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    ‘असमान पक्षों के बीच मध्यस्थता की बात ही गलत…’, अमेरिका में थरूर ने ट्रंप के बयान पर सुनाई खरी-खरी

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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर प्रतिक्रिया दी है. थरूर ने स्पष्ट रूप से कहा कि दो असमान पक्षों के बीच मध्यस्थता संभव नहीं है. जैसे आतंकवादियों और आतंक से पीड़ितों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती है.

    थरूर इस समय अमेरिका में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने गुरुवार को काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में बातचीत के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की.

    दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव सुलझाने में मदद की है.

    मध्यस्थता पर थरूर ने क्या कहा…

    थरूर ने कहा, मध्यस्थता ऐसा शब्द है जिसे हम विशेष रूप से स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. मैं आपको बताता हूं क्यों नहीं. असल बात यह है कि जब आप ‘ब्रोकर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो आप एक ऐसी समानता की बात कर रहे होते हैं जो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है.

    यह भी पढ़ें: ‘मध्यस्थता नहीं, सिर्फ संवाद…’ सीजफायर पर ट्रंप के बयान पर शशि थरूर ने साफ कर दिए भारत के इरादे

    उन्होंने कहा कि आतंकवादियों और आतंक से पीड़ितों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती. थरूर ने कहा, एक ऐसा देश जो आतंकवाद को सुरक्षित पनाह देता है और एक ऐसा देश जो एक सशक्त बहुदलीय लोकतंत्र है और अपने काम के जरिए आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है… दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती.

    थरूर का कहना था कि एक ऐसा देश जो सिर्फ अपने हाल में रहने की कोशिश कर रहा है और एक ऐसा पड़ोसी जो जियो पॉलिटिकल व्यवस्था को बदलना चाहता है जो पिछले 75 वर्षों से चली आ रही है… इनके बीच कोई समानता नहीं हो सकती. ऐसे में यह कहना कि इन दो असमानों चीजों के बीच मध्यस्थता संभव है, गलत होगा.

    ट्रंप बार-बार क्या दावा कर रहे?

    गौरतलब है कि 10 मई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर यह दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम पर सहमति बना ली है और इसमें वॉशिंगटन की मध्यस्थता से हुई ‘बातचीत’ की भूमिका रही. इसके बाद से वो दर्जनों बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को सुलझाया है.

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    ट्रंप ने यह भी कहा है कि उन्होंने दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों से कहा कि अगर वे लड़ाई बंद कर दें तो अमेरिका उनके साथ व्यापार करेगा.

    जब थरूर से पूछा गया कि वो इस टकराव में अमेरिकी भूमिका को कैसे देखते हैं? उन्होंने कहा कि कुछ हद तक अनुमान ही लगा सकते हैं कि अमेरिका की भूमिका पहले पक्षों से संवाद में रही होगी.

    उन्होंने कहा, हमारी सरकार को अमेरिकी सरकार से हाई लेवल पर कई कॉल्स मिलीं और हम उनके विचार और चिंता की सराहना करते हैं. थरूर ने कहा कि अमेरिका ने शायद पाकिस्तान से भी इसी तरह के हाई लेवल के संवाद किए होंगे और संभवतः वहीं पर अमेरिका की बातों का सबसे ज्यादा असर हुआ होगा.

    थरूर का कहना था कि हमारा मानना है कि यही वह पक्ष था जिसे इस प्रक्रिया को रोकने के लिए समझाना जरूरी था. लेकिन यह सिर्फ मेरा अनुमान है. मुझे नहीं पता, उन्होंने पाकिस्तानियों से क्या कहा.

    यह भी पढ़ें: भारत की आतंक के खिलाफ मुहिम को अमेरिका का समर्थन, शशि थरूर और US उपराष्ट्रपति वेंस की हुई मुलाकात

    ट्रंप ने अब जर्मन चांसलर से क्या कहा…

    गुरुवार को ही ट्रंप ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज के साथ ओवल ऑफिस में हुई बैठक में फिर दोहराया कि वह बहुत गर्व महसूस करते हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रोक दिया. उन्होंने कहा, मैंने दोनों पक्षों के कुछ बहुत ही प्रतिभाशाली और अच्छे लोगों से बात की. मैंने उन्हें कहा कि अगर वे एक-दूसरे पर गोली चलाते रहे और परमाणु हथियार दिखाते रहे तो अमेरिका उनके साथ कोई व्यापार नहीं करेगा, क्योंकि इसका असर तेजी से फैलता है और यह हमें भी प्रभावित कर सकता है.

    ट्रंप ने जोड़ा, जानते हो, मैंने वह युद्ध रुकवाया… अब क्या मुझे इसका श्रेय मिलेगा? नहीं मिलेगा. वे मुझे किसी चीज़ का श्रेय नहीं देते, लेकिन और कोई यह नहीं कर सकता था. मैंने इसे रोका। मुझे उस पर बहुत गर्व है.

    22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी. उसके बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था.

    यह भी पढ़ें: ‘सिन्दूर का बदला खून…’, अमेरिका में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की दो टूक

    चार दिनों तक चली जबरदस्त ड्रोन और मिसाइल कार्रवाई के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष समाप्त करने पर सहमति बनी. भारत का कहना है कि यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच बातचीत से हुआ है.



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