नरेंद्र मोदी बतौर भारत के प्रधानमंत्री आज 11वां साल पूरा कर रहे हैं. इस मौके पर हम इन 11 वर्षों में उनकी सरकार के 11 कड़े और बड़े फैसलों की बात करेंगे. वे फैसले जिनके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था कि लिए जा सकते हैं. फैसले जो मील का पत्थर बने, जिन्होंने कभी हमारा जीवन बदला तो कभी जीने का तरीका. इन 11 वर्षों की यात्रा में कई पड़ाव आए मत, बहुमत, अल्पमत, सर्वमत का सियासी गुणा भाग हुआ. पर इन बदलती परिस्थितियों में भी नरेंद्र मोदी का फैसले लेने का अंदाज नहीं बदला.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को प्रधान सेवक कहते रहे और ऐसे निर्णय लेते रहे जो उनके अनुसार राष्ट्र सेवा के लिए अनिवार्य थे, चाहे इसके लिए उन्हें सियासी आलोचना झेलनी पड़े या वैश्विक दबाव. सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा. इसे नियति कहें या विडंबना, पीएम मोदी को अपने तीनों कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा की बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन हर बार उनका पलटवार एक ऐसी अपरंपरागत परंपरा स्थापित कर गया जिसने दुश्मन का सर कुचल दिया.
ऑपरेशन सिंदूर ने उजाड़े आतंक के हेडक्वार्टर
हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को सरकार से पूरी छूट मिलते देखी. आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा, इसलिए भारत ने आतंक के हेडक्वार्टर उजाड़ दिए. भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों की मौत हुई. पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 महिलाओं का सुहाग उजाड़ा था. प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन सूनी मांगों को ऐसा न्याय दिलाया कि पाकिस्तान की रूह कांप गई. दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं जो एक परमाणु संपन्न मुल्क पर ऐसा हमला करने की हिम्मत रखता हो.
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आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई अब तक पीओके तक सीमित रहती थी, लेकिन इस बार पीओके सहित पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर तक आतंकवादियों और उनके ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया. ये फैसला कड़ा भी था और अप्रत्याशित भी. ये नेतृत्व का ही हौसला था, जिसने पाकिस्तान के पलटवार के जवाब में भारतीय वायु सेना को उसके 11 एयरबेस तबाह करने की आजादी दी. ध्यान देने वाली बात ये है कि युद्ध की परिस्थितियों में ये सामान्य माना जा सकता है. पर आतंक के खिलाफ कार्रवाई में ऐसी आक्रामकता बेमिसाल थी.
पीएम मोदी ने सख्त लहजे में स्पष्ट संदेश दे दिया कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है. आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है. वैसे तो मोदी के कड़े फैसलों की दो किस्त से पाकिस्तान का सामना पहले ही हो चुका था. 2016 में उरी अटैक के बाद भारतीय जवानों ने एलओसी पार करके 40 से अधिक आतंकियों को मौत के घाट उतारा. 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक के जरिए बालाकोट में 300 आतंकी मार गिराए.
और अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कड़े शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान अगर फिर आतंकी वारदात को अंजाम देता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. हम अपने तरीके से अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे. हर उस जगह जाकर कठोर कार्रवाई करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं. भारत दशकों से आतंक का दंश झेल रहा था पर आतंक के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई पिछले एक दशक में ही शुरू हुई. दुश्मन को पस्त करते हुए मोदी ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही एक बहुत बड़ा फैसला ले लिया था.
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भारत को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला. मेक इन इंडिया मोदी के लिए केवल एक नारा नहीं था. उन्होंने इसे मुहिम बनाया. कोरोना काल की आत्मनिर्भरता तो आपको याद होगी ही. आज जिस आत्मनिर्भरता का सबसे कारगर असर दिखता है, वो है सैन्य साजोसामान में भारत की आत्मनिर्भरता. भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ऐसी मिसाल पेश की, जो देशों के इतिहास में सफलता की बड़ी कहानी ऑपरेशन सिंदूर हमेशा आत्मनिर्भर भारत की गवाही देता रहेगा. ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाई है. आज दुनिया भारत के डिफेंस इकोसिस्टम की चर्चा कर रही है0 हमारी सेनाओं का मेक इन इंडिया पर भरोसा है. इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की है. इस मिशन के तहत सरकार मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान देने का काम कर रही है.
आत्मनिर्भरता क्यों जरूरी है?
रक्षा के क्षेत्र में सबको लगता है कि ठीक है आपने फ्रांस से कोई हथियार खरीद लिया, आपने रूस से कोई हथियार खरीद लिया? लेकिन ये आत्मनिर्भरता क्या फायदा पहुंचाएगी एक देश में? देखिए, आज हम सबने देखा, जो आज हो रहा है रूस और यूक्रेन के बीच में और आपने देखा कि उसका जो प्रभाव है, उन सभी देशों पर पड़ रहा है जिन देशों में हमने इनसे कुछ रक्षा उत्पाद दिए हैं. अंततः यह जरूरी होगा कि जितने प्रतिशत आपके रक्षा उपकरण स्वदेशी होंगे और जितने उनके स्पेयर्स, सिस्टम्स हम अपने देश में बना सकेंगे, उतनी तेजी से हम अपने रक्षा अभियान को आगे ले जा सकेंगे. भारत में 101 ऐसे रक्षा उपकरण हैं जिनके आयात पर रोक लगाई गई ताकि स्वदेशी को बढ़ावा मिले. साथ ही रक्षा उपकरण निर्माण में निजी कंपनियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई.
आज भारत सिर्फ हथियार खरीदता नहीं बल्कि दुनिया में अपने हथियार बेचने वाला देश बन चुका है. बंदूक से लेकर तोप, जहाज से लेकर युद्धपोत, ड्रोन से लेकर मिसाइल तक सब कुछ मेड इन इंडिया. ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत को तो पाकिस्तान ने फिर स्वीकार कर लिया.
इस मिसाइल के पराक्रम की एक झलक ऑपरेशन सिंदूर देखी होगी और नहीं देखी होगी तो कम से कम पाकिस्तान वालों से पूछ लेना चाहिए की ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत क्या है? वैसे भारत मोबाइल से लेकर ऑटोमोबाइल तक, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन दे रहा है. पीएम मोदी के नेतृत्व में देश का आधारभूत ढांचा भी तेजी से बदला है. हाइवे, सड़कें, अस्पताल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी हर क्षेत्र में भारत की तस्वीर बदली है.
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देश में बुनियादी ढांचे का तेजीे से विकास
2004 में जो हाईवे 65,500 किलोमीटर थे वो 2014 में 91,287 किलोमीटर हुए और अब 2024 तक 1,46,145 किलोमीटर तक उनका विस्तार हो चुका है. 2014 में 74 एयरपोर्ट थे, 2024 तक 157 एयरपोर्ट हो चुके हैं. 2014 तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 4,19,358 किलोमीटर सड़कें बनी थीं, लेकिन 2024-25 तक 7,71,950 किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब देश में सात एम्स अस्पताल थे, जिनमें से छह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मंजूर किए थे. अब देश में 23 एम्स हैं. मेडिकल कॉलेज 387 से बढ़कर 766 हो चुके हैं.
देश बाहर से भी मजबूत हुआ. देश अंदर से भी मजबूत हुआ और दिलचस्प ये है कि प्रधानमंत्री ने अपने 11 साल के अब तक के कार्यकाल में एक भी छुट्टी नहीं ली है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर संपूर्ण भारत में है तो जम्मू-कश्मीर में भी है, पर विकास के एक्सेलरेटर पर पांव रखने से पहले. पीएम मोदी का अनुच्छेद 370 रद्द करने का फैसला ऐतिहासिक था. कश्मीर को बाकी मुल्क के साथ जोड़ने का ख्वाब अंग्रेजों ने भी देखा था, लेकिन पूरा कर नहीं पाए. लेकिन जो अंग्रेज पूरा नहीं कर पाए वह काम पीएम मोदी ने पूरा करके दिखाया. अब कश्मीर घाटी देश के बाकी हिस्सों से रेल मार्ग से जुड़ गई है. कट्टर राजनीतिक विरोधी भी जब प्रशंसा के दो शब्द बोलें तो कहीं कुछ अच्छा हुआ है. चिनाब रेल ब्रिज ने जम्मू और कश्मीर को दिल्ली से जोड़ दिया.
सोनमर्ग टनल, जेड मोड़ टनल, अंजी ब्रिज, चेनानी टनल, दो एम्स, आईआईटी जम्मू और आईआईएम जम्मू, 51 नए डिग्री कॉलेज, सात नए मेडिकल कॉलेज जम्मू और कश्मीर में खुले. जैसे जम्मू-कश्मीर में धारा 370 एक मुद्दा था, जो दशकों तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते लंबित रहा, वैसे ही मुस्लिम समाज के बीच कई ऐसे मु्द्दे थे जिन्हें रिफॉर्म की दरकार थी. लेकिन राजनीतिक लाभ हानि के चलते कोई उन्हें अपने एजेंडा में शामिल नहीं करता था. पर पीएम मोदी उन मुद्दों पर फैसला लेने में जरा भी नहीं हिचकिचाते. वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में संशोधन के खिलाफ मुस्लिम समाज के बड़े तबके की ओर से घोर आपत्ति दर्ज की गई. देशभर में धरने प्रदर्शन चले, लेकिन पीएम मोदी पीछे नहीं हटे. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ बिल अब देश का कानून बन चुका है.
तीन तलाक अब इतिहास की बात
मुस्लिम समाज में तीन तलाक को भी एक कुरीति की तरह देखा जाता था, लेकिन उसमें कोई संशोधन का मतलब इस्लामिक रिवाजों में दखल माना जाता था. पीएम मोदी ने इसे भी बदला. अदालतों ने मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में निर्णय किए थे, लेकिन वो हक उनको प्राप्त नहीं हो रहा था. तीन तलाक से मुक्ति का बहुत महत्वपूर्ण और नारी शक्ति के सम्मान का काम सत्रहवीं लोकसभा ने किया. 17वीं लोकसभा के सभी सांसद, उनके विचार कुछ भी रहे हों, उनका निर्णय कुछ भी रहा हो, लेकिन कभी न कभी तो कहेंगे कि हां, इन बेटियों को न्याय देने का काम भी करने के लिए हम वहां मौजूद थे. प्रधानमंत्री मोदी के अटल इरादों के कारण अब तीन तलाक अवैध और दंडनीय अपराध है. लाखों ऐसी महिलाओं को इससे राहत मिली जो इस कुप्रथा से पीड़ित थीं. काम असंभव लगता था, लेकिन संभव हो गय.
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जब 2024 के आम चुनावों में बीजेपी को अकेले दम पर पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो विपक्ष ने कहा ये सरकार बड़े फैसले नहीं ले पाएगी. लेकिन एक के बाद एक बड़े फैसले लेने का क्रम जारी है. ठीक उसी तरह से जैसा 2014 के बाद से था. पीएम मोदी ने संसद में एक भाषण के दौरान कहा था, ‘प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी के शुरुआती फैसलों में शुमार था जनधन योजना. हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कभी कहा था, ‘दिल्ली से ₹1 निकलता है और गांवों तक पहुंचते पहुंचते 15 पैसे हो जाता है. हमने तय किया कि दिल्ली से ₹1 निकलेगा तो गरीब के हाथ में 100 के 100 पैसे पहुंचेंगे, 99 नहीं.’ आरोप राजनीतिक था लेकिन प्रयास ईमानदार है. 2014 में आजादी के 67 साल बाद भी देश की बड़ी आबादी बैंकिंग सेवाओं से दूर थी.
गरीबों के लिए खुले बैंक के द्वार
इसका मतलब था, ना बचत, ना संस्थागत कर्ज. शुरुआत से अब तक 51,00,00,000 से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके हैं और सरकार की योजनाओं के पैसे अब सीधे लोगों के खाते में जाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के कई आइडिया ऐसे रहे हैं जो शुरू में अव्यावहारिक लगे, लेकिन जब लागू हुए तो बड़ी क्रांति साबित हुए. ऐसा ही एक निर्णय था डिजिटल पेमेंट का. आपके पास जो मोबाइल फोन है वह चलता फिरता बैंक है. एक भी रुपये कैश न हो तो भी आज का विज्ञान ऐसा है, टेक्नोलॉजी ऐसी है अगर आपके पैसे बैंक में जमा पड़े हैं तो आप मोबाइल फोन से बाजार में खरीदारी कर सकते हैं. मोबाइल फोन से पेमेंट कर सकते हैं. आप खुद महसूस करते होंगे कि आज छोटे से बड़े दुकानों में आप कैशलेस ट्रांसक्शन कर पाते हैं. बाकी तो छोड़िये दुनिया के कई देश भारत से यह तकनीक सीख रहे हैं.
इसके अलावा 2017 में जब प्रधानमंत्री ने जीएसटी का ऐलान किया तो इसे क्रांतिकारी कदम माना गया. जीएसटी की सफलता ये किसी सरकार की सफलता नहीं है. जीएसटी की सफलता किसी दल की सफलता नहीं है. जीएसटी की सफलता संसद में बैठे लोगों की इच्छा शक्ति का परिणाम है. इसका श्रेय सभी दलों और सभी राज्यों को जाता है. देश के सामान्य व्यापारी को जाता है. एक देश एक टैक्स प्रणाली से टैक्स चोरी में कमी हुई. 2023-24 में मासिक जीएसटी का औसत कलेक्शन 1.70,00,000 करोड़ था. अप्रैल 2024 में यह रिकॉर्ड टूट गया और 2.1,00,000 करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन से आए. अप्रैल 2025 में कलेक्शन 2.37,00,000 करोड़ के सर्वाधिक रिकॉर्ड से भी ऊपर पहुंच गया. देश का राजकोष भरने लगा.
इनकम टैक्स में बड़ी छूट
मध्यम वर्ग यानी मिडिल क्लास को बीजेपी का सबसे बड़ा सपोर्टर माना जाता है. और इसलिए साल दर साल इन्कम टैक्स को लेकर विपक्ष कटाक्ष करता रहा कि मोदी मिडिल क्लास की परवाह नहीं करते. पर 2025 के बजट में पीएम मोदी ने मध्यम वर्ग को लेकर बड़ा फैसला किया और ₹12,00,000 प्रति वर्ष की आय तक पर टैक्स न लगाने का बड़ा ऐलान कर डाला. हम आपको सरकारी स्कीमों में मोदी का पर्सनल टॅच भी अब दिखाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक फैसलों के पीछे अपने जीवन के निजी अनुभवों को आधार बनाया और जब पीएम बनकर मौका मिला तो जननीति में बदला. गरीब माँ लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाती है तो एकदिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है. पीएम मोदी ने इसे ध्यान में रखकर उज्ज्वला योजना शुरू की. कहने को तो ये सरकारी स्कीम है, लेकिन 2016 में जब मोदी ने देश के गरीब महिलाओं को उज्जवला स्कीम के तहत गैस सिलिंडर का मुफ्त कनेक्शन देने का फैसला किया तो असर गांव-गांव तक दिखा.
मई 2024 तक 10.35,00,00,000 गरीब महिलाओं को ये सुविधा प्राप्त हो चुकी है और इनमें 80% ग्रामीण महिलाएं हैं. आयुष्मान योजना भी उनकी एक ऐसी ही योजना रही, जिसे कड़ा फैसला मानेंगे. ये दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है. इसके तहत प्रत्येक परिवार को ₹5,00,000 तक का स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलता है. मैंने आपसे वादा किया था कि देश में 70 वर्ष से ऊपर के जीतने भी बुजुर्ग हैं. सबको ₹5,00,000 का मुफ्त इलाज मिलेगा, एक गारंटी भी पूरी हो गई. अब मॉडल सास के बेटे बेटियों को अपने माँ बाप के इलाज की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. मोदी कहते हैं कि उनका गरीबी का परिवेश उनकी संवेदना का कारण है. तभी कोरोना काल में लोगों की इस बुनियादी समस्या को समझते हुए कि अगर काम ही नहीं होगा तो खाना कैसे मिलेगा?
मोदी ने मुफ्त अनाज की स्कीम शुरू की. यकीनन फायदे सियासी भी रहे, लेकिन गरीब जनता इस मदद से मंत्रमुग्ध है. मोदी के फैसले कड़े इसलिए होते हैं क्योंकि वो एक दो दिन तक उसे नहीं चलाते. याद करिए विदेश नीति के बीच कैसे उन्होंने समुद्र तट की सफाई शुरू कर दी थी. इस बात को भी नहीं भूल सकते कि पीएम मोदी की ही पहल पर दुनिया में योग दिवस की स्थापना हुई थी. बहरहाल, पीएम एक साथ कई क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए कदम उठाते रहते हैं, जैसे नक्सल समस्या जो तमाम कोशिशों के बावजूद हर साल आम लोगों और सुरक्षा बलों की जान लेती रही. अब मोदी सरकार ने नक्सल के अंत की तारीख दे दी है. हमने माओवादियों को उनके किए की सजा देनी शुरू की.
नक्सलवाद के सफाये का संकल्प
सालों की दृढ़ प्रतिज्ञा का फल आज देश को मिलना शुरू हुआ है. वो दिन दूर नहीं जब माओवादी हिंसा का पूरी तरह से खात्मा हो जाएगा. इतने लोग आतंकवादियों के हमलों में नहीं मारे गए, जीतने नक्सलियों ने मार दिए. लेकिन नक्सलवाद का खूनी सूरज अब डूबने को है. प्रधानमंत्री मोदी ने जो संकल्प 10 साल पहले लिया था वो ग्यारहवें साल में पूरा होता दिख रहा है. आधुनिक युग में विश्व के साथ विकास की स्पर्धा के साथ अपनी संस्कृति का भी उत्सव, इतिहास की गलतियों को सुधारने हुए आमजन मानस की आस्था को स्थान देना भी पीएम के कड़े फैसलों में शामिल रहा है. एक वक्त था जब धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मान्यताओं को स्वीकारने से देश की राजनीति कतराती थी. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने वो परिदृश्य ही बदल डाला.
उन्होंने आधुनिक विकास और प्राचीन परंपराओं को एक दूसरे का पूरक बनाया. अयोध्या में श्री राम लला मंदिर के नींव पूजन से लेकर श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा तक सारी परंपराएं निभाईं. प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्र अभिभावक की तरह अग्रणी भूमिका में रहे और सारे नियमों का पालन किया. सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए. सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए. धार्मिक नगरी अयोध्या का वैभव लौटा तो धार्मिक पर्यटन के साथ नगरी का विकास भी लौटा. सदियों से राजनीतिक रूप से उपेक्षित पड़ी अयोध्या आज आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बिंदु बनी है. ये प्रधानमंत्री मोदी ही है जो विदेशी मेहमानों से मिलते हैं तो उन्हें भारत का दर्शन बताते हैं. श्रीमद भागवत गीता भेट में देते हैं और जब वो योग दिवस को वैश्विक पटल पर रखते हैं तो भारत की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हैं.
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ये जो दृश्य है ये पूरे विश्व के मानस पटल पर. काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर को भी तब नई वैश्विक पहचान मिली जब पीएम मोदी की अगुवाई में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किया गया. यहाँ उनका प्रयास पुरातन संस्कृति के जीर्णोद्धार का था. आज जो कुछ भी काम हो रहा है, उसमें धार्मिक गतिविधि के लिए सरकारी खजाना उपयोग नहीं जा रहा है. व्यवस्था के लिए विकास किया जा रहा है ताकि मेरे देश के नागरिक का जो हक है, जो सुविधा पाने का उसका अधिकार है उसको अधिकार मिलना चाहिए. काशी विश्वनाथ मंदिर भी अब देश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन क्षेत्रों में शामिल है, जो क्षेत्र के विकास का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता संभाले ही धार्मिक सांस्कृतिक पहचान वाले स्थलों के पुनरुद्धार की परिकल्पना कर ली थी और काम शुरू करवा दिया था, जिसकी परिणति धीरे धीरे लोगों के सामने आने लगी.
2013 में प्राकृतिक आपदा में केदारनाथ धाम परिसर को भारी क्षति पहुंची. प्रधानमंत्री मोदी ने धाम के आध्यात्मिक वैभव को लौटाने के लिए कमर कसी और ₹150,00,00,000 का बजट आवंटित किया. खुद काम की निगरानी करते रहे. यहाँ सदियों से चार धाम यात्रा का महत्त्व रहा है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन की शक्तिपीठों के दर्शन की अष्ट विनायक जीके दर्शन की ये सारी यात्रा की परम्परा ये तीर्थाटन हमारे यहाँ. जीवन काल का हिस्सा माना गया है. गुजरात में समुद्र तट पर स्थित श्री सोमनाथ मंदिर का अतीत भी की क्रूरता से पीड़ित रहा है. आक्रमणकारियों ने कई बार मंदिर पर हमला बोला और मंदिर को क्षति पहुंचाई. प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से सोमनाथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ और माँ पार्वती मंदिर का भी निर्माण हुआ. साथ ही समुद्र दर्शन पथ जैसी सुविधाएं विकसित की गईं.
साथ ही कामाख्या देवी मंदिर कॉरिडोर का निर्माण, हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना, केदारनाथ रोपवे परियोजना जिससे बुजुर्ग. तीर्थयात्रियों को सुविधा रहे. इन सब पर पीएम मोदी की देखरेख में काम चल रहा है. प्रधानमंत्री के 11 कड़े फैसलों का जिक्र करते हुए हम अब उनके कुछ भावुक फैसलों की भी बात करते हैं, जिसका असर कड़ा पड़ता है. जहाँ वो कभी अभिभावक की भूमिका में नजर आते हैं तो कभी मार्गदर्शक की कभी शिक्षक की भूमिका में तो कभी ऐसे कोच की जो जीवन में किसी को हारने नहीं देना चाहता. मेरे पूर्वजों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया था, मेरा देश उनको भूलता नहीं. राष्ट्रीय समर स्मारक देश का ऐसा सपना था, जिसे पूरा होने में 59 साल लग गए. 1960 में सशस्त्र बलों ने नेशनल वॉर म्यूजियम का प्रस्ताव रखा था. सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने पहल नहीं की.
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पीएम मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक को मंजूरी दी जो 2019 में देश को उन्होंने सौप भी दिया. ये स्मारक भारत के शौर्य, स्वाभिमान और शान के प्रतीक जवानों के लिए समर्पित है. चंद्रयान दो का संपर्क विक्रम लैंडर से टूटा और उसकी लैंडिंग नहीं हो सकी तो तत्कालीन इसरो चीफ के. सीवन भावुक हो गए, तब पीएम मोदी ने उन्हें गले लगाकर समझाया. ये तस्वीर अद्भुत थी. खिलाड़ी ओलंपिक से जीतकर लौटे या जीत की दहलीज से बिना मेडल लौट आए, पीएम मोदी ने हमेशा उनके बीच जाकर उनका हौसला ऐसे बढ़ाया है ताकि आगे वही खिलाड़ी जीत की बुनियाद रख सके. बच्चों की परीक्षा के दिनों में पीएम मोदी उनको मोटिवेट करते हैं. जब वो बच्चों से संवाद करते हैं तब उनका वो रूप अलग ही हो जाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने पद्म पुरस्कार के वितरण की परिभाषा भी बदली. दूरदराज के गांवों, आदिवासी क्षेत्रों में जो विलक्षण योगदान देने वाले लोग हैं, उन्हें राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाया. 2014 में जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने देश से मन की बात करना कभी बंद नहीं किया. वो देश के हर हिस्से के हर व्यक्ति से कनेक्ट होते हैं और सलाह सुझाव भी देते हैं. देखिए उनकी भावनाओं को, हमारी इस पेशकश में आज के लिए इतना ही देश और दुनिया की बाकी खबरों के लिए आप देखते और पढ़ते रहिए आज तक.