दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आज भी तबाही मचाने वाले परमाणु बम गुमनाम जगहों पर दफन हैं, जिनका अबतक किसी को कोई सुराग नहीं मिल पाया है. ये तब तक हुआ, जब पूरे विश्व में युद्ध जैसी स्थितियां बनी हुई थी और अमेरिका और रूस जैसी महाशक्तियां कभी भी एक दूसरे पर परमाणु हमला कर सकती थी.
शीत युद्ध के दौरान कई बमवर्षक विमान परमाणु हथियार लादे पूरी दुनिया के चक्कर लगाते रहे थे. इसी दौरान कुछ विमानों में गलती से आग लगने की वजह से या खराबी आ जाने के कारण हादसे की आशंका के चलते, उन्हें परमाणु हथियारों को नीचे गिराना पड़ा. कई मामलों में तो परमाणु हथियार लदे विमान हादसे के शिकार भी हो गए.
32 से ज्यादा हो चुके हैं परमाणु हादसे
1950 से अब तक कम से कम 32 ऐसे हादसे हुए हैं, जब या तो परमाणु बम खो गया, गिर गया और फिर विस्फोट हो गया. हालांकि, इन दुर्घटनाओं की पुष्टि कभी नहीं की गई. क्योंकि, जिन देशों में ये हुए, उन्होंने ऐसे हादसों से होने वाले व्यापक दुष्प्रभावों के आरोप लगने के डर से इससे इंकार कर दिया. फिर भी कुछ दुर्घटनाए दुनिया के सामने आ गए.
क्या होता है ‘ब्रोकेन एरो’
इन परमाणु हादसों को ‘ब्रोकेन एरो’ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि सिर्फ अमेरिका की सीमा क्षेत्र में ही दर्जनों ऐसे हादसे हुए, जिसमें परमाणु बम या हथियारों को क्षति पहुंची या ये विस्फोट कर गए, लेकिन वहां इन्हें छिपा लिया गया. लेकिन जो हादसे अमेरिका से बाहर हुए, उन्हें नहीं छिपाया जा सका. यहां ऐसे ही तीन दुर्घटनाओं की बात हो रही है, जब परमाणु बम खो गए और उनका कुछ पता नहीं चल पाया.
जॉर्जिया के पास गिराया गया परमाणु बम कभी नहीं मिला
5 फरवरी 1958 को एक मार्क 15 थर्मोन्यूक्लियर बम जॉर्जिया टाइबी द्वीप के पास गिरा दिया गया. ऐसा विमान के वजन को कम करने के लिए किया गया. ये विमान परमाणु बम लादे आसमान में उड़ रहा था. तकनीकी वजह से सुरक्षित लैंडिंग के लिए उसे वजन कम करना जरूरी था. इसलिए वहां परमाणु बम को पायलट को नीचे गिराना पड़ा.
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गिराए जाने के बाद जब खोजा गया तो वेपन गायब था. इसकी खोज में कई सीक्रेट मिशन चले. यहां तक कि पानी के भीतर सोनार डिवाइस की भी मदद ली गई ताकि तरंगें पकड़ी जा सकें, लेकिन बम का कहीं पता नहीं लग सका. आखिर खोज अभियान टर्मिनेट करते हुए उसे खोया हुआ मान लिया गया.
जब जापान के पास समुद्र में खो गया परमाणु बम
5 दिसंबर 1965 को एक B43 थर्मोन्यूक्लियर बम जापान के समुद्री तट पर फिलीपीन सागर में गिर गया. बताया जाता है कि बमवर्षक विमान, पायलट और परमाणु हथियार सहित इसे ले जा रहे जहाज से फिसल गए, जिन्हें फिर कभी नहीं देखा गया. कहा जाता है कि एक्टिव बम ट्रांसपोर्ट होने के दौरान समुद्र में गिर गया था. यहां तक कि उसके साथ अमेरिकी नेवी का एक अफसर लेफ्टिनेंट डगलस वेब्स्टर भी गायब हो गया. जमीन पर उसका सिर्फ हेलमेट मिल सका.
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जापान वाले हादसे के बाद अमेरिकी सरकार के भीतरखाने काफी हलचल हुई थी. सब दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर गिराए गए बम को लेकर घबराए हुए थे. इसी डर से लंबा-चौड़ा सर्च ऑपरेशन भी चला. कई इंटरनेशनल रिपोर्ट्स कहती हैं कि इसपर भारी पैसे खर्च हुए, लेकिन कहीं ये बम नहीं मिला.
ग्रीनलैंड के पास भी गिरा है परमाणु हथियार
22 मई 1968 को एक B28FI थर्मोन्यूक्लियर बम ग्रीनलैंड के थुले एयर बेस के पास खो गई. बताया जाता है कि प्लेन के केबिन में आग लगने के कारण चालक दल को बाहर निकलना पड़ा, जिससे विमान अपने परमाणु पेलोड के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस तरह एक और परमाणु बम खो गया और उसका आजतक कुछ पता नहीं चल सका.