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    टर्बुलेंस का तांडव, पायलट की पुकार और पाक का इनकार… 30000 फीट ऊंचाई पर चीख रहे 227 हिंदुस्तानियों के बचने की कहानी

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    21 मई की शाम पठानकोट के ऊपर आसमान में दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E 2142 एक भयंकर और जानलेवा टर्बुलेंस का सामना कर रही थी. इस फ्लाइट में 7 क्रू मेंबर्स समेत कुल 227 लोग सवार थे. विमान ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शाम करीब 5 बजकर 15 मिनट पर उड़ान भरी थी. इसे डेढ़ घंटे के अंदर श्रीनगर तक पहुंचना था. लेकिन जैसे ही यह विमान पठानकोट के ऊपर पहुंचा, उसे अचानक एक भयंकर तूफान और तेज ओलों की बारिश का सामना करना पड़ा.

    प्लेन हवा में इतनी भयंकर तरीके से हिलने लगा कि यात्रियों की सांसें अटक गईं. विमान तेज़ी से अपनी ऊंचाई खोने लगा और यात्रियों ने डर के मारे चीखना शुरू कर दिया. उन्होंने ऊपर वाले से अपनी जान बचाने की गुहार लगाई. एक एविएशन एक्सपर्ट सुभाष गोयल ने बताया कि ऐसा टर्बुलेंस उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. कई यात्री और क्रू मेंबर्स बस मौत को करीब से देख रहे थे और उसकी बेबसी से बस उस टल जाने का इंतजार कर रहे थे. इस खतरनाक परिस्थिति में पायलट ने पाकिस्तान के एटीसी से गुहार लगाई.

    उनसे थोड़ी देर के लिए उनके एयरस्पेस में प्रवेश की अनुमति मांगी, ताकि वे उस खतरनाक क्षेत्र से निकल सकें. लेकिन पाकिस्तान की एटीसी ने साफ मना कर दिया. इसके पहले पायलट ने नॉर्दन कंट्रोल से विमान को बायीं ओर मोड़ने की इजाजत भी मांगी, जो इंटरनेशनल बॉर्डर की तरफ था, लेकिन उसे भी अनुमति नहीं मिली. अंततः पायलट ने खुद लाहौर एटीसी से बात की और स्थिति समझाते हुए उनके एयरस्पेस से गुजरने की अनुमति मांगी, लेकिन वहां भी साफ इनकार मिला. ये बहुत खतरनाक स्थिति थी.

    इस असहाय स्थिति में विमान को कई मिनटों तक भयंकर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा. इसका परिणाम क्या हो सकता था, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दौरान फ्लाइट के नेविगेशन सिस्टम में गड़बड़ी आने लगी. तेज़ी से नीचे आने की वजह से गलत डेटा डिस्प्ले होने लगा. सिक्योरिटी सिस्टम कुछ समय के लिए बंद हो गया. बैकअप स्पीड मीटर में गड़बड़ी आई. अंत में ऑटो पायलट सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया. विमान बार-बार ऊपर-नीचे होने लगा. कॉकपिट में बैलेंस खोने और नीचे गिरने की चेतावनी बजती रही.

    ऐसे भयावह हालातों में फ्लाइट की नीचे गिरने की रफ्तार एक वक्त पर 8500 फीट प्रति मिनट तक पहुंच गई थी. पायलट और क्रू ने अपनी पूरी कौशलता और हिम्मत से मैनुअली विमान को नियंत्रित किया और करीब 12 मिनट की घातक टर्बुलेंस से जूझने के बाद विमान को उस खतरनाक क्षेत्र से निकालने में सफल रहे. इसके बाद श्रीनगर एयर ट्रैफिक कंट्रोल को पैन-पैन इमरजेंसी सिग्नल भेजा गया, जिससे उन्हें इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मिली. श्रीनगर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के बाद यात्रियों ने राहत की सांस ली. 

    लेकिन विमान की नोज रैडोम यानी सामने की चोंच की हालत देखकर पता चलता है कि तूफान कितना भयंकर था. उस हिस्से में बड़ा गड्ढा और क्षति हो चुकी थी. कैप्टन राजीव पुरी, एक अन्य एविएशन विशेषज्ञ, ने भी इस बात पर जोर दिया कि प्लेन की नोज रैडोम में हुई यह क्षति इस भयानक टर्बुलेंस की गवाही है. डीजीसीए (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है. शुरुआती जांच और क्रू से हुई बातचीत में पता चला है कि जैसे ही टर्बुलेंस का खतरा महसूस हुआ, पायलट फ्लाइट को वापस लाने की कोशिश करना चाहते थे, लेकिन तूफान इतना करीब आ चुका था कि ऐसा करना संभव नहीं था. इसलिए उन्होंने सबसे छोटे रास्ते से फ्लाइट को श्रीनगर तक ले जाने का फैसला किया.

    यह घटना यह भी याद दिलाती है कि विमानन सुरक्षा में प्रशासनिक सहयोग की भूमिका कितनी अहम होती है. पाकिस्तान के एयरस्पेस में जाने की अनुमति ना मिलने से इस खतरनाक स्थिति को और अधिक भयावह बना दिया गया. 200 से अधिक लोगों की जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान की एटीसी का यह रवैया बेहद निराशाजनक है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहला मौका नहीं है जब विमान भयंकर टर्बुलेंस में फंसा हो और फिर भी सुरक्षित लैंड किया गया हो. पिछले साल 20 मई 2024 को सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट को भी ऐसे ही टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा था, लेकिन पायलट ने उसे सुरक्षित सिंगापुर में उतारा था.

    यह कहानी हमें हवाई यात्रा की अनिश्चितताओं और खतरों की याद दिलाती है. एक तरफ जहां पायलट और क्रू की कुशलता यात्रियों की जान बचाती है, वहीं दूसरी ओर मौसम की मार, तकनीकी खामियां और प्रशासनिक बाधाएं विमानन सुरक्षा को चुनौती देती हैं. दुनिया भर में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें तकनीकी खराबी, खराब मौसम या मानवीय त्रुटियों के कारण बड़ी संख्या में जानें गई हैं. इन हादसों की वजहों में कभी-कभी पायलट की गलती या को-पायलट द्वारा जानबूझकर की गई हरकतें भी शामिल हैं. 

    आइए ऐसे कुछ प्रमुख हादसों के बारे में जानते हैं…

    15 दिसंबर 2023, पोखरा, नेपाल

    पोखरा के डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर एक विमान लैंडिंग की तैयारी कर रहा था. नेपाल की राजधानी काठमांडू से पोखरा आ रहे इस विमान में 4 कू मेंबर समेत कुल 72 लोग सवार थे. मौसम खुशगवार था. धूप खिली हुई थी. एयर टैफिक कंटोल यानी एटीसी की ओर से विमान को नीचे उतरने का सिग्नल भी मिल चुका था. यानी अगले चंद मिनटों में ही प्लेन पोखरा की जमीन को छूने वाला था. लेकिन लैंडिंग से ठीक पहले पोखरा एयरपोर्ट पर ही ये प्लेन क्रैश कर गया. पता चला कि ये हादसा पायलट की गलती से हुआ, जिसने दोनों इंजनों का थ्रस्ट बंद कर दिया था. 

    11 जनवरी 2021 जकार्ता, इंडोनेशिया

    9 जनवरी 2021 को हुए इस हादसे में बोइंग-737 जावा के समुद्र में गिर गया था. श्रीविजिया एयर के इस विमान ने हादसे के कुछ मिनट पहले ही जकार्ता से उड़ान भरी थी. विमान में 10 बच्चों समेत कुल 62 लोग सवार थे. हादसे में सभी की मौत हो गई.

    22 मई, 2020 कराची, पाकिस्तान

    ये विमान हादसा 22 मई को पाकिस्तान के कराची में हुआ था. ये विमान पाकिस्तान एयरलाइंस का एयरबस-ए-320 था. विमान में 97 यात्री और आठ क्रू मेंबर्स सवार थे. इस विमान हादसे को पाकिस्तान के इतिहास का सबसे भवायह हादसा माना जाता है. 

    18 मई 2016 फ्रांस, पेरिस

    इजिप्ट एयरलाइंस का पैसेंजर प्लेन एयरबेस-320 पेरिस के चार्ल्स डी गाउले एयरपोर्ट से मिस्र के कायरो शहर के लिए उड़ान भरता है. प्लेन में 2 पायलट और 5 कू मेंबर सहित कुल 66 लोग सवार थे. लैंडिंग से 20 मिनट पहले ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट जाता है. चंद सेकेंड्स में ये हवाई जहाज़ रात के अंधेरे में समंदर के ऊपर हवा में गुम हो जाता है. हालांकि अब तक इस विमान को और उसमें बैठे मुसाफिरों का कुछ अता पता नहीं चल पाया. 

    4 फरवरी 2015 ताइवान

    ट्रांसएशिया एयरवेज की उड़ान संख्या जीई 235, 53 मुसाफिरों और पांच क्रू मेंबरों के साथ ताईपेई सोंगशन एयरपोर्ट से किनमेन आईजलैंड के लिए उड़ान भरता है. उड़ान भरने के अगले ही पल पायलट एटीसी को विमान के एक इंजन से आग निकलने की सूचना देता है. कुछ ही सेकेंड में उका एटीसी से संपर्क टूट जाता है क़रीब दो मिनट लड़खड़ाने के बाद प्लेन एयरपोर्ट के नजदीक फ्लाइओवर पर लगे एक खंबे से टकराता है. फ्लाईओवर के बराबर नदी में जा गिरता है. हादसे मे 43 लोग मारे गए जबकि 17 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. 

    31 अक्टूबर 2015, मिस्र

    रूस के सेंट पीट्सबर्ग के लिए रशियन एयरलाइन मेट्रोजेट की उड़ान संख्या KGL9268 ने शर्म अल शेख एयरपोर्ट से उड़ान भरी. विमान क़रीब 30 हज़ार फीट की ऊंचाई पर था. ठीक 23 मिनट गुज़रने के बाद अचानक ही इस प्लेन का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी एटीसी से टूट गया. इस विमान का भी कोई सुराग नहीं मिलता. लेकिन बाद में पता चलता है कि महज़ 23 मिनट बाद रूसी प्लेन सिनाई की पहाड़ियों में जा गिरता है. इस हादसे में प्लेन में सवार 224 लोगों की मौत हो गई थी.



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