अमेरिका के एक फेडरल अपील कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अधिकांश टैरिफ को अस्थायी रूप से बहाल कर दिया. एक दिन पहले ही यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने यह कहते हुए ट्रंप के टैरिफ पर रोक लगा दी थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण करके ये फैसले (टैरिफ से जुड़े) लिए हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक फेडरल सर्किट के लिए अपील कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन द्वारा दायर आपातकालीन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें तर्क दिया गया था कि टैरिफ हटाने से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचेगा.
फेडरल अपील कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन के ट्रेड कोर्ट के निर्णय को अस्थायी रूप से रोकने के अनुरोध को स्वीकार करते हुए एक संक्षिप्त आदेश जारी किया. इसका मतलब है कि यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट के पिछले फैसले और आदेश फिलहाल स्थगित हैं. अपील कोर्ट ने अपने निर्णय के पक्ष में कोई राय या विस्तृत तर्क नहीं दिया, बल्कि वादियों को 5 जून तक तथा ट्रंप प्रशासन को इस मामले में 9 जून तक जवाब देने का निर्देश दिया. अपील कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा इमरजेंसी पावर्स लॉ के तहत लगाए गए टैरिफ अस्थायी रूप से बहाल हो गए हैं. हालांकि, इस मुद्दे पर आगे की कानूनी कार्यवाही अभी फेडरल अपील कोर्ट में लंबित है.
यह भी पढ़ें: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर ट्रंप प्रशासन की सख्ती, 30 दिनों में देनी होगी सफाई वरना विदेशी छात्रों का दाखिला बंद
यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने टैरिफ पर लगाई थी रोक
इससे पहले यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ लगाने में अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है. ट्रेड कोर्ट ने अधिकांश टैरिफ को तत्काल रोकने का आदेश दिया था, जिसमें ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ और कनाडा, मैक्सिको और चीन के आयात पर लगाए गए टैरिफ भी शामिल थे. इस बीच, व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने गुरुवार को कहा कि यदि ट्रंप प्रशासन अपनी ट्रेड पॉलिसी से जुड़ा यह कानूनी लड़ाई हार भी जाता है, तो वह टैरिफ लगाने के अन्य तरीकों पर विचार करेगा. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए नवारो ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिकी टैरिफ वर्तमान में न्यायालय द्वारा जारी स्थगन के कारण प्रभावी हैं, तथा ट्रंप प्रशासन की अन्य देशों के साथ ट्रेड और टैरिफ को लेकर बातचीत चल रही है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया: कोर्ट
बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी को लेकर कोर्ट में कई मुकदमे दाखिल किए गए हैं, जिनमें कहा गया है कि उनके द्वारा लागू ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं और देश की ट्रेड पॉलिसी को उन्होंने अपने अहम की लड़ाई बना ली है. अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के पैनल ने 28 मई को फैसला सुनाया था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने और दुनिया भर के लगभग हर देश से आयात पर टैरिफ लगाने के लिए 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) को लागू करके अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया है.
यह भी पढ़ें: ‘टैरिफ चर्चा का हिस्सा ही नहीं था…’, भारत-PAK सीजफायर पर ट्रंप सरकार के नए दावे को विदेश मंत्रालय ने किया खारिज
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से दुनियाभर के बाजारों में अस्थिरता
यह निर्णय डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक बड़ा झटका है, जिनकी अप्रत्याशित व्यापार नीतियों ने दुनियाभर में फाइनेंशियल मार्केट को अस्थिर कर दिया है, बिजनेस को अनिश्चितता दलदल में ढकेल दिया है, तथा उच्च कीमतों और धीमी आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंताएं पैदा की हैं. ट्रंप प्रशासन द्वारा गुरुवार को फेडरल अपील कोर्ट में इंटरनेशल ट्रेड कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए यह तर्क दिया गया कि राष्ट्रपति के आपातकालीन कानून लागू करने के निर्णय पर न्यायालयों को सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं बनता है. ट्रंप प्रशासन ने यह भी तर्क दिया कि टैरिफ को लेकर राष्ट्रपति के फैसले को बरकरार रखा जाना चाहिए, क्योंकि यूएस इंटरनेशल ट्रेड कोर्ट ने दशकों पहले पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इसी तरह के कानून के तहत आपातकालीन आधार पर टैरिफ लगाने की अनुमति दी थी.