दक्षिण कोरिया में 3 जून 2025 को हुए विशेष राष्ट्रपति चुनाव में लिबरल पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्युंग ने बड़ी जीत हासिल की है. अब तक 85% से अधिक मतगणना हो चुकी है और ली को अपने अपोनेंट किम मून-सू के खिलाफ स्पष्ट जीत मिली है. कंजर्वेटिव नेता किम मून-सू ने अपनी हार भी स्वीकार कर ली है.
यह चुनाव उस असाधारण राजनीतिक संकट के बाद हुआ है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल को दिसंबर 2024 में मार्शल लॉ लगाने की कोशिश की थी, जिन्हें बाद में महाभियोग का सामना करना पड़ा था. यून ने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल के बीच 3 दिसंबर 2024 को मार्शल लॉ का ऐलान कर दिया था, जिससे दक्षिण कोरिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चौंक गई थी. यह 1987 में लोकतंत्र की बहाली के बाद पहली बार था जब किसी राष्ट्रपति ने ऐसा कदम उठाया था.
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संसद में महाभियोग लाकर यून को हटाया गया
यून के इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन और राजनीतिक भूचाल आया था. विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी, जिसकी अगुवाई ली जे-म्युंग कर रहे थे, उसने संसद में महाभियोग प्रस्ताव पारित कराया, और राष्ट्रपति को पद से हटाया. अप्रैल 2025 में संवैधानिक न्यायालय ने यून को औपचारिक रूप से पद से हटा दिया, जिसके बाद उनके खिलाफ देशद्रोह और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों में आपराधिक मुकदमे शुरू हुए.
इस राजनीतिक उथल-पुथल के चलते जून 2025 में विशेष राष्ट्रपति चुनाव कराना पड़ा, जिसमें यून सुक योल चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे. ली जे-म्युंग ने अपने प्रचार अभियान को यून और उनकी कंजर्वेटिव पीपल पावर पार्टी की विफलताओं के खिलाफ “जनता का न्याय दिवस” बताया.
तख्तापलट की कोशिश के बाद चुनाव में बंपर हुआ मतदान
चुनाव में लगभग 80% मतदान हुआ, जो 1997 के बाद का सबसे ज्यादा रहा. इससे यह साफ जाहिर होता है कि जनता राजनीतिक परिवर्तन को लेकर कितनी जागरूक और उत्साहित थी.
ली जे-म्युंग ने वादा किया है कि वे देश में एकता, आर्थिक पुनरुद्धार और उत्तर कोरिया के साथ शांति स्थापित करने पर ध्यान देंगे. उनकी जीत को यून के विवादित फैसलों और कंजर्वेटिव पार्टी की नाकामी के खिलाफ एक जनादेश के रूप में देखा जा रहा है.
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किम मून-सू, यून सरकार में थे मंत्री
किम मून-सू, जो यून सरकार में श्रम मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है और ली को जीत की बधाई दी है. अब ली जे-म्युंग औपचारिक परिणामों की पुष्टि के बाद जल्द ही राष्ट्रपति पद संभालेंगे. यह चुनाव दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है.