पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का ऐलान किया था. इससे पाकिस्तानी नेता बौखला गए हैं. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के सांसद सैयद अली ज़फ़र ने इस फैसले को लेकर कहा कि यह तो हमारे ऊपर लटकता हुआ वाटर बम है. जिसे हमें तुरंत निष्क्रिय करना होगा. उन्होंने दावा किया कि भारत के इस कदम से 10 में से एक पाकिस्तानी को नुकसान पहुंचेगा.
पाकिस्तानी संसद में शुक्रवार को बोलते हुए सांसद अली ज़फ़र ने आगाह किया कि अगर इस जल संकट को जल्द नहीं सुलझाया गया तो भूखमरी फैल सकती है और बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं. जफर ने कहा कि सिंधु बेसिन हमारी लाइफलाइन है, अगर हम अभी जलसंकट का समाधान नहीं करते हैं तो हम भूख से मर जाएंगे.
पाकिस्तानी सांसद ने कहा कि देश के बाहर से आने वाले पानी का तीन चौथाई हिस्सा इसी पर आधारित है. 10 में से 9 लोग अपने जीवन के लिए सिंधु जल बेसिन पर निर्भर हैं, पाकिस्तान की 90% फसलें और सभी प्रमुख पावर प्रोजेक्ट इसी पानी पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि ये हमारे ऊपर लटके पानी के बम की तरह है और हमें इसे निष्क्रिय करना होगा.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर संकट
आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान सिंधु नदी प्रणाली से प्राप्त 93% पानी का उपयोग कृषि और बिजली उत्पादन में करता है. उसकी करीब 80% सिंचित भूमि इस जल पर निर्भर है और उसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है.
‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’
भारत ने ये कदम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया था, जिसमें आतंकवादियों ने 26 लोगों की जान ले ली थी. इस हमले के बाद भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि को ‘स्थगित’ रखा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का नया मोर्चा
भारत को यह अंदेशा था कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को पीड़ित बताने की कोशिश करेगा. इसलिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद 7 देशों में डेलिगेशन भेजा है, ताकि दुनिया को यह समझाया जा सके कि सिंधु जल संधि का निलंबन भारत की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा मामला है.
भारत के सामने गिड़गिड़ा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने इस फैसले पर भारत से पुनर्विचार की मांग की है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक आतंकी गतिविधियों पर लगाम नहीं लगती, तब तक जल संधि को बहाल नहीं किया जाएगा.