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    राहुल गांधी के आरोपों पर EC ने उठाए सवाल, कहा- शिकायत में दम है तो चिट्ठी क्यों नहीं लिखते?

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    कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी सभाओं और बयानों के जरिए निर्वाचन आयोग पर परोक्ष तौर पर लगातार हमले कर रहे हैं. राहुल के सवालों का आयोग ने कई बार जवाब दिया है. लेकिन इसके बावजूद राहुल सीधे आयोग से कुछ नहीं कह रहे. वैसे भी ECI संवैधानिक संस्था है. आयोग भी कानून के अनुरूप कार्य करता है. औपचारिक पत्रों का ही उत्तर देता है. प्रेस नोट्स का ECI औपचारिक रूप से उत्तर नहीं दे सकता.

    निर्वाचन आयोग (ECI) में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी की टिप्पणियां बिना किसी ठोस और प्रामाणिक आधार या तथ्यों के की गई हैं. उन टिप्पणियों के दो दिन बीत जाने के बावजूद, ECI को उनसे कोई शिकायत या मुलाकात के लिए अनुरोध पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. यानी शिकायतें वाजिब आधार और सबूतों पर आधारित हैं तो आखिर राहुल गांधी ने ECI से मिलने का समय क्यों नहीं मांगा?

    वेबसाइट पर अपलोड है ECI का जवाब

    आयोग के सूत्रों के मुताबिक जहां तक कांग्रेस (INC) का सवाल है तो ECI ने 24 दिसंबर 2024 को अपना उत्तर कांग्रेस को दे दिया था. यह जवाब ECI की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया. ECI ने कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को सलाह दी है कि वे अपने-अपने जिलों के सभी मतदान केंद्रों के लिए बूथ स्तर एजेंट (BLA) नियुक्त करें. बीएलए के जरिए मतदाता सूची की अपडेट प्रोसेस में भाग लें. यह कवायद हर साल और हर चुनाव से पहले की जाती है.

    ‘वैधानिक रूप से नियुक्त BLO पर भरोसा करे कांग्रेस’

    सूत्रों ने कहा कि ये सब इसलिए किया जाता है कि किसी के मन में कोई भ्रांति न रहे. ECI पहले से ही सभी राजनीतिक दलों के BLA के लिए अपने प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहा है. लेकिन यदि कांग्रेस इस अवसर का लाभ नहीं उठाना चाहती तो उसे वैधानिक रूप से नियुक्त बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) पर भरोसा करना चाहिए. अपने ही उन कार्यकर्ताओं पर जिन्हें निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO) द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13B(2) के तहत बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किया गया है.

    मतदाता सूची तैयार करने, चुनाव कराने और मतगणना से संबंधित वैधानिक अधिकारी क्रमशः ERO, PRO और RO होते हैं. ये सभी अधिकारी भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत भारत निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षण, दिशा-निर्देश और नियंत्रण में कार्य करते हैं. लेकिन अंततः, मतदाता ही होते हैं जो अपने पसंदीदा प्रत्याशी को चुनने के लिए मतदान करते हैं.

    ‘हारने पर रेफरी से लड़ने लगती है कांग्रेस’
     
    सूत्रों ने कहा कि यदि कोई राजनीतिक दल चुनाव परिणामों की आशंका में पहले से तैयारी करना चाहता है, तो उसे यह राजनीतिक क्षेत्र में करना चाहिए, न कि ऐसा आभास देने की कोशिश करनी चाहिए कि कांग्रेस रेफरी (निर्वाचन आयोग) से लड़ रही है. भारत के मतदाता इतने समझदार हैं कि वे यह भलीभांति समझ सकते हैं कि कांग्रेस जब भी चुनाव हारती है तो वह रेफरी से क्यों लड़ने लगती है.



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