दक्षिण कोरिया की कमान अब नए उदारवादी राष्ट्रपति ली जे-म्युंग के हाथों में आ गई है. ली जे-म्युंग ने देश को हाल ही में हुए सैन्य शासन संकट से निकालने और धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने का वादा किया है. मंगलवार को हुए अचानक राष्ट्रपति चुनाव में ली को निर्णायक जीत मिली. ये चुनाव उस असफल सैन्य शासन की वजह से हुआ था, जिसने पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल की सत्ता को महज तीन साल में ही गिरा दिया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक साउथ कोरिया के राष्ट्रीय चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 3.5 करोड़ वोटों में से ली जे-म्युंग को 49.42% वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी किम मून-सू को 41.15% वोट प्राप्त हुए. यह 1997 के बाद का सबसे ज्यादा मतदान वाला राष्ट्रपति चुनाव था.
61 वर्षीय मानवाधिकार वकील रह चुके ली जे-म्युंग ने इसे जनता का फैसला बताया और कहा कि उनका पहला काम कभी दोबारा सैन्य तख्तापलट न होने देना होगा. उन्होंने संसद के बाहर भाषण में कहा कि हथियारों के दम पर लोगों के खिलाफ कोई तख्तापलट दोबारा न हो, ये सुनिश्चित करना मेरी पहली जिम्मेदारी है.
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राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने ली जे-म्युंग को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति घोषित किया और उन्होंने कमांडर इन चीफ के रूप में कार्यभार संभाल लिया. संसद में उनका एक संक्षिप्त शपथ ग्रहण समारोह हुआ.
सामने हैं बड़े आर्थिक और कूटनीतिक संकट
बता दें कि ली जे-म्युंग को कई चुनौतियों का सामना करना होगा. क्योंकि देश अभी भी सैन्य शासन के प्रभाव से बंटा हुआ है और अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क के कारण अर्थव्यवस्था को झटका लगा है. ऑटो और स्टील जैसे क्षेत्रों पर यह असर विशेष रूप से पड़ा है.
वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) का कहना है कि ली जे-म्युंग को राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद सबसे पहले ट्रंप से समझौता करना होगा.
अमेरिका और चीन को लेकर संतुलित नीति
व्हाइट हाउस ने ली के चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष बताया है और कहा है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया का गठबंधन मजबूत बना रहेगा. हालांकि अमेरिका ने यह भी कहा कि वह दुनियाभर के लोकतंत्रों में चीन के हस्तक्षेप को लेकर चिंतित है.
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‘चीन और उत्तर कोरिया के प्रति रखेंगे नरम रवैया’
ली ने चीन और उत्तर कोरिया के साथ नरम रवैये की इच्छा जताई है, खासतौर पर व्यापार को ध्यान में रखते हुए. हालांकि उन्होंने कहा है कि अमेरिका के साथ गठबंधन दक्षिण कोरिया की विदेश नीति की रीढ़ बना रहेगा.