व्हाइट हाउस ने गुरुवार को पुष्टि की कि इजरायल ने हमास के साथ अस्थायी युद्धविराम के लिए अमेरिका समर्थित नए प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की है, जो गाजा में विनाशकारी युद्ध को रोकने और अधिक बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है. व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने संवाददाताओं को बताया कि इजरायल ने इस सीजफायर प्लान का समर्थन किया है और उस पर सहमति जताई है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के हालिया प्रयासों के बाद सामने आई है. विटकॉफ ने इससे पहले एक सफल समझौते की मध्यस्थता के बारे में आशा व्यक्त की थी, जिससे इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध समाप्त हो जाएगा और बंधकों की रिहाई का मार्ग प्रशस्त होगा.
वहीं हमास ने एक बयान में कहा कि उसे युद्धविराम को लेकर अमेरिका समर्थित प्रस्ताव प्राप्त हो गया है और वह अपने लोगों के हितों की सेवा करने, उन्हें राहत प्रदान करने और गाजा पट्टी में स्थायी युद्धविराम के लिए इसकी जिम्मेदारीपूर्वक समीक्षा कर रहा है. इससे पहले, हमास ने कहा था कि वह अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के साथ एक बातचीत में एक समझौते पर पहुंच गया है, जिसमें स्थायी युद्धविराम की दिशा में कदमों की रूपरेखा दी गई है. इसमें गाजा से इजरायल की पूरी तरह वापसी, मानवीय सहायता में वृद्धि और हमास से शासन का कार्यभार राजनीतिक रूप से स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सौंपना शामिल था.
यह भी पढ़ें: गाजा में इजरायली हमले में मरने वालों की संख्या 54 हजार के पार, कचरे में जिंदगी तलाश रहे हैं लाखों लोग
गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, मार्च में इजरायल द्वारा सैन्य आक्रमण पुनः शुरू करने के बाद से अब तक 54,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं. 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजरायल में घुसकर उसके 1,200 से अधिक नागरिकों को मार डाला था और 251 लोगों को बंधक बना लिया था, जिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी शामिल थे. इसके बाद इजरायल ने हमास को जड़ से खत्म करने की कसम खाई थी और गाजा पट्टी में ऑपरेशन ‘स्वॉर्ड्स ऑफ आयरन’ लॉन्च किया था. इस सैन्य अभियान के तहत इजरायल ने पहले हवाई हमले में गाजा पट्टी को मलबे के ढेर में बदल दिया, फिर हमास के नेटवर्क को तहस-नहस करने के लिए ग्राउंड ऑपरेशन शुरू किया.
अमेरिका समर्थित नये युद्धविराम प्रस्ताव में क्या है?
नये प्रस्ताव का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन वार्ता से जुड़े सूत्रों का कहना है कि युद्धविराम के तहत इजरायली सेनाएं पहले की स्थिति में वापस लौट जाएंगी और 1,100 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में हमास 10 जीवित बंधकों को रिहा करेगा, साथ ही मृत बंधकों के शवों को लौटाएगा. प्रस्ताव के मुताबिक इजरायल द्वारा छोड़े जाने वाले फिलिस्तीनी कैदियों में घातक हमलों के लिए दोषी ठहराए जाने पर लंबी सजा काट रहे 100 कैदी भी शामिल हैं. इसमें 60 दिनों तक युद्ध रोकने की बात भी कही गई है. खास बात यह है कि इस प्रस्ताव में यह आश्वासन भी शामिल है कि हमास द्वारा बंधकों को रिहा करने के बाद इजरायल गाजा पट्टी में सैन्य अभियान फिर से शुरू नहीं करेगा. युद्धविराम के दौरान प्रतिदिन सैकड़ों सहायता ट्रकों को गाजा में जाने की अनुमति दी जाएगी, जो महीनों से चल रही नाकेबंदी से पीड़ित आबादी के लिए एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है, जिसके कारण कई लोग अकाल के कगार पर पहुंच गए हैं.
यह भी पढ़ें: ‘मेरे भी पोते-पोतियां हैं…’, गाजा में तबाही का मंजर बयां करते हुए UN में फफक-फफक कर रोने लगे फिलिस्तीनी राजदूत
इजरायल क्या चाहता है?
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि युद्ध तब तक खत्म नहीं होगा जब तक सभी बंधकों को रिहा नहीं कर दिया जाता और हमास को खत्म नहीं कर दिया जाता. उन्होंने यह भी घोषणा की कि इजरायल गाजा पर लंबे समय तक नियंत्रण बनाए रखेगा और अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को यहां बसने की पेशकश भी करेगा. हालांकि, लोग गाजा में आकर रहना चाहते हैं या नहीं यह पूरी तरह उनकी स्वेच्छा पर निर्भर करेगा. हालांकि, गाजा में इजरायली नागरिकों को बसाने की योजना को फिलिस्तीनियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा दृढ़ता से अस्वीकार कर दिया गया है, तथा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसा कदम अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा.
हमास क्या चाहता है?
हमास ने स्पष्ट कर दिया है कि वह शेष बंधकों को रिहा करेगा. लेकिन बदले में इजरायल को और अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना होगा. साथ ही गाजा में एक स्थायी युद्धविराम और इजरायल की पूरी तरह वापसी की शर्त भी हमास ने रखी है. हमास ने राजनीतिक रूप से स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को गाजा का नियंत्रण सौंपने की अपनी इच्छा का भी संकेत दिया है जो यहां पुनर्निर्माण प्रयासों का नेतृत्व करेगी. हमास ने अब भी 58 लोगों को बंधक बना रखा है, जिनमें से केवल एक तिहाई के ही जीवित होने का अनुमान है. हालांकि, युद्ध जारी रहने के कारण, उनकी जान को खतरा बना हुआ है.