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    ‘सिंधु जल संधि हमारे लिए लक्ष्मण रेखा, भारत के आगे पाकिस्तान कभी नहीं झुकेगा…’ आसिम मुनीर के जहरीले बोल

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    भारत और पाकिस्तान के युद्ध विराम समझौते पर पहुंचने के कुछ सप्ताह बाद, पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कहा है कि इस्लामाबाद दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारतीय आधिपत्य को कभी स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि के मुद्दे पर कभी समझौता नहीं करेगा, क्योंकि यह सीधे तौर पर देश के 240 मिलियन नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है. पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के अनुसार, आसिम मुनीर ने ये टिप्पणियां विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रधानाचार्यों, वरिष्ठ शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ चर्चा के दौरान कीं.

    सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को स्थगित करने के भारत के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आसिम मुनीर ने इसे पाकिस्तान के लिए लक्ष्मण रेखा बताया और कहा कि इस्लामाबाद पानी से संबंधित मामलों पर कभी भी झुकेगा नहीं. मुनीर ने कहा, ‘पानी पाकिस्तान की रेड लाइन है और हम 240 मिलियन पाकिस्तानियों के इस बुनियादी अधिकार पर कोई समझौता नहीं होने देंगे.’ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया था.

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    बूलचिस्तान में विद्रोह के लिए भारत जिम्मेदार: मुनीर

    यह जानते हुए कि पाकिस्तान विक्टिम कार्ड खेलेगा, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद की कूटनीति के लिए तथा सिंधु जल संधि के निलंबन पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं. सिंधु जल संधि छह नदियों- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज के पानी का भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा और प्रबंधन पर आधारित है.

    नई दिल्ली द्वारा संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तानी नेताओं ने बार-बार भारत को चेतावनियां जारी की हैं. पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने बलूचिस्तान की स्थिति के बारे में भी बात की, जहां बलूच विद्रोहियों के भीषण हमलों ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है.

    भारत के साथ संघर्ष में अल्लाह ने PAK की मदद की

    पाकिस्तान जब अपनी पूर्वी सीमा पर भारतीय नागरिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में व्यस्त था, तब बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ अपना हमला तेज कर दिया. बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी क्वेटा में 8 मई को पाकिस्तानी सेना पर छह हमले हुए. बलूच लोगों ने पाकिस्तानी झंडों की जगह अपने झंडे भी फहराए. मुनीर ने आरोप लगाया कि बलूचिस्तान में विद्रोहियों को भारत का समर्थन प्राप्त है.

    उन्होंने कहा, ‘बलूचिस्तान में सक्रिय आतंकवादी तत्व विदेशी हितों, खासकर भारत की ओर से काम करने वाले प्रॉक्सी हैं. ये विद्रोही बलूच नहीं हैं.’ फील्ड मार्शल मुनीर ने यह भी टिप्पणी की कि इस महीने की शुरुआत में भारत के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान अल्लाह ने पाकिस्तान की मदद की, जो उसके लिए सौभाग्य की बात थी.

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    भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेसों पर बरसाए थे बम

    पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने 7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी ढांचों पर एयर स्ट्राइक की. भारत के इस हमले में बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर मरकज सुभान अल्लाह मस्जिद और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर मरकज तैयबा नेस्तनाबूद हो गए और कम से कम 100 आतंकी मारे गए.

    जवाब में पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की, जिसे भारत के एयर डिफेंस ने नाकाम कर दिया. भारत ने इन कार्रवाइयों का दृढ़ और जोरदार जवाब दिया और पाकिस्तान के 11 एयरबेसों पर बम बरसाए. बुरी तरह पिटने के बाद पाकिस्तान ने 10 मई को संघर्ष विराम की गुहार लगाई, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया. 



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