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जंगल में रिजॉर्ट, जिस्मफरोशी का खेल और खूनी साजिश… इस ‘सच’ की वजह से गई थी अंकिता भंडारी की जान

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Ankita Bhandari Murder Case: उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में कोटद्वार की एक अदालत ने पौने तीन साल बाद तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. सजा पाने वालों में बीजेपी नेता और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री का बेटा पुलकित आर्य के अलावा उसके रिजोर्ट में काम करने वाले दो मुलाजिम शामिल हैं. 19 साल की अंकिता की लाश एक नहर में मिली थी. दरअसल, अंकिता जिस रिजॉर्ट में काम करती थी, वहां जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था और वो ये सच जान चुकी थी.  

पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता ये वो तीन क़ातिल हैं, जो अब जब तक ज़िंदा रहेंगे जेल की सलाखों के पीछे रहेंगे. क्योंकि इन तीनों को ही कोटद्वार की एक कोर्ट ने 19 साल की अंकिता भंडारी के क़त्ल के इल्ज़ाम में उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है. ये वो वाली उम्र क़ैद है, जिसमें पूरी उम्र क़ैद हो जाती है. 

चलिए अब आपको बताते हैं कि अंकिता भंडारी की पूरी कहानी आखिर है क्या? तो इसके लिए हमें दो साल आठ महीने पीछे लौटना होगा. ऋषिकेश के करीब चीला बैराज है. जिसे आप बांध भी कह सकते हैं. जरूरत के हिसाब से इस बैराज या बांध से पानी छोड़ा और रोका जाता है. वो 18 सितंबर की रात थी, जब ठीक इसी जगह से 19 साल की अंकिता भंडारी को पानी में फेंका गया था, वो भी जिंदा. 

बैराज के पानी में अंकिता या यूं कहें कि उसकी लाश पूरे छह दिनों तक तैरती फंसती रही. फिर आखिरकार छठे दिन इस बैराज से करीब 8 किलोमीटर दूर चीला पावर हाउस के करीब अंकिता की लाश बरामद हो जाती है. अब सवाल ये है कि छह दिनों में अंकिता की लाश सिर्फ़ 8 किलोमीटर दूर तक ही क्यों पहुंची? तो जवाब ये है कि अगर बैराज के पानी को कम ना किया जाता, तो शायद अंकिता की लाश कभी मिलती ही नहीं. और यही कातिल चाहते थे. 

मगर शुक्र है कि ना सिर्फ अंकिता की लाश मिली, बल्कि इसके साथ ही ये खुलासा भी हो गया कि अंकिता को मारा गया है. मारा गया है क्योंकि वो एक ऐसा सच उजागर करने जा रही थी, जो कातिलों को कतई बर्दाश्त नहीं था. उत्तराखंड के पौड़ी इलाके में श्रीकोट गांव है. जहां अंकिता पैदा हुई और जहां अंकिता का परिवार रहता है. 12वीं पास करने के बाद अंकिता ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया था. 

इस दौरान उत्तराखंड के लोग भी कोरोना की चपेट में थे. अंकिता और उसके परिवार पर भी इसका असर पड़ा. अब जब कोरोना का कहर थोड़ा कम होने लगा, तो उत्तराखंड में भी सैलानी वापस आने लगे थे. लिहाजा, होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा करने के बाद पिछले महीने ही 18 अगस्त को अंकिता ने हरिद्वार से करीब 8 किलोमीटर दूर वनंतरा रिजॉर्ट में अपनी पहली नौकरी बतौर रिसेप्शनिस्ट ज्वाइन की. उस रिजॉर्ट से अंकिता के घर और गांव की दूरी करीब डेढ़ सौ किलोमीटर है. लिहाजा रोज़ आना जाना मुमकिन नहीं था. ऐसे में अंकिता उसी रिजॉर्ट के एक कमरे में रहने लगी थी.

अंकिता को रिजॉर्ट में नौकरी करते हुए पूरा एक महीना एक हो चुका था. और ठीक एक महीने बाद 18 सितंबर की रात अंकिता अचानक गायब हो जाती है. पूरी रात बीत जाती है. अंकिता की गुमशुदगी की किसी को भनक तक नहीं लगती. फिर अगले रोज यानी 19 सितंबर की सुबह रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य लोकल पुलिस स्टेशन जाता है और अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाता है. इसके बाद वो अंकिता के घरवालों को भी फोन कर उसकी गुमशुदगी की जानकारी देता है. अंकिता का मोबाइल बंद था. खबर सुनते ही अंकिता का परिवार बदहवास ऋषिकेश की तरफ भागता है. 

अंकिता के मां-बाप 3-4 घंटे तक पुलिस स्टेशन में भटकते रहते हैं. पर उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती. जबकि वो बाकायदा पुलकित का नाम ले रहे थे. हालांकि इस दौरान पुलकित के पूर्व मंत्री पिता विनोद आर्य की उसी थाने में बाकायदा आवभगत हो रही थी. उत्तराखंड पुलिस की बेरुखी को देख कर अब अंकिता का परिवार डीएम के पास पहुंचता है. डीएम पुलिस को आदेश देते हैं. इसी के बाद 22 सितंबर को पहली बार पुलिस एफआईआर लिखती है. 

इधर, कहानी में नया ट्विस्ट तब आता है, जब अचानक जम्मू में रहनेवाला अंकिता का दोस्त अंकिता के पिता को अंकिता से हुई आखिरी बातचीत का ऑडियो और कुछ चैट भेजता है. ऑडियो कॉल और चैट चीख चीख कर बता रहे थे कि अंकिता की गुमशुदगी के पीछे कौन और क्यों है. अब तक ये बातें सोशल मीडिया पर भी आ चुकी थी. उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य और उनके साहबजादे पर अब दबाव बढ़ने लगा था. 

लिहाजा, देहरादून से हुक्म हुआ और 23 सितंबर को पूर्व मंत्री जी के बेटे पुलकित आर्य, रिजॉर्ट का मैनेजर सौरभ भास्कर और एक और स्टाफ अंकित गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया. पर सवाल अब भी अपनी जगह कायम था कि अंकिता कहां है? जवाब पुलकित और उसका स्टाफ ही दे सकता था. शाम होते होते पुलकित ने मुंह खोल ही दिया. फिर उसने अंकिता का पूरा सच बताया.

पुलकित उसके मैनेजर और स्टाफ ने जो कहानी सुनाई, वो कुछ यूं थी. 18 सितंबर की शाम पुलकित और अंकिता के बीच झगड़ा हुआ. अंकिता का गुस्सा शांत करने के लिए पुलकित उसे अपने साथ ऋषिकेश ले गया. चारों एक स्कूटी और बाइक पर गए थे. रिसॉर्ट से करीब 8 किमी दूर चीला बैराज के करीब चारों रुके. वहां पुलकित और उसके स्टाफ ने शराब पी. कुछ देर रुकने के बाद चारों वापस लौटने लगे. लेकिन तभी अंकिता फिर भड़क उठी. एक बार फिर पुलकित के साथ उसका झगड़ा हुआ. तब ये लोग बैराज के किनारे खडे थे. नीचे बैराज का पानी बह रहा था. 

झगड़े के दौरान अचानक पुलकित ने अंकिता को धक्का दिया, जिससे वो बैराज में जा गिरी. मगर इसके बावजूद तीनों उसे बचाने की बजाय स्कूटी और बाइक पर वापस रिसॉर्ट की तरफ चल पड़ते हैं. इतेफाक से रास्ते में एक जगह सीसीटीवी कैमरा लगा है. इस कैमरे की तस्वीरें पुलिस के कब्जे में हैं. कैमरे में साफ दिख रहा है कि चीला बैराज जाते वक्त स्कूटी और बाइक पर चार लोग थे. मगर लौटते वक्त सिर्फ तीन. अंकिता गायब थी. पूरी रात गुजारने के बाद पुलकित ने खुद ही पुलिस स्टेशन जाकर अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी. ताकि कोई उस पर शक ना करे.

अब अंकिता को धक्का देकर मारने की बात तो पुलकित और उसके स्टाफ कबूल कर चुके थे. मगर 18 सितंबर की शाम से रात तक अंकिता के साथ पुलकित का झगड़ा क्यों हो रहा था, बैराज के पास अंकिता ने पुलकित को ऐसा क्या कहा कि उसने उसे धक्का दिया, ये सच अब भी पुलकित छुपा रहा था. मगर तब तक पुलिस के हाथ अंकिता के जम्मू वाले उस दोस्त का ऑडियो और चैट लग चुका था. कहानी थोड़ी थोड़ी साफ हो रही थी. ऑडियो और मैसेज वो वजह भी बता रहे थे, जिस वजह से अंकिता की जान ली गई.

दरअसल, अंकिता की मौत के पीछे रिजॉर्ट में खेला जा रहा एक गंदा खेल था. पुलकित के पिता विनोद आर्य उत्तराखंड के पुराने बीजेपी नेता हैं. वो भी कद्दावर नेता. एक वक्त वो उत्तराखंड के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. इलाके में उनका अच्छा खासा दबदबा है. बाप की ऊंची पहुंच का फायदा पुलकित ने उठाया. अपराधी किस्म का पुलकित बाप के रसूख से हरिद्वार से करीब 8 किमी दूर जंगल के अंदर करीब पांच साल पहले एक रिसॉर्ट बनाता है. 2018 में बाकायदा रिसॉर्ट सैलानियों के खोल दिया जाता है. जंगलों की खामोशी और तन्हाइयों के शौकीन सैलानियों के लिए ये रिसॉर्ट एक बेहद खूबसूरत जगह थी.

फिर साल 2020 में कोरोना आ गया. कोरोना की वजह से रिसॉर्ट के बिजनेस पर थोड़ा असर पड़ रहा था. जंगल के बिल्कुल अंदर होने की वजह से भी इसके बारे में सैलानियों को कम ही जानकारी थी. ऐसे में रिसॉर्ट चलाने के लिए पुलकित ने इसी रिसॉर्ट में दुनिया के सबसे पुराने धंधे को भी चलाने का फैसला किया. इत्तेफार से महीना भर पहले अंकिता यहां बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी करने आई. पुलकित ने अंकिता को अपना रिसॉर्ट चलाने के लिए उसी धंधे में धकेलने के लिए मजबूर करना शुरू किया. वो उससे सैलानियों के कमरे में जाने को कहता. अंकिता इसके लिए तैयार नहीं थी. 

उसके साथ जो कुछ हो रहा था. वो अपने मां बाप को भी नहीं बता सकती थी. लेकिन उसका एक दोस्त जम्मू में था. उसने सारी बातें, उससे शेयर की. वही बातें, इस केस में सबसे अहम सबूत साबित हुईं और आखिरकार उसी के आधार पर पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को अदालत ने मुजरिम करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.

(विकास वर्मा के साथ अंकिता शर्मा का इनपुट)



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