरी जीवन की झलक देती है. साइबेरिया से होकर गुजरने की वजह से इस रूट को ट्रांस-साइबेरियन रेलवे मार्ग कहते हैं. ये रूट अपने आप में एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जो 1891 में शुरू हुआ और 1916 में मॉस्को को व्लादिवोस्तोक से जोड़ा गया.
उत्तर कोरिया चीन की पूर्वोत्तर सीमा के नजदीक रूसी शहर खाबरोवस्क से भी एक और रेल सेवा शुरू करने जा रहा है. यह रेलवे सेवा दो दिन बाद फिर से शुरू होगी.
इन रेलवे सेवाओं का ऑपरेशन उत्तर कोरिया की ओर से कोरियाई स्टेट रेलवे द्वारा किया जाएगा.
रूस और उत्तर कोरिया के बीच यात्री रेल यातायात को फरवरी 2020 में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में सस्पेंड कर दिया गया था.